National Youth Day 2021: स्वामी विवेकानंद की जयंती पर जानें उनके विचार, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर किया याद

न्यूज़ | 4 साल पहले | Harish Rai

Tricity Today | Swami Vivekananda



आज राष्ट्रीय युवा दिवस है। आज ही के दिन 12 जनवरी, 1863 को स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में हुआ था। विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। महान समाज सुधारक रामकृष्ण परमहंस उनके गुरु थे। स्वामी विवेकानंद दर्शनशास्त्र, धर्म साहित्य, वेद, पुराण और उपनिषदों का पूरा ज्ञान रखते थे। स्वामी जी अप्रतिम समाज सुधारक और आध्यात्मिक गुरु भी थे। उनके विचार और वक्तव्य आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। भारत सरकार ने 1984 में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की। स्वामी विवेकानंद के विचार और आदर्श युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। इसलिए सरकार ने हर साल उनकी जन्मतिथि को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था। 

इसके बाद साल 1985 से हर वर्ष 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा। विवेकानंद जी कहा करते थे कि किसी भी देश का भविष्य उस देश के युवाओं पर निर्भर होता है। देश के विकास में युवा पीढ़ी का सबसे ज्यादा योगदान होता है। पर इसके लिए युवा को सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है। अगर युवा भटक जाए, तो देश कभी भी उन्नति के शिखर पर नहीं पहुंच सकता। विद्वानों का मानना है कि स्वामी विवेकानंद के विचारों और आदर्शो को अपनाकर इंसान जीवन में असफलता से बच सकता है। स्वामी विवेकानंद एक महान समाज सुधारक थे। तत्कालीन समाज में फैली बुराइयों और कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे। समाज को जागरूक करने में भी उन्होंने अहम योगदान दिया। 

आधुनिक भारत की सबसे बड़ी कमजोरी जातिवादी व्यवस्था पर विवेकानंद के विचार समाज और सरकार के लिए नजीर हैं। जातिवादी मिथक को तोड़ने के लिए स्वामी जी ने अथक प्रयास किया। वह समय-समय पर समाज को सही राह दिखाते रहे। हालांकि उन्होंने छद्म बुद्धिजीवियों को अपने गहन ज्ञान से हमेशा परास्त किया। मौजूदा दौर में बुद्धिजीवी और सरकारें वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था को एक समझने की भूल करते हैं। पर स्वामी जी इस मसले को भलिभांति समझते थे।

उनके एक वक्तव्य से उनकी समझ को समझा जा सकता है। 9 फरवरी, 1897 को मद्रास के विक्टोरिया हॉल में एक वक्तव्य में स्वामी जी ने कहा था, “मुझे चुनौती दी गई थी कि एक शूद्र को संयासी बनने का क्या अधिकार है? उसका उत्तर मैं देता हूं। मेरी जाति के लोगों ने दूसरी सेवाओं के अतिरिक्त आधे भारतवर्ष पर कई शताब्दियों तक शासन किया है। यदि मेरी जाति को न गिना जाएगा तो भारत की वर्तमान सभ्यता का क्या बचेगा? सिर्फ बंगाल में मेरे जाति-रक्त ने महान दार्शनिक, कवि, इतिहासकार, पुरातात्विक और धर्म-गुरु दिए हैं। मेरे रक्त ने भारत को उसके महानतम वैज्ञानिक दिए हैं। इसलिए मुझे इससे कोई चोट नहीं लगती, जब वो मुझे शूद्र कहते हैं।“

स्वामी विवेकानंद ने मानवता की सेवा को अपना सर्वोपरि धर्म माना। 11 सितंबर, 1893 को अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में उनके मनमोहक और धाराप्रवाह भाषण ने उन्हें समूचे संसार का चहेता बना दिया। ओजपूर्ण और बेबाक संवाद उनकी पहचान बन गए। मानव मात्र की सेवा और परोपकार के लिए स्वामी जी ने 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इस मिशन का नाम विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रखा। यह मिशन आज भी विवेकानंद के आदर्शों और विचारों को आगे बढ़ा रहा है। 

स्वामी विवेकानंद के वक्तव्य आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनके कुछ महत्वपूर्ण वक्तव्य नीचे हैं – 
1 - उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।
2 – जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
3 - जब लोग तुम्हे गाली दें, तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकाल कर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं।
4 – मेरा विश्वास युवा पीढ़ी, आधुनिक पीढ़ी में है। वे सिंह की भांति सभी समास्याओं से लड़ सकते हैं।
5 - मेरे साहसी युवाओं, यह विश्वास रखो कि तुम ही सब कुछ हो – महान कार्य करने के लिए इस धरती पर आए हो। चाहे वज्र भी गिरे, तो भी निडर हो खड़े हो जाना और कार्य में लग जाना। साहसी बनो।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री समेत तमाम नेताओं ने श्रद्धांजलि दी
स्वामी विवेकानंद की जयंती पर आज संपूर्ण भारत उन्हें याद कर रहा है। देश मां भारती के महान सपूत को नमन कर रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी स्वामी विवेकानंद को भावभीनी श्रद्धांजलि दी और उन्हें याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किए। राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उन्हें मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। संपूर्ण मानवता, विशेष रूप से युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहे विवेकानन्द ने भारत की आध्यात्मिक विरासत को पुनर्जीवित किया और वैश्विक स्तर पर इसे केंद्र में लाए। उनकी (विवेकानन्द की) शिक्षाएं हम सभी को प्रेरित करती रहती हैं।“

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वामी विवेकानंद की जयंती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। प्रधानमंत्री ने लोगों से स्वामी जी के विचारों और आदर्शों का पालन करने तथा संपूर्ण संसार में फैलाने की अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर के जरिए नमो ऐप का एक लिंक भी साझा किया है। इस पर क्लिक कर स्वामी विवेकानंद के विचार पढ़े जा सकते हैं। नरेंद्र मोदी, विवेकानंद के विचारों से काफी प्रभावित हैं और अक्सर उनके वक्तव्यों में स्वामी जी का जिक्र मिल जाता है। 

अभी हाल ही में प्रधानमंत्री ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की एक प्रतिमा का अनावरण किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “स्वामी विवेकानंद को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन। विवेकानंद जयंती पर नमो ऐप पर एक रचनात्मक प्रयास किया गया है, जो आपको उनके विचार एवं अपने व्यक्तिगत संदेश साझा करने की अनुमति देता है। आइए, स्वामी विवेकानंद के बहुआयामी विचारों एवं आदर्शों का दूर-दूर तक प्रसार करें।“

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