Noida News : 20 हजार परिवारों को 8 महीने से सरकार के एक आदेश का इन्तजार, पूछा- हमने कौन सा जुर्म किया

नोएडा | 3 साल पहले | Pankaj Parashar

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Noida : नोएडा शहर में आशियाना खरीदकर फंसे लोगों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के 20 हजार से अधिक खरीदार अपनी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री नहीं होने से परेशान हैं। प्राधिकरण ने बिल्डरों को अधिभोग प्रमाण पत्र जारी करने के लिए शासन से मंजूरी मांगी है। यह फाइल आठ महीनों से लखनऊ में अटकी है। मालिकाना हक पाने के लिए इन 20 हजार परिवारों का संघर्ष लंबा होता जा रहा है।

शहर के इन 5 सेक्टरों में हैं स्पोर्ट्स सिटी
शहर के पांच सेक्टरों में स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं के लिए करीब 10-12 साल पहले भूमि आवंटन किए गए थे। इन प्रोजेक्ट में 20 हजार से ज्यादा खरीदार हैं। इनके नाम खरीदी गई प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री नहीं हो रही हैं। जिससे यह सारे लोग परेशान हैं। नोएडा के सेक्टर-78, 79, 101, 150 और 152 में स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएं हैं। इन परियोजनाओं में फ्लैट, व्यावसायिक सम्पत्तियाँ और खेल सुविधाएं विकसित की गई हैं। खेल सुविधाओं में क्रिकेट स्टेडियम, गोल्फ कोर्स और बैंडमिटन कोर्ट सहित अन्य खेल शामिल हैं।

आवंटन और विकास पर सवाल खड़े हुए
पहले तो इस श्रेणी में भूमि आवंटन गलत ढंग से किया गया है। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से मंजूर नोएडा अथॉरिटी के मास्टरप्लान में ऐसी कोई श्रेणी की जमीन शामिल नहीं थी। इसके बाद बिल्डरों ने मुनाफे के लिए स्पोर्ट्स सिटी में फ्लैट बना दिए। दुकाने और मिनी मॉल खड़े कर दिए लेकिन खेल सुविधाएं विकसित नहीं कीं। इन परियोजनाओं के लिए निर्धारित भूमि उपयोग में 70 प्रतिशत हिस्से में खेल सुविधाएं विकसित की जानी थीं। खेल सुविधाएं विकसित नहीं की गईं। कंपनियों ने घर और दुकान बनाकर बेच दीं। इससे मिला पैसा अथॉरिटी में जमा नहीं किया गया है। खेल गतिविधियों के लिए आरक्षित जमीन खाली छोड़ दी गई है।

कई कंपनियों ने सही काम किया लेकिन...
कई कंपनियों ने सही काम किया लेकिन उन्हें भी बाकि बिल्डरों की कारगुजारियों का खामियाजा भुगतना पड़ा है। इन हालात को देखकर नोएडा प्राधिकरण ने करीब सवा साल पहले बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखा था। जिसमें स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं के लिए अधिभोग प्रमाण पत्र जारी करने, नक्शा पास कराने और भूखंडों के सबडिवीजन आदि पर रोक लगा दी थी। अधिभोग प्रमाण पत्र पर रोक लगने से फ्लैटों की रजिस्ट्री रुक गई हैं। करोड़ों रुपये की कीमत के फ्लैट अब भी बिल्डर लोगों को बेचने में लगे हैं। बिल्डरों पर कोई अंकुश नहीं है। यहां पर जमा पूंजी लगाने वाले फ्लैट खरीदार लगातार फंसते जा रहे हैं।

शिकायत करने का कोई फायदा नहीं
सेक्टर-79 की स्पोर्ट्स सिटी में अशोक वर्धन ने फ्लैट खरीदा है। उन्होंने शासन को शिकायत भेजने के लिए आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत की। रजिस्ट्री नहीं होने का मामला उठाया। शासन ने प्राधिकरण से जवाब मांगा। नोएडा अथॉरिटी में स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट देख रहे महाप्रबंधक का जवाब खरीदार को संतुष्ट करने की बजाय परेशान करने वाला हैं। एके श्रीवास्तव, आशीष, सौरभ चन्द्रा राय, अरविन्द चंदेल,अक्षत चौहान, एमपी सिंह, मनोहर कालरा, निशा राय, आशुतोष चौधरी और प्रदीप रावत सहित तमाम प्रॉपर्टी खरीदारों ने सोशल मीडिया पर यह मुद्दा उठाया लेकिन कोई फायदा नहीं मिल रहा है। इन सबका का कहना है कि उन्होंने कौन सा जुर्म किया है, जिसकी सजा मिल रही है।

अथॉरिटी के जीएम ने दिया यह जवाब
रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे सेक्टर-79 में फ्लैट लेने वाले राजीव गुप्ता ने कहा, "शासन ने आठ महीने बीतने के बावजूद प्राधिकरण के पत्र का जवाब नहीं दिया है। प्राधिकरण का कहना है कि शासन जो आदेश देगा, उसी के अनुसार आगे की कार्यवाही होगी। हमें अभी नहीं पता कि अपने मकानों की रजिस्ट्री कराने के लिए कितना और संघर्ष करना होगा।" प्राधिकरण के महाप्रबंधक ने जवाब में कहा कि सेक्टर-79 में आवंटित भूखंडों के बिल्डरों ने स्पोर्ट्स सिटी का विकास नहीं किया है। भूखंड की जमीन का पैसा नहीं चुकाया है। ऐसे में रजिस्ट्री नहीं की जा सकती है। शासन से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए 30 जुलाई 2021 को पत्र भेजा गया था। निर्देश मिलते ही कार्रवाई की जाएगी।

सीएजी की रिपोर्ट में आपत्तियां
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी सरकारों के कार्यकाल की जांच का आदेश दिया गया था। जिसके तहत नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी के फैसलों की जांच हुई इस पर सीएजी ने रिपोर्ट सौंपी है रिपोर्ट में स्पोर्ट सिटी के आवंटन भूमि की कीमत का निर्धारण भूमि उपयोग स्पोर्ट सिटी का विकास और जमीन की कीमत के भुगतान पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। आपको यह भी बता दें कि सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक सपा और बसपा शासनकाल के 10 वर्षों में नोएडा अथॉरिटी को करीब 20000 करोड रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है। यह रिपोर्ट आने के बाद स्पोर्ट सिटी प्रोजेक्ट पर कोई भी कार्यवाही आगे बढ़ाने से अक्सर हाथ खड़े कर देते हैं।

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