29 सितंबर से पितृ पक्ष : इन 16 दिनों करें पितरों की आराधना, जीवन के कष्ट होंगे दूर, नहीं होगी धनधान्य की कमी 

देश | 1 साल पहले | Sonia Khanna

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Noida Desk : 29 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरु होने जा रहे हैं। पितृपक्ष के ये सोलह दिन 'पितृ-आराधना' यानी श्राद्ध और तर्पण के लिए अति महत्वपूर्ण माने जाते हैं। कहा भी गया है कि पितरों के निमित्त श्रद्धा से किया गया कर्म ही श्राद्ध है। श्राद्ध पक्ष में नित्य मार्कण्डेय पुराणान्तर्गत 'पितृ स्तुति' करने से पितृ प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं।

तर्पण में इन बातों का रखें ध्यान
श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त तर्पण व ब्राह्मण भोजन कराने का विधान है, लेकिन जानकारी के अभाव में अधिकांश लोग इसे उचित रीति से नहीं करते जो कि दोषपूर्ण है। हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है कि देव भाव से प्रसन्न होते हैं और पितृ शुद्ध औ उचित विधि से किए गए श्राद्धकर्म से। श्राद्ध पक्ष में तर्पण एवं ब्राह्मण भोजन कराने से पितृ तृप्त होते हैं।  तर्पण सदैव काले तिल, दूध, पुष्प, कुश, तुलसी, नर्मदा/गंगा जल मिश्रित जल से करें। तर्पण सदैव पितृ-तीर्थ (तर्जनी व अंगूठे के मध्य का स्थान) से करना चाहिए।

हर व्यक्ति के लिए श्राद्धकर्म जरूरी है
हर व्यक्ति के लिए श्राद्धकर्म अनिवार्य है, लेकिन उससे भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण है जीवित अवस्था में अपने माता-पिता की सेवा करना। क्योंकि जिसने जीवित अवस्था में ही अपने माता-पिता को अपनी सेवा से संतुष्ट कर दिया हो उसे अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता ही है। शास्त्रों में कहा गया है कि श्राद्ध में कंजूसी नहीं करना चाहिए, अपनी सामर्थ्य से बढ़कर श्राद्ध कर्म करना चाहिए।

इस समय करेंगे तो मिलेगा अक्षय पुण्य
श्राद्ध पक्ष के सोलह दिन पितृ स्मरण के दिन होते हैं। इन सोलह दिनों में पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, दान व ब्राह्मण भोजन आदि कराया जाता है। वैसे तो वर्षभर श्राद्ध व तर्पण किया जा सकता है। श्राद्ध के भी कई प्रकार होते हैं जैसे नान्दी श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध एवं मासिक श्राद्ध आदि किंतु श्राद्ध पक्ष के सोलह दिनों में तिथि अनुसार श्राद्ध करने से अनंत गुना फ़ल मिलता है एवं पितृ संतुष्ट होकर अपना आशीष प्रदान करते हैं।

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