दिग्गज नेता जसवंत सिंह का निधन, अटल सरकार में कद्दावर मंत्री थे

देश | 4 साल पहले | Harish Rai

Google Image | जसवंत सिंह



दिग्गज नेता और अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में महत्वपूर्ण मंत्रालयों को संभालने वाले जसवंत सिंह का रविवार की सुबह निधन हो गया है। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से गतिरोध के चलते उन्हें पार्टी से निष्कासित भी कर दिया गया था। हालांकि, जसवंत सिंह के बेटे अभी भारतीय जनता पार्टी में हैं और केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं। जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा तक ने शोक संवेदना व्यक्त की हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जसवंत सिंह को अलग तरह की और समांतर राजनीति का प्रणेता बताया है।

जसवंत सिंह का जन्म 3 जनवरी 1938 में हुआ था। वे मई 16, 1996 से जून 1, 1996 के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्तमंत्री रहे थे। 5 दिसम्बर 1998 से 1 जुलाई 2002 के दौरान वे वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री रहे थे। फिर साल 2002 में यशवंत सिन्हा की जगह वे एकबार फिर वित्तमंत्री बने और इस पद पर मई 2004 तक रहे। वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने बाजार-हितकारी सुधारों को बढ़ावा दिया।

वे उदारवादी नेता माने जाते थे। 15वीं लोकसभा में वे दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए थे। वे राजस्थान में बाड़मेर जिले के जसोल गांव के निवासी थे और 1960 के दशक में वे भारतीय सेना में अधिकारी रहे थे। पंद्रह साल की उम्र में वे भारतीय सेना में शामिल हुए थे। वे जोधपुर के पूर्व महाराजा गज सिंह के करीबी माने जाते थे। जसवंत सिंह मेयो कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़कवासला के छात्र थे। 2001 में उन्हें "सर्वश्रेष्ठ सांसद" का सम्मान मिला था। 19 अगस्त 2009 को भारत विभाजन पर उनकी किताब जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडेपेंडेंस में नेहरू-पटेल की आलोचना और जिन्ना की प्रशंसा के लिए उन्हें उनके राजनीतिक दल भाजपा से निष्कासित कर दिया गया और फिर वापस लिया गया था।

भाजपा ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में राजस्थान के बाड़मेर-जैैैसलमैैर लोकसभा संसदीय क्षेत्र से उन्हें टिकट नहीं दिया था। इसके विरोध में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। उन्हें इस बगावत के लिए छह साल पार्टी से निष्कासित किया गया था। जसवंत सिंह भारतीय राजनीति के उन थोड़े से राजनीतिज्ञों में से हैं, जिन्हें भारत का रक्षा मंत्री, वित्तमंत्री और विदेश मंत्री बनने का अवसर मिला। वे वाजपेयी सरकार में भारत के विदेश मंत्री बने, बाद में यशवंत सिन्हा की जगह उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया था।

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