गुर्जर आरक्षण आंदोलन के मद्देनजर भरतपुर में इंटरनेट सेवाएं बंद करने का आदेश, धारा 144 लागू

देश | 4 साल पहले | Rakesh Tyagi

Google Image | Gurjar reservation movement



राजस्थान का गुर्जर समाज आरक्षण की मांग करते हुए शनिवार से एक बार फिर आंदोलन की शुरुआत करेगा। जिसके मद्देनजर भरतपुर में इंटरनेट सेवाएं बंद करने का प्रशासन ने फैसला लिया है। भरतपुर संभाग के आयुक्त की ओर से एक आदेश जारी किया गया है। जिसमें गुरुवार की रात 12:00 बजे से शुक्रवार की दोपहर 12:00 बजे तक इंटरनेट सेवाओं को बंद करने का आदेश सभी सर्विस प्रोवाइडर्स को दिया गया है। संभागीय आयुक्त का मानना है कि इंटरनेट सेवाओं के बहाल रहने से अफवाह फैल सकती हैं। भ्रामक सूचनाओं का बढ़ा चढ़ाकर प्रचार-प्रसार किया जा सकता है। जिसकी वजह से गुर्जर आंदोलन के दौरान कानून व्यवस्था को नुकसान हो सकता है।

आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान का गुर्जर समाज शनिवार को आंदोलन करेगा। इसके लिए प्रदेश सरकार और प्रशासन ने कमर कस ली है। खासतौर से भरतपुर में व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। भरतपुर संभाग के आयुक्त ने शुक्रवार की देर शाम एक आदेश जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि रात 12:00 बजे से शनिवार की दोपहर 12:00 बजे तक 12 घंटों के लिए इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद रखी जाएंगी। यह आदेश सभी इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों को भेजा गया है। संभागीय आयुक्त का कहना है कि लोग तरह-तरह की वीडियो बनाकर व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित कर रहे हैं। लोग आंदोलन से जुड़ी सूचनाएं बढ़ा चढ़ाकर प्रसारित कर रहे हैं। जिससे भ्रम फैल रहा है। ऐसी स्थिति में कभी भी कानून-व्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो सकता है। लिहाजा हालात को नियंत्रण में रखने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद करने का फैसला लिया गया है।

दूसरी ओर पूर्व में गुर्जर आंदोलन के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने रेलवे स्टेशनों, रेलवे लाइन, नेशनल हाईवे और दूसरे संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा इंतजाम चौकस कर दिए हैं। रेलवे लाइन और नेशनल हाईवे पर पुलिस बल तैनात किया गया है। आपको बता दें कि पिछली बार हुए गुर्जर आंदोलन के दौरान रेलवे लाइनों को उखाड़ दिया गया था। कई पुलों और नेशनल हाईवे को भी नुकसान पहुंचाया गया था। दरअसल, राजस्थान का गुर्जर समाज लंबे अरसे से अनुसूचित जाति और जनजातियों की तरह आरक्षण की मांग कर रहा है। गुर्जर समाज का तर्क है कि उनके पास राजस्थान में संसाधनों का अभाव है। समाज गरीबी रेखा के नीचे है। इसके बावजूद दूसरी जातियों के मुकाबले उन्हें क्रीमी लेयर में रखा गया है। जिसके चलते गुर्जर समाज के युवकों को नौकरियां नहीं मिलती हैं।

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