Noida News : नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बिल्डर बायर एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड करवाने के निर्णय पर क्रेडाई ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। क्रेडाई ने इसे बायर्स का बोझ बढ़ाने वाला निर्णय बताया है। इसका नकारात्मक असर रियल एस्टेट मार्केट के साथ ही रहयल बायर्स पर भी पड़ने के आसार बताए जा रहे हैं।
क्रेडाई के चेयरमैन और गौर ग्रुप के सीएमडी मनोज गौर ने कहा कि यह नियम सही नहीं है, क्योंकि यह घर खरीदने वालों पर बेवजह का आर्थिक बोझ डालता है। खरीदारों को पहले ही बुकिंग के समय बड़ी रकम का इंतजाम करना पड़ता है। दूसरे राज्यों में बिक्री अनुबंध पर मामूली स्टांप पेपर (जो 1,000 से 10,000 रुपये तक का होता है) इस्तेमाल होता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। इस नए नियम में 1 प्रतिशत का गैर-वापसी योग्य रजिस्ट्रेशन शुल्क भी है, जो खरीदारों के लिए सीधा नुकसान है। अगर किसी वजह से बुकिंग रद्द करनी पड़े, तो रिफंड पॉलिसी साफ न होने से भी खरीदारों को परेशानी होगी। 6 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी पहले ही काफी बड़ी रकम है।
उन्होंने बताया कि आमतौर पर किसी भी प्रोजेक्ट में 15-20 प्रतिशत बुकिंग अलग-अलग वजह से रद्द हो जाती हैं। जिसे रेरा भी मानता है, लेकिन इस नए नियम के कारण अगर खरीदारों को अपनी बुकिंग रद्द करनी पड़ी, तो उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। खासकर जब वे पहले से ही किसी वित्तीय संकट से गुजर रहे हों। यह नियम नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे और पूरे राज्य में रियल एस्टेट सेक्टर पर बुरा असर डालेगा, जो राज्य की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। इसलिए, क्रेडाई का मानना है कि इस नियम को लागू नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे राज्य के रियल एस्टेट सेक्टर की बढ़त रुक सकती है।