Tricity Today | Narendra Bhushan IAS, CEO Greater Noida
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में प्रदूषण से निपटने के लिए बड़ी पहल की है। देश में यह कदम उठाने वाला ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पहला सरकारी निकाय बन गया है। अब शहर में ऐसी इमारतों का निर्माण किया जाएगा, जो न केवल प्रदूषण रहित होंगी बल्कि प्रदूषण से निपटने में भी मदद करेंगी। दरअसल, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने शहर का विस्तार करने के लिए मास्टर प्लान 2041 पर काम शुरू कर दिया है। इस नए मास्टर प्लान में प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को शामिल किया जाएगा।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अगले चरण के विकास का खाका खींचना की तैयारी शुरू कर दी है। अब प्राधिकरण मास्टर प्लान 2041 बनाएगा। अभी विकास प्राधिकरण शहर का नियोजन मास्टर प्लान 2021 और 2031 के तहत कर रहा है। मास्टर प्लान 2021 अगले साल समाप्त हो जाएगा और 2031 मास्टर प्लान के लिए भी केवल 10 साल शेष बचे हैं। लिहाजा, प्राधिकरण ने मास्टर प्लान 2041 बनाने की तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी हैं। नया मास्टर प्लान बनाने के लिए जल्दी सलाहकार का चयन किया जाएगा।
गुरुवार को प्राधिकरण ने इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) निकाल दिया है। अगले एक महीने में सलाहकार का चयन हो जाएगा।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने मास्टर प्लान 2041 बनाने के लिए सलाहकार एजेंसी का चयन करेगा। इसके लिए आरएफपी निकाल दिया है। गुरुवार को निकाली गई आरएफपी के मुताबिक 2 नवंबर को प्री-बिड कॉन्फ्रेंस होगी। 18 नवंबर तक आवेदन किए जा सकेंगे। 19 नवंबर को तकनीकी बिड खोली जाएगी। प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार मास्टर प्लान में अनुमानित आबादी के हिसाब से इन्फ्रास्ट्रेक्चर, यातायात के इंतजाम और भू-उपयोग का निर्धारण किया जाएगा। नियोजन और यूपी के विभिन्न विभागों की नीतियों का भी प्रावधान किया जाएगा।
मास्टर प्लान में प्रदूषण नियंत्रण के प्रावधानों का भी पालन कराया जाएगा। इस मास्टर प्लान के तहत शहर में इमारतों, उद्योगों, वाणिज्यिक क्षेत्रों और आवासीय परिसरों का निर्माण इस तरह किया जाएगा कि वहां न्यूनतम प्रदूषण उत्सर्जन हो। यहां बनने वाली इमारतें प्रदूषण घटाने में भी मदद करेंगी। मास्टर प्लान में आर्थिक गतिविधियों और रोजगार के अवसरों के बारे में बताया जाएगा। खास बात यह है कि मास्टर प्लान में स्मार्ट सिटी के प्रावधान किए जाएंगे।
ग्रेटर नोएडा में इंटेलीजेंट ट्रैफिक और ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी तकनीक की मदद से विकसित किए जाएंगे। मास्टर प्लान में बिजली और पानी की क्षेत्रीय योजना भी बनेगी। मतलब, शहर पेयजल आपूर्ति और बिजली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। शहर को जितने पानी और बिजली की आवश्यकता होगी, उसका उत्पादन स्थानीय स्तर पर करने की कोशिश रहेगी। पानी के लिहाज से शहर को जीरो डिस्चार्ज जोन बनाया जाएगा। सड़क से लेकर रेल नेटवर्क का प्रावधान किया जाएगा। रियल एस्टेट और औद्योगिक विकास के लिए अलग रणनीति बनाई जाएगी।
इस बारे में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान पूरे दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ते प्रदूषण ने नई चुनौतियां पैदा की हैं। अभी तक शहरों के सामने ट्रैफिक, पेयजल आपूर्ति और बिजली की सुचारू आपूर्ति बड़ी चुनौती थी, लेकिन अब प्रदूषण से निपटना सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। लिहाजा, मास्टर प्लान 2041 में ऐसे प्रावधानों को समाहित किया जाएगा, जिनके जरिए प्रदूषण से निपटने में मदद मिले। आपको बता दें कि पिछले 10 दिनों से ग्रेटर नोएडा शहर देश टॉप-5 प्रदूषित शहरों में है।