Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर तमाम अमला लोगों से आरोग्य सेतु एप मोबाइल में डाउनलोड करने के लिए अपील कर रहा है। यह ऐप कोरोनावायरस से जुड़ी तमाम जानकारियां देता है। सरकार का यह भी दावा है कि इसके उपयोग से लोग संक्रमण की चपेट में आने से बच सकते हैं। अब गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने आदेश जारी कर दिया है कि अगर आपके पास स्मार्टफोन है और उसमें आरोग्य सेतु एप डाउनलोड नहीं किया है तो इसे अपराध माना जाएगा।
गौतमबुद्ध नगर के अपर पुलिस उपायुक्त (कानून एवं व्यवस्था) आशुतोष द्विवेदी ने रविवार की रात जिले में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत एक अधिसूचना जारी की है। जिसमें उन्होंने 4 तारीख से शुरू हुए लॉकडाउन के तीसरे चरण में लोगों को क्या करना है और क्या नहीं करना है, इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी है। इसी आदेश में एक बिंदु यह भी है कि अगर गौतम बुद्ध नगर के निवासियों के पास स्मार्टफोन है और उसमें आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करके रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया है तो इसे कानूनन जुर्म माना जाएगा।
आदेश में लिखा गया है कि ऐसे स्मार्टफोन धारक के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में गौतम बुद्ध नगर जिला आरोग्य सेतु एप के मामले में अव्वल है। गौतम बुद्ध नगर में सबसे ज्यादा लोगों ने आरोग्य सेतु एप डाउनलोड किए हैं और उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। अब गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने इसे स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए अनिवार्य कर दिया है। इससे उम्मीद है कि जिले में बड़ी संख्या में लोग आरोग्य सेतु एप का उपयोग करेंगे।
आरोग्य सेतु एप को लेकर आशंकाएं भी हैं
दूसरी ओर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी आरोग्य सेतु एप को लेकर सशंकित हैं। उनका कहना है कि यह एक एजेंसी के माध्यम से तैयार किया गया है और संचालित किया जा रहा है। जिसके कारण डाटा चोरी का खतरा उत्पन्न हो सकता है। लोगों की निजी जानकारियां कुछ विशेष लोगों तक पहुंच सकती हैं। लोगों पर नजर रखी जा सकती है और उनकी गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सकता है।
क्या कानूनी कार्रवाई हो सकती है
गौतमबुद्ध नगर के सीनियर लॉयर अलबेल भाटी का कहना है, आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करना अनिवार्य है, यह आदेश गौतम बुद्ध नगर पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 144 के तहत जारी किया है। इसका उल्लंघन करने पर भारतीय दंड विधान (IPC) की धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।
सबसे पहले जान लें कि कोरोनावयारस से लड़ने के लिए लॉकडाउन की घोषणा महामारी कानून ( Epidemic Diseases Act, 1897) के तहत लागू किया गया है। इसी कानून में प्रावधान किया गया है कि अगर लॉकडाउन में सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का कोई व्यक्ति उल्लंघन करता है, तो उस पर भारतीय दंड संहिता (IPC - Indian Penal Code) की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
1897 के महामारी कानून (Mahamari Act) के सेक्शन 3 में इस बात का जिक्र किया गया है कि अगर कोई प्रावधानों का उल्लंघन करता है, सरकार, कानून के निर्देशों-नियमों को तोड़ता है, तो उसे आईपीसी की धारा 188 के तहत दंडित किया जा सकता है। इस संबंध में किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा दिए निर्देशों का उल्लंघन करने पर भी आपके खिलाफ ये धारा लगाई जा सकती है।
यहां तक कि किसी के ऊपर ये धारा लगाने व कानूनी कार्रवाई करने के लिए ये भी जरूरी नहीं कि उसके द्वारा नियम तोड़े जाने से किसी का नुकसान हुआ हो या नुकसान हो सकता हो। अगर आपको सरकार द्वारा जारी उन निर्देशों की जानकारी है, फिर भी आप उनका उल्लंघन कर रहे हैं, तो भी आपके ऊपर धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
क्या मिल सकती है सजा
IPC की धारा 188 के तहत दो प्रावधान हैं। पहला- अगर आप सरकार या किसी सरकारी अधिकारी द्वारा कानूनी रूप से दिए गए आदेशों का उल्लंघन करते हैं, या आपकी किसी हरकत से कानून व्यवस्था में लगे शख्स को नुकसान पहुंचता है, तो आपको कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।
दूसरा प्रावधान है कि अगर आपके द्वारा सरकार के आदेश का उल्लंघन किए जाने से मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा आदि को खतरा होता है, तो आपको कम से कम 6 महीने की जेल या 1000 रुपये जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।
क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC 1973) के पहले शेड्यूल के अनुसार, दोनों ही स्थिति में जमानत मिल सकती है और कार्रवाई किसी भी मैजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।