हार्ट का ऑपरेशन अब बिना सर्जरी के संभव : मैक्स हॉस्पिटल

नोएडा | 4 साल पहले | Agency

Tricity Today | नोएडा मीडिया क्लब में प्रेस वार्ता करते हुए मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली के डॉक्टर



हृदय रोगियों के लिए वाल रिप्लेसमेंट का ईलाज अब सर्जरी किये बिना संभव हो गया है। साथ ही हृदय खराब होने पर आर्टिफिशल हार्ट सर्जरी की जा रही है। यह सर्जरी मैक्स हॉस्पिटल साकेत दिल्ली में अब तक 25 लोगों की जा चुकी है।

यह जानकारी शनिवार को नोएडा मीडिया क्लब सेक्टर-29  में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान डॉ. विवेका कुमार, वरिष्ठ निर्देशक हृदय रोग विभाग मैक्स अस्पताल और डॉ. केवल कृष्ण ने दी। उन्होंने बताया कि ओपन हार्ट सर्जरी से ईलाज करना जोखिम भरा कदम है। लेकिन मौजूदा समय में अनुसंधान के कारण हम एक बेहतर और सुरक्षित विकल्प की ओर हैं।

उन्होंने कहा कि भारत में हार्ट की बीमारी बढ़ रही है। इसका मुख्य कारण शुगर के मरीज अधिक हैं। अब नई तकनीक के ईजाद होने से बगैर हार्ट को ओपेन किये बिना उसे बदल सकते हैं। खास बात यह है कि, इस तकनीकी से 90 साल उम्र तक के व्यक्ति भी इसका लाभ ले सकते है। जबकि पहले ऐसा संभव नहीं था।
 
डॉक्टरों ने बताया कि, हार्ट का समय पर ईलाज ने होने पर शरीर की शक्तियां क्षीण होने लगती है। उसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है। जिससे हार्ट पूरी तरह खराब हो जाता है. अब आर्टिफिशियल हार्ट बनने से और उसका उपयोग होने से रिक्स कम हो गया है।

उन्होंने बताया कि मैक्स अस्पताल दिल्ली साकेत द्वारा अब तक 20 आर्टिफिशियल हार्ट का ऑपरेशन कर लोगों को नया जीवनदान दिया। इस सर्जरी से 15 से 20 वर्ष तक व्यक्ति आसानी से जिंदा रह सकता है। इस आर्टिफिशियल हार्ट लगाने में 90 लाख रुपए का खर्च आता है।

उन्होंने बताया कि, यह तकनीक 2002 में फ्रांस में प्रयोग किया गया था और 2011 में इसका लाइसेंस जारी हुआ।भारत में 2016 में लाइसेंस मिला। अब भारत की 2 कंपनियां इसे बनाने में जुटी है। अभी यह आर्टिफिशियल हार्ट यूएसए में बनाया जा रहा है। अब इस पर भारत में भी खोज की जा रही है और इस पर कार्य चल रहा है। भारत में  इस को बनने में मात्र 20 लाख रुपए खर्च आएंगे।  
     
हार्ट् के सम्पूर्ण ईलाज यानी आर्टिफिशियल हार्ट में तकरीब 90 लाख का खर्च होते हैं। लेकिन भविष्य में कम खर्च होंगे। इसी तरह उन्होंने अधिकांश दिल के वाल्वों की मरम्मत या रिप्लेसमेंट बिना दिल के सर्जरी के हो रहे हैं। जिन पर वॉल बदलने में 10 लाख खर्च आता है।

डॉ विवेका कुमार ने कहा कि, नई तकनीक एक सुरक्षित प्रक्रिया, कम मृत्यु प्रतिशत, अस्पताल से जल्दी छुट्टी एवं स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे पर कम खर्च एवं हाई बोझ रिस्क मरीजों का बिना ऑपरेशन वाल्व रिप्लेसमेंट एक गेम चेंजर है।

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