Lucknow News : सिर्फ ग्यारह साल उम्र में ख्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार, गुणवत्ता विहीन पढ़ाई, ‘शाहखर्ची’ और अनियमित नियुक्तियों के विवादों से घिर गया है। आरोप है कि कुलपतियों ने उच्च शिक्षा के इस मंदिर को ‘इच्छानुसार’ संचालित किया। फैसलों पर उंगलियां उठीं। परन्तु कार्रवाई नहीं हुई। अब एक साल से ठंडे बस्ते में पड़ी न्यायमूर्ति ( सेवानिवृत) एसके त्रिपाठी की जांच रिपोर्ट पर पूर्व कुलपति समेत 14 शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस के साथ आरोप पत्र थमाया गया है। जिसे कार्य परिषद ने भी मंजूरी प्रदान की है।
मायावती सरकार ने 2009 में लखनऊ में कांशीराम स्मारक विश्वविद्यालय बनाने का निर्णय लिया, जिसके आकार लेने से पहले समाजवादी नीति सरकार गठित बन गयी। जिसके मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विवि का नाम बदलकर ख्वाजा मोईनउद्दीन चिश्ती कर दिया। सेवानिवृत आईएएस अनीस अंसारी कुलपति नियुक्त हुये। आरोप है कि उन्होंने नियमों की अनदेखी कर शिक्षक भर्ती किये। ऐसे अभ्यर्थियों को प्रोफेसर, सहायक, एसोसिएट बनाया, जिनकी शैक्षिक योग्यता विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों को पूरा नहीं करती थीं। आंतरिक जांचों में इसका खुलासा हुआ लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद के विवि में कुलपति का ओहदा संभालने वालों अधिकतर ओहदेदारों ने मनमानी वित्तीय फैसले लिये। लेखा-परीक्षक रिपोर्ट में ढेरों खामियां पकड़ी गयीं पर कार्रवाई शिफर रहीं।
अब कुलपति प्रो.एनबी सिंह ने सरकारी घर की मरम्मत पर 48 लाख, गेस्ट हाउस की मरम्मत पर 30 लाख खर्च किये। सिक्योरिटी एजेंसी बदली। वित्त समिति से इसका अनुमोदन कराया मगर अंदर खाने विरोध बना रहा। फारसी विभाग के एक शिक्षक ने तो कार्य परिषद की वैधता को ही चुनौती देते हुए अदालत में वाद दाखिल कर दिया जो अभी लंबित है। राजभवन को शिकायत भेजी। जिस पर उन्हें दो शिक्षकों के बीच के विवाद को आधार बनाकर निलंबित कर दिया गया। इसके लिये जांच उस शिक्षक की अध्यक्षता में हुई, जिसके खिलाफ पहले ही अदालत में शिकायत लंबित है। इस कार्रवाई से शिक्षकों के एक वर्ग में उपजे आक्रोश के बीच कुलपति प्रो.एनबी सिंह ने एक साल पुरानी जांच जांच रिपोर्ट को आधार पर बनाकर पूर्व कुलपति प्रो.माहरुख मिर्जा समेत 13 शिक्षकों को नोटिस और आरोप पत्र थमा दिया है।
सूत्रों का कहना है कि प्रो.माहरूख मिर्जा का कुलपति पद पर कार्यकाल पूरा होने पर कुलपति नियुक्त हुये प्रो.विनय पाठक की शिकायत पर कुलाधिपति ने न्यायमूर्ति एस.के त्रिपाठी, प्रो.राना कृष्णपाल सिंह और आशुतोष दिवेदी की तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की, जिसे नियुक्तियों व वित्तीय अनियमितता की जांच का आदेश दिया गया। सूत्रों का कहना है कि कमेटी ने 21 सितम्बर 2021 को कुलपति को सौंपी जांच रिपोर्ट में नियुक्तियों में आरक्षण नियमों की अनदेखी समेत कई आरोपों की पुष्टि की लेकिन वित्तीय अनियमितता का चार्ज नहीं लगाया गया।
अब कुलपति प्रो.एनबी सिंह ने ये जांच रिपोर्ट निकाली और इसी के आधार पर पूर्व कुलपति प्रो.माहरूख मिर्जा समेत 14 शिक्षकों को नोटिस जारी कर दी गयी। कार्य परिषद ने भी इन सभी शिक्षकों को आरोप पत्र देने पर सहमति प्रदान कर दी है। सूत्रों का कहना है कि बड़ी संख्या में शिक्षकों को नोटिस जारी होने के बाद विवि में अस्थिरता का माहौल हो गया। आरोपी बताये गये शिक्षकों ने पहले से लेकर अब तक के कुलपतियों के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं के दस्तावेज जुटाने से शुरू कर दिये हैं। पठन-पाठन का काम तकरीबन ठप है। विवि के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है प्रशासनिक पदों पर कार्य कर रहे कई शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने आरक्षण का गलत लाभ लिया। शैक्षिक योग्यता न होने पर भी प्रोमोशन लिया। विवि के प्रमुख प्रशासनिक पदों पर भी काबिज हैं। परिसर मे चर्चा है कि ऐसे लोग पठन-पाठन से ज्यादा सिस्टम के साथ कदम ताल में यकीन रखते हैं।
इन्हें मिला आरोप पत्र
1-प्रवीण कुमार राय- एसोसिएट प्रोफेसर भूगोल
2-जमाल शब्बीर रिजवी- एसोसिएट प्रोफेसर उर्दू
3-लक्ष्मण सिंह, सहायक प्रोफेसर, इतिहास
4- ऊधम सिंह, सहायक प्रोफेसर, अर्थशास्त्र
5-ताबिंदा सुल्ताना, सहायक प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान
6-प्रो.माहरुख मिर्जा, पूर्व कुलपति एवं प्रोफेसर वाणिज्य
7- संजीव कुमार त्रिवेदी, प्रोफेसर संगणक विज्ञान एवं अभियंत्रिकी
8-राजेन्द्र कुमार, सहायक प्रोफेसर, गणित
9-निधि सोनकर, सहायक प्रोफेसर, अनुप्रयुक्त विज्ञान एवं मानविकी
10-नदीम अहमद अंसारी, सहायक प्रोफेसर, जैव प्रौद्योगिकी
11-मानवेन्द्र सिंह सहायक प्रोफेसर, जैव प्रौद्योगिकी
12-ममता शुक्ला, सहायक प्रोफेसर, जैव प्रोद्योगिकी
13-शावेज अली सिद्दीकी- सहायक प्रोफेसर, गणित
14- सुमन कुमार मिश्र, सहायक प्रोफेसर, संगणक एवं अभियांत्रिणी