नोएडा के निवासियों ने कहा- पटाखों पर पाबंदी तो ठीक है लेकिन धूल कौन रोकेगा

नोएडा | 4 साल पहले | Mayank Tawer

Tricity Today |



नोएडा और ग्रेटर नोएडा समेत पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region NCR) में दिवाली के दौरान पटाखे बेचने और जलाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal NGT) ने पाबंदी लगा दी है। इन दोनों शहरों के लोग पटाखों पर लगी पाबंदी को ठीक मानते हैं, लेकिन प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार दूसरे कारणों पर नियंत्रण नहीं होने से खासे परेशान हैं। लोगों का कहना है कि बेतहाशा खटारा दौड़ते वाहन, कंस्ट्रक्शन साइट से उड़ रही धूल और कूड़े-कचरे में लगाई जा रही आग से निपटने के उपाय क्या हैं? निवासियों का कहना है कि स्थानीय प्रशासन, विकास प्राधिकरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution Control Board) इन वजहों पर काबू पाने में नाकाम रहे हैं।

पिछले एक सप्ताह से नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा वेस्ट और दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में प्रदूषण चरम पर है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे में खुली हवा में सांस लेना खतरे से खाली नहीं है। जो लोग पहले से बीमार हैं, उनके लिए यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती हैं। दूसरी ओर इन हालात पर काबू पाने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सोमवार को एक आदेश जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि मंगलवार की आधी रात 12:00 से 30 नवंबर की आधी रात तक पूरे दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री नहीं की जाएगी। पटाखे जलाना भी कानूनन अपराध घोषित कर दिया गया है। ऐसे लोगों के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करके कड़ी कार्रवाई करने का आदेश पुलिस को दे दिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी मंगलवार को एनजीटी का आदेश राज्य के 13 जिलों में लागू कर दिया है।

इस बारे में नोएडा के सेक्टर-77 में रहने वाले अमित गुप्ता का कहना है कि दिवाली के आसपास प्रदूषण चरम पर पहुंच जाता है। यह हर साल की स्थिति है। प्रदूषण बढ़ने के बाद सारी एजेंसियां जागती हैं। पानी का छिड़काव शुरू कर दिया जाता है। छापामारी की जाती है। पटाखे बेचने और जलाने पर हर साल ऐसी ही पाबंदी लगाई जाती है। अच्छी बात है लेकिन सवाल यह उठता है कि यह सारा काम प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद ही शुरू क्यों किया जाता है। इस पर तो पूरे साल काम किया जाना चाहिए। यह हालात पैदा ही नहीं होने देने चाहिए। अमित गुप्ता ने बताया सोमवार को नोएडा में तीन पटाखा विक्रेताओं को गिरफ्तार किया गया है। उनका कहना है अगर एनजीटी इस तरह की कार्यवाही दिवाली आने से एक या दो महीने पहले करे तो कम से कम पटाखे खरीदकर कारोबारी अपना पैसा तो बर्बाद नहीं करते। अब जब लोगों ने पटाखे खरीद लिये हैं तो उन पर पाबंदी लगाने का औचित्य समझ से परे हैं। यह सीधे तौर पर सिस्टम की लापरवाही है।

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहने वाले मनीष कुमार इस पूरी व्यवस्था पर निराशा व्यक्त करते हैं। उनका कहना है कि गौतमबुद्ध नगर का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहर में हालात संभालने में विफल है। खासतौर से ग्रेटर नोएडा वेस्ट का बहुत बुरा हाल है। निर्माणाधीन साइट से धूल उड़ती रहती है। वह सवाल करते हैं कि एनजीटी क्या करता है? जब एक ओवरलोड ट्रक सड़कों पर चलता है, सड़कों पर धूल और मिट्टी फैलाने के साथ-साथ धुआं भी भारी मात्रा में छोड़ता हुआ घूमता रहता है? एनजीटी सड़कों के क्षतिग्रस्त होने, धूल से भरे और धुंए से भरी निर्माणाधीन साइटों की ओर से मुंह फेर कर बैठा रहता है। 

नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट ओनर्स वेलफेयर एसोसिएशन (नेफोवा) के पदाधिकारी मनीष कुमार ने आगे कहा, "एनजीटी ने पटाखों पर रोक लगा दी है। हम इसका पूरी तरह समर्थन करते हैं, लेकिन दिवाली से एक या दो दिन पहले ही यह आदेश जारी करना बेहद निराशाजनक है। दरअसल, पटाखा उत्पादकों का लगभग पूरा माल बिक चुका है। छोटे-छोटे दुकानदार अपना पैसा पटाखे खरीद कर खपा चुके हैं। ऐसे में एनजीटी की पाबंदी से अरबपति उत्पादकों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। छोटे-छोटे गरीब लोग बर्बाद हो जाते हैं।" मनीष कुमार आगे कहते हैं कि पटाखों से कोई ज्यादा प्रदूषण नहीं फैलता है। जमीनी हकीकत बिल्कुल जुदा है। सामान्य रूप से ही प्रदूषण बहुत ज्यादा है। यह निर्माणाधीन साइट, ट्रकों, डंपर, कूड़े-कचरे के ढेरों में आग लगने और सड़क निर्माण के लिए लगाए गए चारकोल प्लांट से फैल रहा है।

ग्रेटर नोएडा के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता हरेंद्र भाटी ने एनजीटी के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि पटाखों पर निश्चित रूप से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। क्योंकि प्रदूषण बढ़ रहा है और लोगों को असुविधा हो रही है। उन्होंने कहा, "जिला प्रशासन और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जो शहर में प्रदूषण पैदा कर रहे हैं। एनजीटी के नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं।" 

दूसरी ओर अफसरों का कहना है, "हमने नोएडा प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सड़कों पर पानी छिड़कने और निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन की स्थापना करवा रहे हैं। धूल की जांच की जा रही है और अपराधियों को दंडित किया जा रहा है।" नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ऋतु माहेश्वरी ने ट्वीट करके बताया, "प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 30 बड़े निर्माण स्थलों पर एंटी स्मॉग गन स्थापित की गई हैं। अब नोएडा प्राधिकरण ने भारी ट्रैफिक पॉइंट्स पर भी एंटी स्मॉग गन स्थापित की हैं। सेक्टर-6 में पहली एंटी स्मॉग गन स्थापित की गई है।"

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