शारदा अस्पताल और स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (Sharda Hospital) ने राज्य सरकार को पत्र लिखा है। अस्पताल प्रबंधन ने अपनी दिनचर्या और विशिष्ट सुविधाओं जैसे कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी और ऑन्कोलॉजी और नेत्र विज्ञान से जुड़ी प्रक्रियाएं पुनः शुरू करने की मांग की है। दरअसल, अस्पताल को कोरोना महामारी से निपटने के लिए अस्पताल को कोविड सुविधा में बदल दिया गया था।
शारदा अस्पताल को कोरोना महामारी से निपटने के लिए एल-3 कोविड अस्पताल बनाया गया है। यहां वर्तमान में कोविड केयर के लिए 600 बिस्तर उपलब्ध हैं। जबकि, अस्पताल में इस वक्त केवल 37 कोविड रोगियों का इलाज किया जा रहा है। कोविड काल से पहले ओपीडी में रोजाना 1,500-2,000 रोगी ओपीडी में आ रहे थे। अस्पताल की ओपीडी में अब केवल 300-350 रोगी आ रहे हैं। जिनमें 100 लोग बुखार से पीड़ित हैं। अभी अस्पताल में केवल आपातकालीन सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। इसके मेडिकल छात्र नियमित रूप से इन सेवाओं के अभाव में अपेक्षित प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि ग्रेटर नोएडा में राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (GIMS) और सेक्टर-39 में नोएडा कोविड अस्पताल फिलहाल कोविड की देखभाल के लिए पर्याप्त हैं। इसके बावजूद अगर कोई परेशानी होती है तो तत्कालिक सूचना के आधार पर शारदा अस्पताल में आवश्यक कोविड सुविधाओं का विस्तार किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता अजित सिंह ने कहा, “हमने राज्य सरकार से अनुरोध करते हुए एक पत्र तैयार किया है। जिससे हम अपनी नियमित स्वास्थ्य सेवा और विशेषता सेवाओं को जिले के अधिकांश रोगियों के लिए संचालित करने की अनुमति मांग रहे हैं। विशेष रूप से ग्रेटर नोएडा और पड़ोसी क्षेत्रों से आने वाले रोगी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में असमर्थ हैं। बुधवार को पत्र भेजा जाएगा।"
शारदा यूनिवर्सिटी और हॉस्पिटल के चांसलर पीके गुप्ता ने कहा, "अभी कोरोना संक्रमण को लेकर जिले में हालात सामान्य हैं। इसे ध्यान में रखकर हमने शारदा अस्पताल का कोविड-19 दर्जा खत्म करने की मांग की है। इसके बावजूद अगर भविष्य में आवश्यकता पड़ती है तो जिला प्रशासन और सरकार की ओर से शॉर्ट नोटिस पर हम कोविड इलाज मुहैया कराएंगे। फिलहाल बड़ी संख्या में दूसरी बीमारियों से ग्रसित लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोविड-19 दर्जा होने के चलते हम अभी उन बीमारियों का इलाज नहीं कर पा रहे हैं।"