Parvez Ahmad
नोएडा
कनेक्ट विथ Parvez Ahmad
गंवई सभ्यता। माटी की खुशबू में रचा-पका। पर, शहरी अंदाज परखने का तजुर्बा झोली में है। ‘अमर उजाला’ से शुरूआत, बुंदेली गर्व-दर्द को लिपिबद्ध करने का मौका फिर ‘हिन्दुस्तान’ का साथ। तब लखनऊ कर्मभूमि बनी। जिसका विस्तार उत्तर प्रदेश भर में हुआ फिर ‘ईटीवी’ (इनाडू टीवी) के साथ कुछ समय और वापसी ‘हिन्दुस्तान’ में राजनीति, अपराध, स्वास्थ्य और सरकार पर नजर डालते-डालते 2013 में ‘दैनिक जागरण’ लखनऊ के स्टेट ब्यूरो का हिस्सा बनने का मौका मिला। पांच साल बाद यहां से पग भास्कर.काम की ओर जब उठे तब तक सरकार, विधानसभा, विधान परिषद, मुख्यमंत्री दफ्तर पर पत्रकारीय नजर रखने का अनुभव हो चुका था। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा बीट पर रिपोर्टिंग पर भाजपा के दिग्गजों का साक्षात्कार लिख चुका था। भास्कारडाटकाम की यूपी इकाई में कुछ उथल-पुथल हुई तो ईटीवी भारत ठौर बना। खबरों के खास विश्वविद्यालयों के दौर में जोखिम के साथ ही सही कुछ जांचा-परखा जनता के सामने चला जाए, यही प्रयास जारी है। इसमें संकट के साथ जोखिम बड़े हैं-पर सत्य की अपनी कीमत होती है। उसीकी अदायगी के लिए सफर जारी है। आप स्वीकारिए, सराहिये, आलोचना कीजिए बस यही हमारा संबल था, नये सफर में भी रहेगा।