कल्याण सिंह का आज जन्मदिन है : मोदी ने बधाई दी, जानिए उनके बारे में कुछ ख़ास बातें

न्यूज़ | 3 साल पहले | Mayank Tawer

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आज उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का जन्मदिन है। वह आज 89 वर्ष के हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार की सुबह उन्हें बधाई दी है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि राज्य में सीएम रहते उनके परिवर्तन की दिशा में किये गये कल्याण कार्य प्रशंसनीय हैं। 

नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि, “श्री कल्याण सिंह से फोन पर बात कर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। उनका जीवन जनसेवा और गरीबों को सशक्त बनाने के लिये समर्पित रहा है। कल्याण सिंह जी उत्तर प्रदेश के परिवर्तन की दिशा में किए गए अथक प्रयासों के लिए प्रशंसा के पात्र हैं। उनके दीघार्यु और स्वस्थ जीवन की मंगलकामना करता हूं।”

कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता हैं। वह राज्य के दो मर्तबा मुख्यमंत्री के अलावा राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं। आपको बता दें कि अपने समर्थकों के बीच बाबूजी के नाम से मशहूर कल्याण सिंह का जन्म 05 जनवरी 1932 को अलीगढ़ जिले के अतरौली गांव में हुआ था।

बाबूजी कल्याण सिंह ने अपने जीवन का पहला चुनाव विधायक के रुप में जनसंघ से 1962 में दीपक के चुनाव चिन्ह पर लड़ा था। मगर उसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। हार मिलने के बाद भी बाबू जी ने हिम्मत नहीं हारी। उसके उपरांत 1967 में बाबूजी चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की। बाबू जी विधानसभा क्षेत्र अतरौली के 10 बार विधायक रहे। जबकि दो बार बुलंदशहर व एटा के सांसद के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्री भी रहे।

तीन बार मुख्‍यमंत्री बने
कल्याण सिंह सूबे के तीन बार मुख्यमंत्री रहने के साथ राजस्थान के राज्यपाल रहे। बाबूजी ने राजनीति की ऊंचाइयों तक पहुंचकर गांव समेत लोधी समाज का नाम रोशन किया है। कल्याण सिंह राजनीति की बुलंदियों को छूते गए और  पहली बार  भारतीय जनता पार्टी से 1991 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। करीब एक साल तक बाबूजी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान रहे। उसी दौरान बाबरी मस्जिद के ढांचा टूटने पर उन्होंने कुर्सी को छोड़ दिया।

कल्याण सिंह किसानों के प्रति अपनी भावनाओं को बहुत व्यक्त करते थे। वह हमेशा किसानों के पक्ष में भी फैसला लिया कहते थे। कल्याण सिंह ने अपनी किताब 'किसानों का अधिकार' एक सार्थक रचना है।कल्याण सिंह ने वाराणसी जेल में रहते हुए उनकी रचनाएं वैचारिक प्रतिबद्धता और सरोकारों का जीवन्त दस्तावेज है। उनके गीतों में मानव समाज के स्वाभाविक संघर्ष, हलचल, रूपांतर और राजनीतिक परिवर्तनों को लेकर जो एक क्रमशः इतिहास रचा गया है-वह उनके पाठकों को एक खास तरह से प्रकाशित हुई है जिसमें उनकी छवि एक कवि के रूप में उभर सके, फिर भी उनके पाठक और प्रशंसक हैं।

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