बड़ी खबरः राहुल गांधी ने व्हाइट पेपर के जरिए मोदी सरकार को घेरा, बोले- ‘देश दूसरी लहर से लड़ रहा था, पीएम बंगाल में चुनाव लड़ रहे थे’

देश | 3 साल पहले |

Tricity Today | प्रेस कॉन्फ्रेंस करते राहुल गांधी



कांग्रेस के लोकसभा सांसद और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी कोरोना काल के दौरान लगातार मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं। सरकार से सवाल-जवाब करते रहे हैं। आज उन्होंने कोविड काल में सरकार की नाकामियों को लेकर डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान कई अहम मसलों पर अपना पक्ष रखा। कुछ सुझाव दिए। साथ ही बंगाल चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पीएम का लक्ष्य ऑक्सीजन नहीं, बल्कि बंगाल चुनाव जीतना था। जबकि लोगों की जान प्रधानमंत्री के आंसुओं से नहीं, ऑक्सीजन से बचाई जा सकती थी। 

राहुल गांधी ने आज सुबह 11:00 बजे कोविड महामारी के दौरान सरकार की लापरवाही को लेकर एक रिपोर्ट जारी की। उन्होंने इसे ‘व्हाइट पेपर’ नाम दिया। इसे जारी करते हुए उन्होंने कहा, “हमने व्हाइट पेपर विस्तृत में तैयार किया है। इसका लक्ष्य सरकार की गलतियां गिनाना नहीं है। बल्कि देश को तीसरी लहर के लिए तैयार करने में मदद करना है। देश में तीसरी लहर आने वाली है। इसलिए हम सरकार से फिर कह रहें कि उनको इसके लिए पूरी तैयारी करनी चाहिए।” 

राहुल ने कहा, “व्हाइट पेपर का लक्ष्य तीसरी लहर के लिए तैयारी करना है। ताकि तीसरी लहर जब आए, तो लोगों को आसानी से ऑक्सीजन, दवाईयां, अस्पताल में बेड मिल जाएं। कोरोना सिर्फ बायोलॉजिकल बीमारी नहीं है, बल्कि इससे भारी आर्थिक क्षति है। इसलिए सरकार को गरीब लोगों को आर्थिक सहायता देनी की जरूरत है।” उन्होंने आगे कहा, “ऑक्सीजन की कमी के कारण बहुत लोगों की जान गई है। पीएम मोदी के आंसू इन परिवारों के आंसू नहीं मिटा पाए। वो सब परिवार जानते हैं कि पीएम के आंसू उन्हें नहीं बचा पाते, लेकिन ऑक्सीजन से उनकी जान जरूर बच जाती।“

व्हाइट पेपर के जरिए राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को 4 प्वाइंट दिए हैं - 
  1. महामारी की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी अभी से शुरू हो। पिछली गलतियों को ठीक करते हुए उन्हें फिर से न दोहराया जाए।
  2. बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो। ऑक्सीजन, बेड और दवा की कमी न होने पाए। तीसरी लहर तक हर गांव, हर शहर में ऑक्सीजन और दवाएं जैसी सुविधाएं पहुंचाई जाईं।
  3. कोरोना इकोनॉमिकल-सोशल बीमारी है। इससे गरीब लोग, छोटे उद्योग-धंधे तबाह हुए हैं। इन सभी को आर्थिक सहायता दी जाए। हमने न्याय योजना सुझाया है। अगर प्रधानमंत्री को नाम नहीं पसंद, तो वे इसका नाम बदल सकते हैं। 
  4. कोविड कंपंसेशन फंड तैयार हो। कोरोना से जान गंवाने वाले परिवारों को इस फंड से सहायता राशि दी जाए।

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