Google Image | प्रतीकात्मक फोटो
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कर्मचारियों की गलती के कारण एक मुस्लिम महिला का शव गाजियाबाद के रहने वाले हिंदू परिवार को सौंप दिया गया। हिंदू परिवार ने गाजियाबाद लाकर शव का अंतिम संस्कार कर दिया। उसके बाद उनसे फोन करके बताया गया कि उन्हें जो शव दिया गया था, वह दिल्ली की एक मुस्लिम महिला का था। दूसरी ओर दिल्ली के मुस्लिम परिवार को गाजियाबाद की महिला का शव दे दिया गया था।
गाजियाबाद की रहने वाली मोहिनी ने बताया, "मेरी मां को कोरोना वायरस का संक्रमण हो गया था। उन्हें उपचार के लिए दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती किया गया था। दुर्भाग्यवश उनकी जान नहीं बच सकी। 5 जुलाई को एम्स में उनका निधन हो गया था। 6 जुलाई की सुबह हमें एम्स ने एक शव दिया था। उसका हमने गाजियाबाद लाकर अंतिम संस्कार कर दिया था।"
उन्होंने आगे बताया, "मुझे अस्पताल से फोन आया कि मां का शव तो अभी मोर्चरी में रखा है। 6 जुलाई की शाम ही स्टाफ मेंबर ने फोन करके यह जानकारी दी। उसने कहा कि मेरी मां का शव अभी अस्पताल की मोर्चरी में रखा जा है, जो शव हमें पहले सौंपा गया था, वह एक मुस्लिम महिला का था। फिर दूसरी हमें मेरी मां का शव दिया गया। जिसका हमने बुधवार को अंतिम संस्कार किया है।" मोहिनी ने एम्स के कर्मचारियों की गलती पर शोक प्रकट किया है।
दूसरी ओर गाजियाबाद की इस महिला का शव दिल्ली के मुस्लिम परिवार को दे दिया गया था। दिल्ली के मुस्लिम परिवार ने शव को दफनाने से पहले देखा तो उन्हें कर्मचारियों की गलती का एहसास हुआ। उन्होंने एम्स को सूचना दी। जिसके बाद यह डेड डेड बॉडी वापस लौट आई गई थी, लेकिन मुस्लिम परिवार को उनकी परिजन की डेड बॉडी एम्स की गलती के कारण नहीं मिल पाई।