वेव ग्रुप के चार डायरेक्टरों के खिलाफ एफआईआर का आदेश, 50 लाख की धोखाधड़ी का आरोप

नोएडा | 4 साल पहले | Mayank Tawer

Tricity Today | Wave City Ghaziabad



वेव ग्रुप के 4 डायरेक्टर और जनरल मैनेजर फाइनेंस के खिलाफ अदालत ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश पुलिस को दिया है। वेव ग्रुप की रियल स्टेट परियोजना में 50 लाख रुपये से ज्यादा निवेश करने वाले निवेशक की शिकायत पर यह आदेश दिया है। पुलिस को कहा गया है कि मामले में जांच करके रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए। इससे पहले भी मनप्रीत सिंह चड्ढा समेत उनकी कंपनी के निदेशकों पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है। दूसरी ओर वेव ग्रुप के वीपी कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन मोहित रॉय शर्मा का कहना है कि यह पूरी तरह पारिवारिक विवाद का मामला है। कम्पनी की ओर से इस मामले में नोएडा पुलिस को पूरी जानकारी दी गई है। पीयूष शर्मा ने पहले भी यह शिकायत पुलिस से की थी। तब भी कम्पनी को क्लीन चिट मिली थी।

वेव मेगा सिटी सेंटर के वेव बिजनेस पार्क-1 प्रोजेक्ट के नाम पर 50 लाख रूपये से ज्यादा हड़पने का मामला सामने आया है। बिल्डर पर आरोप है कि उसने रेरा में रजिस्ट्रेशन नहीं होने की बात कहकर दूसरे प्रोजेक्ट में ऑफिस स्पेस शिफ्ट कर दिया। फिर भी कब्जा नहीं दिया गया। सात वर्ष बाद भी प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं हुआ है। बार-बार पैसा मांगने पर भी वापस नहीं किया गया है। एक निवेशक की याचिका पर कोर्ट ने नोएडा सेक्टर-20 कोतवाली पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करके मामले की जांच करने का आदेश दिया है।

पीड़ित निवेशक ने कंपनी के तीन डायरेक्टर, फाइनेंस हेड और अन्य अज्ञात कर्मचारियों को आरोपी बनाया है। एडवोकेट भूपेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड ने वर्ष 2012 में नोएडा के सेक्टर-25 में वेव बिजनेस टॉवर-1 के नाम से प्रोजेक्ट लांच किया था। इस प्रोजेक्ट में नोएडा के सेक्टर-25 में रहने वाले पीयूष शर्मा ने अपनी मां सविता शर्मा और भाई धनंजय शर्मा के नाम से ऑफिस स्पेस नंबर-3जी, 827-डी बुक किए थे। जिनका क्षेत्रफल 745.2 वर्ग फुट था। पीयूष शर्मा कंपनी के साइट ऑफिस पर गए थे। वहां पर डायरेक्टर मनप्रीत सिंह चड्ढा, चरनजीत सिंह, हरमान सिंह खंडारी और फाइनेंस हेड नारायण झा मिले। डायेक्टर ने बताया कि उनके पास प्रोजेक्ट से संबंधित सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर ली गई हैं। सौदा 6500 रूपये प्रति वर्ग गज की दर से तय हुआ था। पीयूष शर्मा ने 5 अप्रैल 2013 को सात लाख रूपये का चैक दिया था। ऑफिस का क्षेत्र बाद में बढ़ाकर 848.4 वर्ग फिट कर दिया था। पीयूष शर्मा, मां सविता शर्मा और धनंजय शर्मा ने कई बार में 50,06,597 रूपये का भुगतान कर दिया गया।

