Google Image | यूनिटेक के प्रमोटर संजय चन्द्रा और अजय चन्द्र
यूनिटेक हाउसिंग परियोजना के प्रमोटर संजय चन्द्रा और उसके भाई अजय चन्द्रा को करीब साढ़े तीन साल जेल में रहने के बाद अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया है। अदालत ने दोनों भाइयों को दस-दस लाख रुपये के निजी मुचलके और इतने ही रुपये मूल्य के अतिरिक्त दो-दो जमानतियों के साथ सशर्त जमानत दी है। धोखाधड़ी और जालसाजी जैसे आरोपों में दोनों को गिरफ्तार किया गया था। यूनिटेक देश की नम्बर दो रियल एस्टेट कम्पनी थी और पूरे दिल्ली-एनसीआर में रियल एस्टेट परियोजनाएं संचालित कर रही है।
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आशुतोष कुमार की अदालत ने इस मामले में यूनिटेक कंपनी के प्रमोटरों को जमानत दी। अदालत ने कहा कि इस मामले में मुख्य आरोप पत्र आ चुका था। अब पुलिस पूरक आरोप पत्र भी दााखिल कर चुकी है। पुलिस का कहना है कि जांच लगभग पूरी हो चुकी है। अदालत ने आगे कहा कि दोनों आरोपी करीब साढ़े तीन साल का समय न्यायिक हिरासत में काट चुके हैं। कोरोना काल के चलते अतिरिक्त कैदियों को जेल में रखना उचित नहीं है। दोनों आरोपी कोविड-19 के खतरे में हैं। इस मामले के तथ्यों को देखते हुए संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को सशर्त जमानत दी जा रही है।
अदालत ने जमानत में कई शर्त आरोपित की हैं। दोनों आरोपियों को हिदायत दी है कि वह इस मामले के गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेंगे। इस अदालत की इजाजत लिए बिना देश से बाहर नहीं जाएंगे। बिना किसी बहाने के अदालत की हर तारीख पर सुनवाई के वक्त हाजिर रहना होगा। इस मामले में आरोपियों के वकील ने दलील दी कि उनके क्लाइंट्स के खिलाफ जिस आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है, अगर वह साबित हो भी जाता है तो अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है। उनके क्लाइंट इस सजा का आधा समय पहले ही जेल में गुजार चुके हैं। ऐसे में उनको जमानत पर रिहा करने में कोई दिक्कत नहीं है।
वहीं, इस मामले के जांच अधिकारी की तरफ से अदालत को बताया गया कि देश के विभिन्न हिस्सों में इन आरोपियों के खिलाफ दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं। दिल्ली में सात मुकदमे दर्ज हैं। जिनमें 21 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप है। अदालत ने सारे पक्षों को सुनने के बाद संजय चंद्रा और अजय चंद्रा की बेल एप्लिकेशन को स्वीकार कर लिया। दोनों आरोपियों को सशर्त जमानत देने का फैसला सुनाया है।