Google Image | प्रतीकात्मक फोटो
उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी रेरा) ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। जिसके तहत नोएडा में पहली बार होमबायर्स एसोसिएशन बिल्डर के अधूरे पड़े प्रोजेक्ट को पूरा करेगी। यह आदेश नोएडा के सेक्टर-128 में जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के खिलाफ होम बायर्स एसोसिएशन की ओर से दायर किए गए मुकदमे में यूपी रेरा ने सुनाया है।
यूपी रेरा के आदेश में बताया गया है कि जेपी एसोसिएट्स ने वर्ष 2007 में नोएडा के सेक्टर-128 में क्लेप्सो कोर्ट के नाम से एक आवासीय परियोजना लॉन्च की थी। इस हाउसिंग प्रोजेक्ट में 1,140 फ्लैट बायर्स सम्मिलित हैं। बिल्डर ने 2010-11 में प्रोजेक्ट पूरा करके फ्लैट खरीदारों को घर देने का वादा किया था। जब 2019 तक बिल्डर ने अपना वादा पूरा नहीं किया तो मजबूर होकर फ्लैट बायर्स एसोसिएशन ने यूपी रेरा के सामने याचिका दायर की।
पिछले सप्ताह यूपी रेरा ने बायर्स एसोसिएशन के पक्ष में फैसला सुनाया है। यूपी रेरा के सदस्य बलविंदर कुमार ने कहा, "यूपी रेरा अधिनियम की धारा 7 और 8 के अनुसार यह विकल्प है कि अगर बिल्डर प्रोजेक्ट को निष्क्रिय कर देता है तो अटके हुए प्रोजेक्ट को खरीददारों का संघ पूरा कर सकता है। इस मामले में कंपनी ने अपनी सहमति दे दी है और हमने बायर्स एसोसिएशन को प्रोजेक्ट पर नियंत्रण करने की अनुमति दे दी है।"
इस पूरे मामले में एक और दिलचस्प पहलू है। बायर्स की एसोसिएशन ने जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को ही अधूरे बच्चे 304 फ्लैट पूरे करने के लिए ठेकेदार नियुक्त किया है। इस पूरे मामले पर जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के मैनेजमेंट से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कोई भी जानकारी देने या बात करने से इंकार कर दिया।
फ्लैट बायर्स की एसोसिएशन के अध्यक्ष जयेश पटेल ने कहा, "यूपी रेरा ने हमें जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को एक ठेकेदार के रूप में नियुक्त करने की अनुमति दी है। हमें कंपनी के काम की गुणवत्ता को लेकर कोई समस्या नहीं है। केवल उनकी ओर से की जा रही देरी से हम परेशान हैं। हमने कंपनी को यह काम दे दिया है। दरअसल, वह शुरू से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें इस प्रोजेक्ट को लेकर बेहतर जानकारी है। पैसे की उपलब्धता हमारे पास है। हमें फंड को लेकर कोई समस्या नहीं है। हमें उम्मीद है कि प्रोजेक्ट पर अगले एक सप्ताह में निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।"
आपको बता दें कि यूपी रेरा इससे पहले भी फ्लैट खरीदारों के संघों को इस तरह की जिम्मेदारी दे चुका है। नोएडा के सेक्टर-119 में एक हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए करीब 2 साल पहले बायर्स एसोसिएशन को जिम्मेदारी दी थी, लेकिन उस मामले में बिल्डर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण में चला गया था। जिसके चलते यूपी रेरा का फैसला अटक गया था। पिछले सप्ताह इसी तरह के दो मामले रेरा के सामने पेश किए गए थे। इनमें एक प्रकरण जेपी के केलिप्सो कोर्ट और दूसरा मामला भसीन ग्रुप के फेस्टिवल सिटी से जुड़ा है। भसीन ग्रुप का फेस्टिवल सिटी नोएडा के सेक्टर-143 में है।
इससे पहले ग्रेटर नोएडा में पीएसए इंपैक्स और संपदा लिविया बिल्डर के कई सालों से अटके पड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए यूपी रेरा ने होम बायर्स एसोसिएशन को पेशकश की थी। नोएडा के सेक्टर-143 में भसीन ग्रुप का फेस्टिवल सिटी 25 एकड़ में है। इसमें दुकानें, कार्यालय और आवासीय विला हैं। बिल्डर ने यह प्रोजेक्ट 2012 में लांच किया था और 2016 तक पूरा करके खरीदारों को सौंपना था, लेकिन अब तक बिल्डर ढांचा भी पूरी तरह खड़ा नहीं कर पाया है।
फेस्टिवल सिटी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव निझावन ने कहा कि हमारे पास कोई तकनीकी अनुभव नहीं है और इतनी बड़ी परियोजना को पूरा करने के लिए धन की कमी है। इसलिए हमने यूपी रेरा के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करने का फैसला लिया है। दूसरी ओर इस प्रोजेक्ट के बिल्डर सतेंद्र सिंह भसीन ने कहा कि खरीदार किसी भी मामले में प्रोजेक्ट को टेकओवर नहीं कर सकते हैं। नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक मामला लंबित चल रहा है। जब तक उस प्रकरण की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक इस प्रोजेक्ट से संबंधित कोई भी फैसला अनाधिकृत माना जाएगा।
इसी तरह ग्रेटर नोएडा में संपदा लिविया प्रोजेक्ट के खरीदार भी परियोजना को टेकओवर करने के लिए तैयार नहीं है। इस प्रोजेक्ट को पीएसए इंपैक्स ने लांच किया था। जिसे 2012-13 में पूरा कर देना चाहिए था। प्रोजेक्ट में 750 फ्लैट हैं और इसकी लागत करीब 220 करोड रुपए है। अब तक परियोजना में केवल 10 फ़ीसदी निर्माण हो सका है। खरीदारों की एसोसिएशन के एक सदस्य कपिल चौहान ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को समाप्त करने और खरीदारों को सौंपने के लिए एक ताकतवर एसोसिएशन नहीं है। फिलहाल कोई भी बैंक प्रोजेक्ट के लिए धन नहीं देगा। ऐसे हालात में से कैसे पूरा किया जा सकता है।
यूपी रेरा के सदस्य बलविंदर कुमार ने कहा, "अगर एसोसिएशन हमारे प्रस्ताव पर मना कर देती है तो हमारे पास दूसरा विकल्प किसी डेवलपर को आमंत्रित करना है ऐसे प्रोजेक्ट पूरे करवाने के लिए बिल्डरों की तलाश की जा रही है।"