ऑपरेशन रसूखदार : कैलाश भाटी के वकील ने ट्राईसिटी टुडे पर लगाया 2 करोड़ रुपए मांगने का आरोप, हम जांच के लिए तैयार

Tricity Today | ऑपरेशन रसूखदार



Greater Noida News : सोमवार को आपके पसंदीदा न्यूज पोर्टल ट्राईसिटी टुडे द्वारा चलाए गए "ऑपरेशन रसूखदार" के बाद ट्राईसिटी की टीम को कैलाश भाटी के वकील के द्वारा लिखा गया एक पत्र प्राप्त हुआ। पत्र में हमारी टीम पर 2 करोड़ रुपए मांगने का आरोप लगाया गया है। साथ ही पत्र में कबूला गया है कि ट्राईसिटी टुडे द्वारा दिखाई गई वीडियो में शिकायती पत्र लिखने वाले अधिवक्ता सूर्य प्रताप सिंह, उनकी पत्नी, कैलाश भाटी व कैलाश भाटी की पत्नी मौजूद हैं। ट्राईसिटी टुडे की टीम को पत्र प्राप्त होते ही स्वयं मामले की निष्पक्ष जांच करके सच्चाई सबके सामने लाने के लिए डीसीपी ग्रेटर नोएडा साद मियां खान से गुजारिश की गई है। डीसीपी ग्रेटर नोएडा द्वारा ट्राईसिटी टुडे की टीम को मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया गया है।

ट्राईसिटी टुडे को प्राप्त पत्र में सूर्य प्रताप सिंह ने अपने आपको आईपीसी 420, 467, 468, 471, 120बी के चार्जशीटेड कैलाश भाटी का अधिवक्ता बताया है। पत्र में लिखा गया है कि 15 अप्रैल को कानूनी सलाह व मशविरेह के लिए सूर्य प्रताप, कैलाश भाटी से मिलने जिम्स अस्पताल गए थे। लगभग 8:30 बजे कैलाश भाटी के कमरे में 2 लोग आए और पता पूछकर 10 सेकंड में वापस चले गए। अधिवक्ता सूर्य प्रताप कानूनी सलाह मशविरेह के बाद जब जिम्स अस्पताल से बाहर आए तो कमरे में जबरदस्ती अंदर जाने वाले युवक उनके पास पहुंचे और वीडियो व फोटो एडिट करके वायरल करने की धमकी देकर 2 करोड़ देने की डिमांड की। पैसे न मिलने पर व अधिवक्ता की पत्नी आता देख दोनो युवक वहां से चले गए। एडिट कर वीडियो और फोटो ट्राईसिटी टुडे पर चला दी गई। पत्र में आरोप लगाया गया है कि कासना पुलिस द्वारा शिकायत पर कोई कार्यवाही न करने के चलते अधिवक्ता मुख्यमंत्री को पत्र लिख रहे हैं।

ट्राईसिटी टुडे की टीम एक जिम्मेदार संस्थान होने के नाते अपने पाठकों तक एडवोकेट सूर्य प्रताप सिंह के इन आरोपों को भी प्रकाशित कर रहा है। साथ ही हम अपने सुधी पाठकों तक अपना पक्ष भी पहुंचाना चाहते हैं। शिकायती पत्र प्राप्त होने पर ट्राईसिटी टुडे के संपादक पंकज पाराशर ने डीसीपी ग्रेटर नोएडा से बात करके मामले की निष्पक्ष जांच करने की गुजारिश की है। साथ ही हम यह स्पष्ट करना चाहते है कि "ऑपरेशन रसूखदार" में ट्राईसिटी टुडे ने आरोपी कैलाश भाटी को लगातार दो दिन मॉनिटर किया। जिसको वीडियो के माध्यम से अपने दर्शकों तक पहुंचाया है। दोनों दिन कैलाश भाटी के वार्ड में मौजूद भीड़ वीडियो कैमरों में कैद हुई है। हमारी टीम जांच एजेंसियों को सभी साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए तैयार है। सभी वीडियो ट्राईसिटी टुडे की टीम के पास मौलिक रूप में सुरक्षित हैं। ट्राईसिटी टुडे की टीम का मानना है कि सक्षम जांच एजेंसी इलेक्ट्रॉनिक एविडेंसेज, सर्विलांस व अस्पताल के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के माध्यम से सच्चाई सामने ला सकती है। हमने एक रसूखदार अफ़सर और उसे संरक्षण की हक़ीक़त को सामने रखा है। हम जल्दी ही अपने पाठकों को इस मामले में कुछ और चौंकाने वाले तथ्यों से अवगत करवाएँगे।

ऑपरेशन रसूखदार से कैलाश भाटी पर खड़े हुए सवाल
  1. कैलाश भाटी की यह ऐश कई सवाल खड़े करती है। पहला सवाल, क्या कैलाश भाटी खुलेआम मोबाइल का इस्तेमाल कर सकता है?
  2. दूसरा सवाल, क्या कैलाश भाटी को जिम्स के प्राइवेट वॉर्ड में एयर कंडीशनर, कोल्ड ड्रिंक्स, बाहर का खाना और ऐशोआराम मिल सकता है?
  3. तीसरा सवाल, क्या बिना रोकटोक और दिन-रात कैलाश भाटी को लोगों से मिलने की इजाजत दी सकती है?
  4. चौथा सवाल, कैलाश भाटी को ऐसी कौन सी बीमारी है, जिसके इलाज के लिए वह डेढ़ महीने से जिम्स के प्राइवेट वॉर्ड की ऐश ले रहा है?
  5. पांचवां सवाल, कैलाश भाटी की निगरानी के लिए जिन पुलिस वालों की ड्यूटी लगी है, वे इस सब से बेदार क्यों हैं?
जिला कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका की
अब हम आपको बताते हैं कि आखिर कैलाश भाटी किस जुर्म के लिए जेल गया और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका क्यों खारिज कर दी। कैलाश भाटी ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में बतौर मैनेजर लंबे अरसे तक कार्यरत रहा है। इसी दौरान तुस्याना गांव में अरबों रुपये का भूमि घोटाला हुआ। इस घोटाले के मास्टरमाइंड राजेंद्र सिंह को फायदा पहुंचाने के लिए कैलाश भाटी ने जालसाजी की। गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने कैलाश को पिछले साल 16 नवंबर को गिरफ्तार किया था। उस पर आईपीसी की धाराओं 406, 420, 467, 468, 471 और 120-B के तहत चार्जशीट दाखिल की गई। पहले गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी।

कैलाश भाटी को हाईकोर्ट ने इसलिए नहीं दी जमानत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 जनवरी 2023 को यह कहते हुए कैलाश भाटी की जमानत याचिका ख़ारिज की, "आरोपी ऊंचे पद पर कार्यरत और रसूखदार है। शिकायत करने वाले ने अपनी जान को खतरा बताया है। मामले की जांच और ट्रायल के दौरान गवाहों व सबूतों को प्रभावित कर सकता है। मामले की खूबियों या खामियों पर कोई राय व्यक्त किए बिना यह न्यायालय आवेदक को जमानत देने के लिए अच्छा आधार नहीं पाता है। लिहाजा, जमानत अर्जी खारिज की जाती है। "कुल मिलाकर साफ़ है, अदालत में भले ही कैलाश भाटी का रसूख काम नहीं आया, लेकिन उसने जेल से बाहर फाइव स्टार सहूलियतें हासिल करने का इंतजाम कर लिया। 

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