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बिना लक्षण वाले मरीजों को 10 दिन बाद जांच कराए बगैर डिस्चार्ज करने में डॉक्टरों को परेशानी हो रही है। मरीज बिना जांच के अस्पताल से जाना नहीं चाहते हैं। कई मरीज तो जिद कर बैठते हैं। सैंपलिंग के बाद रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही वह घर जाते हैं। हालांकि, ऐसे मरीजों को डॉक्टर समझाते हैं और बीमारी के बारे बताते हैं। इसके बाद कुछ मरीज जाने के लिए राजी हो जाते हैं।
बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों को डिस्चार्ज करने के लिए नई गाइडलाइन आई है। इसके तहत अगर भर्ती होने के सात दिन बाद तक मरीज में कोई लक्षण नहीं आते हैं तो उसे बिना जांच कराए डिस्चार्ज किया जा सकता है। एल-1 श्रेणी के अस्पतालों ने इस निमय का पालन भी शुरू कर दिया है। लेकिन इसमें कई बार डॉक्टरों को परेशानी का भी सामना करना पड़ता है।
एल-1 श्रेणी के कैलाश अस्पताल में बीते एक हफ्ते में कई मरीजों ने बिना जांच के घर जाने से मना कर दिया। मरीजों ने कहा कि पहले उनकी जांच कराई जाए। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें डिस्चार्ज किया जाए। इस बारे में अस्पताल के प्रभारी डॉ. उमा शंकर शर्मा ने बताया कि कुछ मरीज बिना जांच करवाए जाने को तैयार नहीं होते हैं। मरीजों को समझाना पड़ता है। उन्हें बताया जाता है कि सरकार की गाइडलाइन है। विशेषज्ञ भी बिना लक्षण वाले मरीजों को बिना जांच के घर भेजने के लिए कहते हैं।
बिना लक्षण वालों में 50 फीसदी जांच के लिए अड़ते हैं
शारदा अस्पताल में भी बिना लक्षण वाले पॉजिटिव मरीज भर्ती हैं। यहां पर भी ऐसे मरीजों को बिना जांच कराए घर भेजना टेढ़ा काम है। मरीज पहले जांच कराने के लिए कहता है। शारदा अस्पताल में बिना लक्षण वाले मरीजों में से लगभग 50 फीसदी मरीज बगैर जांच कराए घर जाने को तैयार नहीं होते हैं। अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. अजित कुमार ने बताया कि नये नियमों के मुताबिक भर्ती होने के 7 दिन बाद तक अगर कोई लक्षण नहीं मिलता है तो मरीज को बिना जांच के भेज सकते हैं। लेकिन बिना लक्षण वाले मरीज इसके लिए तैयार नहीं होते हैं। वह जांच करवाए बिना जाना नहीं चाहते हैं। मरीजों को समझाने का प्रयास किया जाता है, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं होते हैं।
शहर में दो अस्पताल एल-1 श्रेणी में हैं
ग्रेटर नोएडा में दो अस्पताल एल-1 श्रेणी के हैं। इसमें कैलाश और निम्स अस्पताल शामिल हैं। दोनों 250 बेड हैं। यहां पर बिना लक्षण वाले मरीजों का इलाज किया जा रहा है। यहां से बिना जांच रिपोर्ट के भी मरीजों को घर भेजा जा चुका है। इसके अलावा एल-2 और एल-3 अस्पतालों में भी कुछ बिना लक्षण वाले मरीजों का इलाज किया जा रहा है। कुल मिलाकर बिना लक्षण वाले मरीजों को 1 सप्ताह उपचार देने के बाद बिना टेस्ट करवाए और रिपोर्ट दिखाए घर भेजना बड़ा मुश्किल हो रहा है।