Greater Noida News : यमुना प्राधिकरण की बहुप्रतीक्षित आवासीय भूखंड योजना में हजारों आवेदकों को लॉटरी से बाहर किए जाने पर गहरी निराशा छाई हुई है। यह योजना जिसमें 361 प्लॉट की पेशकश की गई थी, अब विवादों में घिर गई है। इस योजना के तहत आवेदन करने वाले लगभग दो लाख से अधिक लोगों में से अधिकांश आवेदकों को लॉटरी प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा, जिससे वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
5 जुलाई को हुई थी स्कीम लॉन्च
प्राधिकरण ने 5 जुलाई को आवासीय भूखंड योजना का ऐलान किया था। जिसमें 120, 162, 200, 300, 1000 और 2000 वर्गमीटर के प्लॉट शामिल थे। इस योजना के लिए आवेदकों को तीन भुगतान विकल्प दिए गए थे। पहला विकल्प एकमुश्त भुगतान का था। दूसरा विकल्प दो किश्तों में भुगतान का और तीसरा विकल्प किश्तों में धीरे-धीरे भुगतान का था। लेकिन योजना की लॉटरी प्रक्रिया में केवल पहले विकल्प को प्राथमिकता दी गई है। जिससे अधिकांश आवेदकों का लॉटरी में शामिल होना मुश्किल हो गया है।
इस लोगों को बाहर निकाला
यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि पहले विकल्प के तहत लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा आवेदक हैं। जिन्हें लॉटरी में प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद ही दूसरे और तीसरे विकल्प वाले आवेदकों पर विचार किया जाएगा। तीसरे विकल्प में भुगतान करने वाले आवेदकों का शामिल होना लगभग असंभव माना जा रहा है। इससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर प्राधिकरण ने इन आवेदकों को योजना में शामिल ही क्यों किया, जब उनका नंबर लॉटरी में आने की संभावना नहीं थी।
तीन महीने तक ब्लॉक रहेगा पैसा
कई आवेदकों ने अपनी निराशा व्यक्त की है कि उनका पैसा तीन महीने तक ब्लॉक रहा और अब उन्हें लॉटरी में शामिल नहीं किया जा रहा है। ऐसे में उन आवेदकों का सवाल है कि जब पहले और दूसरे विकल्प वालों को ही प्राथमिकता दी जानी थी तो तीसरे विकल्प को शामिल करने का औचित्य क्या था? ICICI बैंक को करोड़ों का फायदा पहुंचाया
इस बीच यमुना प्राधिकरण पर 200 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप भी लग रहे हैं। पूर्वी दिल्ली के पूर्व महापौर ने प्राधिकरण के सीईओ और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई है। आरोप है कि आवेदन की समय सीमा बढ़ाकर ICICI बैंक को करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाया गया है। प्राधिकरण की इस योजना में घोटाले और आवेदकों की शिकायतों को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। आने वाले दिनों में प्राधिकरण को इन आरोपों पर सफाई देनी पड़ सकती है और आवेदकों को उचित समाधान प्रदान करना होगा।