Noida News : नोएडा एक ऐसा शहर जिसे स्मार्ट सिटी के साथ-साथ देश की औद्योगिक सिटी भी कहा जाता है। एक ऐसी जगह जहां रोज अलग-अलग जगहों से लाखों लोग अपने सपने पूरे करने आते हैं। लेकिन जब लोग इस स्मार्ट सिटी में अपने कदम रख रहे हैं, तो वायु प्रदूषण की वजह से उनकी सांसे अटक रही हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका सबसे बड़ा जिम्मेदार और कोई नहीं बल्कि नोएडा अथॉरिटी और CPCB नोएडा है। दोनों संस्थानों की लापरवाही के कारण नोएडा के लोगों को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
लापरवाही के कारण लाखों जान खतरे में
CPCB के पोर्टल पर नोएडा प्राधिकरण के नोडल अधिकारी का नाम है, ओएसडी डॉक्टर अविनाश त्रिपाठी, जिनका तबादला हुआ प्राधिकरण से तकरीबन 1 साल हो गया, लेकिन आज तक भारत सरकार के पोर्टल पर यह अपडेट नहीं हुआ। वहीं, अभी तक इनके द्वारा साइंटिफिक स्टडी ही नहीं की गई है कि नोएडा में प्रदूषण के सोर्सेज की परसेंटेज कितनी है। 10 साल से काम चल रहे हैं लेकिन अभी तक इनके द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। CPCB NCAP portal पर दिया गया सिटी एक्शन प्लान तकरीबन 4-5 साल पुराना है। उस प्लान में 2018 के बाद का कोई डाटा नहीं है। पैसे होते हुए प्रदूषण विभाग द्वारा उसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
पॉल्यूशन के असली कारण पता नहीं
नोएडा में पॉल्यूशन के असली कारण क्या है और उनकी परसेंटेज क्या है, इसे लेकर कोई साइंटिफिक स्टडी नहीं की गई है। फिर ऐसे में शहर के लोगों को पॉल्यूशन से निजात कैसे मिलेगी। बताया जा रहा है कि पॉल्यूशन विभाग के पास स्टाफ की कमी जो काफी समय से चल रही है खासकर नोएडा में। जिसके कारण पॉल्यूशन के नियम कड़ी तरह से लागू नहीं हो पा रहे हैं।
पैसों का नहीं हो रहा सही उपयोग
प्राधिकरण को 3 साल में 30 करोड़ रुपए मिले। साल 21-22 में तकरीबन 7 करोड़ साल 22-23 में 15 करोड़ 23-24 में 9 करोड़ खर्च। पिछले साल- 2 साल से तो पैसे को हाथ नहीं लगाया। वहीं, प्रदूषण पर जुर्माना लगाकर जो पैसा इकट्ठा किया जाता है उसका उपयोग सही से नहीं होता यह उपयोगी नहीं हो रहा, उसका कोई उत्तर नहीं है। प्रदूषण विभाग जुर्माना लगा देता है और उसकी रिकवरी नहीं होती।
यह है उपाय
1. बारिश नहीं हुई है तो पेड़ों पर बहुत धूल जम चुकी है पूरे शहर में गौतम बुद्ध नगर में पेड़ों पर पानी डालने की जरूरत है।
2. नोएडा, ग्रेटर नोएडा दोनों में टूटी सड़कों के कारण काफी प्रदूषण हो रहा है, सड़कों की मरम्मत समय पर की जाए।
3. डस्ट के साथ जो बिल्डर साइट्स हैं जिनके कारण सड़कों पर मिट्टी और प्रदूषण रहता है, जैसे नोएडा सेक्टर 50, 72, 74, 75, 51 और ग्रेटर नोएडा वेस्ट उनपर कड़ाई बरती जाए।