पीयूष शर्मा और कम्पनी के बीच हुए एग्रीमेंट की शर्त के अनुसार वर्ष 2018 तक कब्जा दिया जाना था। आरोप है कि वर्ष 2018 में आरोपियों ने पीयूष शर्मा की मां सविता शर्मा और भाई धनंजय को साइट ऑफिस पर बुलाया और कहा कि प्रोजेक्ट का रेरा में रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है। इसलिए यह प्रोजेक्ट नहीं बन सकता है। आरोपियों ने उनकी प्रॉपर्टी को मेट्रो मार्ट प्रोजेक्ट में शिफ्ट करने को कहा। वह तैयार हो गए। पीड़ित ने मेट्रो मार्ट प्रोजेक्ट में 365 वर्ग फिट एरिया 17,600 रूपये की दर से बुक कराया। जिसके लिए कुल 64,24,000 रूपये का भुगतान किया जाना था। जिसमें से 50,06,597 रूपये भुगतान पहले ही किया जा चुका है। शेष 13,24,000 रूपये का भुगतान कब्जे के समय दिया जाना तय हुआ था।

पीयूष शर्मा का कहना है कि कंपनी प्रबंधन ने जनवरी 2020 तक कब्जा देने का आश्वासन दिया था। आरोप है कि सात वर्ष बीत जाने के बाद इस प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू नहीं किया गया है। काम के नाम पर सिर्फ गड्ढा खुदा हुआ है। प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं होने पीयूष ने अपने पैसे वापस करने की मांग की। लेकिन आज तक वापस नहीं किया गया। पैसे मांगने पर अभद्रता की गई। आरोप है कि इस तरह हजारों निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करके करोड़ों रूपये वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खाते में जमा करा लिया है। इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। अब पीड़ित ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करके जांच करने का आदेश दिया है।

दूसरी तरफ वेव ग्रुप के वीपी (कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन) मोहित रॉय शर्मा का कहना है कि इस मामले में संयुक्त खरीदार संपत्ति के स्वामित्व के मुद्दे पर लड़ रहे हैं। उक्त संपत्ति सविता शर्मा और उनके दो बेटों- पीयूष शर्मा और धनंजय शर्मा ने संयुक्त रूप से खरीदी है। उन्होंने इसके लिए लगभग 50 लाख रुपये का भुगतान किया है। हमने पुलिस और आवेदक को पहले ही सूचित कर दिया है कि हम पूरी राशि का वापस भुगतान करने के लिए तैयार हैं और मामले को कानूनी रूप से निपटारा करेंगे।

मोहित ने कहा, सविता शर्मा और धनंजय शर्मा ने वेव ग्रुप को एक पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि वर्तमान में उन तीनों के बीच पारिवारिक विवाद चल रहा है। इसके लिए कंपनी (वेव समूह) द्वारा उक्त संपत्ति के संबंध में कोई व्यक्तिगत अनुरोध नहीं किया जाना चाहिए। सविता शर्मा और धनंजय शर्मा संयुक्त रूप से इस यूनिट की बुकिंग अपने नाम पर करना चाहते थे और उन्होंने हमें लिखित रूप से सूचित कर दिया है।

वेव ग्रुप ने आगे कहा, सविता शर्मा और धनंजय शर्मा ने पत्र में यह भी आरोप लगाया गया कि पीयूष शर्मा पूरी संपत्ति या भुगतान की गई राशि पर अवैध पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पीयूष शर्मा ने कभी भी धन वापसी के लिए हमसे अनुरोध नहीं किया और कानूनी रूप से उन्हें ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। जैसा कि बुकिंग सविता शर्मा, पीयूष शर्मा और धनंजय शर्मा के संयुक्त नाम से है। 

कम्पनी ने कहा कि इससे पहले पीयूष शर्मा ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत शिकायत दर्ज की थी। हमने नोएडा पुलिस की जांच का जवाब दिया था। पुलिस ने पहले ही हमें क्लीन चिट दे दी थी। इसके बाद पीयूष शर्मा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और माननीय अदालत ने पुलिस को मामले को देखने का निर्देश दिया। हमेशा की तरह हम जांच में सहयोग करेंगे।

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