Tricity Today | मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक ओहरी
कोरोना वायरस का संक्रमण जिले में दिनों दिन तेजी से फैल रहा है। इसी बीच जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक ओहरी भी कोरोना संक्रमित हो गए हैं। वह अपना इलाज करवाने के लिए नोएडा सेक्टर-62 के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती हैं। सीएमओ के सरकारी अस्पताल में भर्ती ना होकर एक बड़े निजी अस्पताल में भर्ती होना शहर में एक बड़ा मुद्दा बन गया है। शहर के सामाजिक कार्यकर्ता और विपक्ष के नेता सवाल खड़े कर रहे हैं।
इन लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में बताई जा रहीं सुविधाएं नहीं हैं या फिर जिले के सीएमओ को अपनी ही बनाई व्यवस्थाओं और टीम पर भरोसा नहीं है। जिसका जवाब स्वास्थ्य विभाग से देते नहीं बन पा रहा है। जिले में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आगरा से डॉ दीपक ओहरी को जिले का सीएमओ बनाकर भेजा था। वहीं, उनकी काबलियत और अनुभव के आधार पर जल्दी जिले में संक्रमण की रोकथाम का भरोसा जताया था। लेकिन उनके आने के बाद जिले में हालात थमने की बजाय दिनोंदिन बिगड़ते ही गए हैं। अब तो वह खुद ही कोरोनावायरस की चपेट में आ गए हैं।
बीते शनिवार को सीएमओ डॉ दीपक ओहरी खुद भी कोरोना संक्रमित हो गए। जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जैसे ही यह खबर रविवार को लोगों को मिली तो विपक्षी दलों के लोगों ने इसे मुद्दा बना लिया। राजनीतिक लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन सभी दावे केवल कागजों तक ही सीमित हैं। यही वजह है कि जिले के सीएमओ डॉ दीपक ओहरी अपनी ही बनाई व्यवस्थाओं को नजरअंदाज कर सरकारी अस्पताल में भर्ती ना होकर निजी अस्पताल में भर्ती हुए हैं।
स्वास्थ विभाग के डॉक्टर अफसर भी सीएमओ के फैसले से हैरान
वहीं, स्वास्थ्य विभाग के कई डॉक्टर और अधिकारी तक तो दबी जुबां से नाम नहीं छापने की शर्त पर यह तक कह रहे हैं कि जब उन्हें ही अपनी टीम पर भरोसा नहीं है तो आम लोग ऐसे संकट के समय में सरकारी डॉक्टरों व व्यवस्थाओं पर कैसे भरोसा करेंगे। कुल मिलाकर स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर और सीएमओ के साथ काम करने वाले अधिकारी भी उनके इस फैसले से हैरान और परेशान हैं।
जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के दावे हवा-हवाई हैं: सपा
इस संबंध में सपा के प्रवक्ता राजकुमार भाटी का कहना है कि जिले के सरकारी कोविड अस्पतालों की व्यवस्थाओं को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। कई सारे लोग खाने और सफाई आदि की वीडियो तक बनाकर भेज चुके हैं। लेकिन सीएमओ से लेकर प्रशासन के अधिकारी और सरकार में बैठे लोग लगातार उन आरोपों को नकारते आ रहे थे। लेकिन सीएमओ डॉ दीपक ओहरी के कोरोना संक्रमित होने के बाद निजी अस्पताल में भर्ती होने के से सरकारी व्यवस्थाओं की पोल खुल गई है। राजकुमार भाटी का आगे कहना है कि यदि सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं इतनी ही अच्छी हैं तो सीएमओ को खुद भी सरकारी अस्पातल में भर्ती होना चाहिए था। जिससे कि आम जनता में भी सरकारी व्यवस्थाओं को लेकर और अधिक भरोसा जगता।
सरकार और प्रशासन केवल आंकड़ों की बाजीगरी कर रहे हैं: कांग्रेस
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के महासचिव और मेरठ सहारनपुर मंडल के प्रभारी वीरेंद्र गुडडू का कहना है कि सरकार केवल आंकड़ों की बाजीगरी पर काम कर रही है। सरकार का व्यवस्थाओं पर कोई ध्यान नहीं है। यदि सरकारी कोविड अस्पतालों में व्यवस्थाएं अच्छी हैं तो सीएमओ डॉ दीपक ओहरी को जिले के किसी भी सरकारी कोविड अस्पताल में भर्ती होकर मिशाल पेश करनी चाहिए थी। लेकिन वह खुद निजी अस्पताल में भर्ती हो गए। यह साफ हो गया है कि विभाग के लोग सरकारी पैसे की बंदरबांट करने में लगे हैं। वहीं, लोग जो आए दिन आरोप लगा रहे हैं कि सरकारी कोविड अस्पतालों में पीने के लिए पानी नहीं है और खाने के लिए गुणवत्तायुक्त खाना नहीं है, अब साफ है कि उनके आरोप एकदम सही हैं। इसपर सरकार को एक्शन में आना चाहिए।
प्रति मरीज रोजाना खाने का खर्च एक तिहाई किया गया
इतना ही नहीं हाल ही में सरकारी कोविड अस्पताल से ठीक होकर लौटे एक व्यक्ति ने तो यहां तक आरोप लगाए हैं कि सीएमओ डॉ दीपक ओहरी ने जिले में तैनाती पर आने के बाद कोविड अस्पतालों में खाने की क्वालिटी को काफी हद तक घटा दिया था। जबकि कोविड अस्पतालों में पहले 240 रुपए में दो टाइम का खाना और नास्ता आदि आता था। अब मात्र 80 रुपए में मंगाया जा रहा है। जिसके चलते क्वालिटी बहुत खराब आ रही है। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों को फोन किया गया, लेकिन कोई बोलने को तैयार नहीं हुआ। जिसके चलते हम इस आरोप की पुष्टि नहीं कर रहे हैं।