घर की बालकनी या आंगन में अंधेरा है तो लग सकता है पितृदोष, जानिए निवारण

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अक्सर यह देखा गया है कि सूरज ढलने के बाद कई लोगों के घरों में कुछ स्थानों पर रोशनी नहीं जलाई जाती है। या फिर जब उन स्थानों का प्रयोग होता है उसी वक्त रोशनी का भी प्रयोग कर बल्ब को बंद कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति में ज्योतिषाचार्य और वास्तु विशेषज्ञ पितृदोष की स्थिति पनपने की बड़ी वजह मानते हैं।

कर्मकांड विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री आचार्य उत्तम लक्ष्मीकांत तिवारी ने बताया कि गरुड़ पुराण और यजुर्वेद के अनुसार घर का केंद्रीय मुख्य भाग ऐसा स्थान होता है जहां पर पितरों का वास माना जाता है। घर के मुख्य भाग के रूप में घर का आंगन, घर की बालकनी, खाना खाने का स्थान या फिर घर का मुख्य द्वार प्रमुख है। पितरों के लिए अपनी संतानों का घर विश्राम करने का सबसे सरल माध्यम है। ऐसी स्थिति में हमारे पूर्वज यदि पृथ्वी लोक आकर हमारे घरों को विश्राम के रूप में चुनते हैं तो कुछ समय के लिए इन्हीं स्थानों पर आकर वास करते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के यह मुख्य स्थानों पर यदि शाम के बाद अंधेरा रहता है तो इससे हमारे पितृ नाराज होते हैं और जातक की कुंडली में पितृदोष जैसी समस्याएं सामने आने लगती हैं।

ऐसे लगता है पितृदोष

जानकार बताते हैं कि कुंडली का दूसरा और सातवां भाग मार्केश की स्थिति बनाते हैं। ऐसे में राहु और केतु के अंतर्गत आने वाले सभी शुभ ग्रह यानी सूर्य गुरु शनि के परिणाम के रूप में कुंडली में पितृदोष दोष विद्यमान होता है। घर के मुख्य स्थानों पर अंधेरा होने की वजह से घर में नकारात्मक ऊर्जा बस जाती है। ऐसे में हमारे मन की व्याकुलता से कुंडली में व्याप्त शुभ ग्रह भी प्रभावित होते हैं। परिणाम स्वरूप 57 दिन के भीतर कुंडली में पितृदोष दोष उत्पन्न हो जाता है।

व्यापार रोजगार में होता है नुकसान

पितृदोष के कुंडली भारत आते ही जातक जिस कार्य को कर रहा होता है उसमें लगातार नुकसान उठाने लगता है। सकारात्मक परिस्थितियों में भी जब उसके साथ के लोग सफलता हासिल कर रहे होते हैं पितृदोष की वजह से जातक परेशानियों का सामना कर रहा होता है।

परिवार में बढ़ता है क्लेश

यदि पितृदोष जातक की कुंडली पर व्याप्त है तो परिवार में अनावश्यक रूप से प्लेस बढ़ने लगता है। परिवार के सभी सदस्यों के संबंधों में मधुरता होने के बावजूद छोटी-छोटी बातों में विवाद जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है।

यह करें उपाय

  1. - पितृदोष से बचने के लिए घर के मुख्य स्थानों पर शाम के समय उजाला करना चाहिए
  2. - यदि 1 घंटे से ज्यादा मुख्य स्थानों पर अंधेरा है तो या पितृदोष का कारक साबित हो सकता है
  3. - यदि ऐसे मकान पर रह रहे हैं जहां लंबे समय से अंधेरा हो या मकान बंद हो तो वहां पर 41 दिन तक लगातार मुख्य स्थान पर सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए
  4. - यदि ऐसे स्थान पर रह रहे हैं जहां पर जीना या सीढ़िया कई लोग इस्तेमाल करते हैं तो उस घर में शिव का पूजा जरूर होना चाहिए
  5. - गोधूलि के समय से ही घर में मुख्य स्थानों पर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए

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