नोएडा और यमुना प्राधिकरण पर 6 अरब का फैसला जल्दी आएगा, जानिए पूरा माजरा

नोएडा | 4 साल पहले | Mayank Tawer

Tricity Today | नोएडा और यमुना प्राधिकरण पर 6 अरब का फैसला जल्दी आएगा



Noida और Yamuna Expressway Authority पर आयकर विभाग का करीब 6 अरब रुपए टैक्स बकाया है। यह Income Tax नहीं भरने के लिए दोनों विकास प्राधिकरण ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट में इस मामले में गेंद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है। अगले 6 सप्ताह में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CDBT) और केंद्र सरकार को यह फैसला लेना है। अगर केंद्र सरकार विकास प्राधिकरण को वाणिज्यिक संस्थान मानती है तो यह भारी भरकम रकम बतौर टैक्स चुकानी पड़ेगी। अगर सरकार में विकास प्राधिकरण को गैर वाणिज्यिक संस्था मान लिया तो शहर को बड़ा फायदा होगा।

नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को आयकर अधिनियम-1961 के तहत आयकर में छूट देने के बारे में दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को 12 सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया है। नोएडा की यह मांग पिछले 9 साल से और यमुना विकास प्राधिकरण की पिछले छह साल से  केंद्र सरकार के पास लंबित है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को पहले ही कर में छूट दे दी गई है।

सीबीडीटी में दोनों प्राधिकरण की मांग कई सालों से लंबित है

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस मनमोहन और संजीव नरूला की पीठ ने नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिक प्राधिकरण (नोएडा) और यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) की याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया है। पीठ ने कहा है कि सीबीडीटी में दोनों प्राधिकरण की मांग कई सालों से लंबित है। इसलिए सीबीडीटी को निर्देश दिया जाता है कि कानून के तहत 12 सप्ताह के भीतर दोनों प्राधिकरणों को कर में छूट देने की मांग पर समुचित निर्णय ले।

न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिक प्राधिकरण (नोएडा) और यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ओर से अधिवक्ता जसमित सिंह ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर आयकर में छूट देने की मांग की थी। उन्होंने पीठ को बताया कि आयकर अधिनियम की धारा 10(46) के तहत कर में छूट देने की मांग सीबीडीटी के समक्ष क्रमश: 2011 और 2014 में लंबित हैं। 

प्राधिकरणों ने दवा किया, वह गैर वाणिज्यिक संस्था हैं

उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल गैर वाणिज्यिक संस्थान हैं। ऐसे में कानून के तहत आयकर और अन्य कर में स्थानीय निकायों की तर्ज पर छूट दिया जाना चाहिए। दोनों प्राधिकरणों ने इसके लिए वर्ष 2018 के उच्च न्यायालय में हुए फैसले का हवाला दिया है। जिसमें ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को गैर वाणिज्यिक संस्थान घोषित किया गया है। उच्च न्यायालय के इस फैसले को केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बहाल रखते हुए सरकार की अपील को खारिज कर दिया था। इस मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के वकील थे। इसी आधार पर नोएडा और यमुना प्राधिकरण को भी गैर वाणिज्यिक संस्थान घोषित करते हुए आयकर व अन्य कर में छूट देने की मांग की गई है।

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को यह छूट मिल चुकी है

इस तरह के मामले में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने सीडीबीटी और केंद्र सरकार से 10 साल तक मुकदमा लड़ा था। जिसमें प्राधिकरण को कामयाबी मिली थी। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को करीब 250 करोड़ रूपये का फायदा मिल गया था। उच्च न्यायालय और बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को गैर वाणिज्यिक संस्थान घोषित किया। जिसके बाद सीबीडीटी ने कर में छूट दे दी है। प्राधिकरण की ओर से उच्च न्यायालय में पेश अधिवक्ता जसमीत सिंह ने बताया कि इस बारे में संबंधित विभाग ने जून, 2020 में अधिसूचना जारी करके ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को कर में छूट दे दी है।

गैर वाणिज्यिक संस्थान घोषित होने से बड़ा लाभ होगा

  1. दोनों विकास प्राधिकरण को करीब 600 करोड़ रूपये की किफायत मिलेगी। अभी नोएडा प्राधिकरण पर करीब 400 करोड़ रूपये और यमुना प्राधिकरण पर 200 करोड़ रूपये आयकर बकाया है।
  2. अभी दोनों विकास प्राधिकरणों की आय का मुख्य श्रोत जमीन की बिक्री है। इस पर आयकर विभाग टैक्स लेता है। यह छूट मिलने के बाद कोई आयकर नहीं देना पड़ेगा।
  3. नगरीय सेवाओं पर होने वाले खर्च पर प्राधिकरण को भी फिलहाल कंपनियों की तरह सर्विस टैक्स, जीएसटी का भुगतना करना पड़ता है। गैर वाणिज्यिक संस्थान घोषित किए जाने पर प्राधिकरण को नगर निकाय और स्वायत्त संस्था का दर्जा मिल जाएगा। नगरीय सेवा पर होने वाले खर्च पर टैक्स नहीं देने होगा।

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