World Radio Day Special : इन लोगों की पहचान और जिंदगी बन गई रेडियो, पढ़िए खास खबर

न्यूज़ | 3 साल पहले | Anika Gupta

Tricity Today | World Radio Day Special



आज विश्व रेडियो दिवस (World Radio Day) है। रेडियो सुनने वाले लोग भले ही घट रहे हों, लेकिन गांवों में आज भी लोगों की सुबह रेडियो में प्रसारित होने वाली श्रीरामचरितमानस (Shri Ramcharitmanas) से होती है। उसके बाद देश विदेश की हलचल से वाकिफ होते हैं। शहरों में रेडियो की उपयोगिता को एफएम चैनलों ने अपने समेट लिया है। वे पारम्परिक कार्यक्रमों की जगह पूरी तरह से मनोरंजन चैनल का रूप ले लिया है। इसके उलट गांवों की आबादी रेडियो पर आकाशवाणी चैनलों को पसंद करती है। मनोरंजन से लेकर समाचार, कृषि कार्यक्रम, इलाकाई सांस्कृतिक कार्यक्रम लोग पसंद करते हैं। आज इस विशेष मौके पर ट्राई सिटी टुडे की टीम ने ऐसे लोगों को खोजने का प्रयास किया, जिनका रेडियो से जुड़ाव रहा है। 

सीतापुर जिले के सिधौली कस्बे के निवासी एवं रिटायर्ड प्रिंसिपल अवधेश मिश्रा बताते हैं कि रेडियो आज भी उनका साथी है। सुबह की रामायण से लेकर शाम के समाचार तक रेडियो के जरिये मिलते हैं। काफी जमाने से रेडियो सुनते आ रहे हैं। इसमें आने वाले कार्यक्रमों में आज भी वही शालीनता है, जो वर्षों पूर्व थी। यही बनाये रखना जरूरी है। 

अवधेश मिश्रा

रायबरेली जिले के पूरे गुरु निवासी काशी प्रसाद पांडेय भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका रेडियो प्रेम अलग ही था। उनके बेटे प्रमोद पांडेय बताते हैं कि उनका नाश्ता-खाना छूट सकता है, लेकिन रेडियो नहीं। खेती किसानी से प्रेम करने वाले पांडेय खुद किसानों की बातें आकाशवाणी पर जाकर करते थे। उनके कृषि कार्यक्रम लोग ध्यान से सुनते थे। किसानों की बातें वह बेबाकी से रखते थे। प्रमोद पांडेय ने उनके अनुभव साझा करते हुए बताया कि अगर उनका कार्यक्रम किसी दिन प्रसारित होना होता था और उन्हें कहीं बाहर जाना होता था तो वह रेडियो साथ ले जाते थे। 

ग़ाज़ियाबाद निवासी मूर्ति तिलखन भी रेडियो से मित्रता रखती हैं। वह बताती हैं कि रेडियो के कार्यक्रम जो जीवन्तता है, वह दूसरे कार्यक्रमों में नहीं है। वर्षों से वह रोजाना रेडियो सुनती हैं। 

मूर्ति तिलखन

लखनऊ निवासी एवं सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य सुरेश चंद्र मिश्र भी रेडियो पर देश विदेश की जानकारी लेते हैं। रेडियो के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने बताया कि पहले रेडियो ही सहारा था। कार्यक्रम और समाचार सब कुछ रेडियो पर मिलते तेल आज भी रेडियो अन्य माध्यमों से बेहतर है।

प्रमोद

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