Noida News : गौतमबुद्ध नगर में ग्रुप हाउसिंग के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में फ्लैट देने के नाम पर फ्लैट बायर्स को ठगा गया है। बिल्डर माफिया से फ्लैट बायर्स को हक दिलाने के लिए आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों का प्रतिनिधि मंडल सोमवार को नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन से मिलने पहुंचे तो प्राधिकरण के स्वागत कक्ष में मौजूद कर्मचारियों में आम आदमी पार्टी की टोपी देख अफरातफरी का माहौल हो गया। कर्मचारियों ने पुलिस बुलाकर कार्यकर्ताओं को चैयरमेन से मिलने की जिद पर अड़े आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों को प्राधिकरण के अन्दर जाने से रोक दिया।
लाखों खरीदारों का हजारों करोड़ रुपए फंसा हुआ
आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष भूपेंद्र जादोन बताया कि नोएडा में कई बिल्डरों को एनसीएलटी द्वारा दिवालिया घोषित कर दिया हैं। इन बिल्डरों के लाखों खरीदारों का हजारों करोड़ रुपए फंसा हुआ है। यदि प्राधिकरण चाहता तो बिल्डर को दिवालिया होने से पहले ही उसकी संपत्तियों को जप्त करके प्राधिकरण से आवंटित ग्रुप हाउसिंग के आवंटित भूखंड का आवंटन निरस्त करके लोगों के पैसों को डूबने से बचाया जा सकता था, लेकिन प्राधिकरण में बैठे अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया।
प्राधिकरण और बिल्डर पर मिलीभगत का आरोप
आप नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा है कि प्राधिकरण और डिफॉल्टर होने वाली बिल्डरों की मिलीभगत से ही खरीदार पैसा डूब रहा है। अभी भी बहुत सारे प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो डिफॉल्टर होने के कागार पर हैं। आम आदमी पार्टी मांग करती है कि ऐसे सभी बिल्डरों के आवंटन निरस्त किए जाएं जिन्होंने प्राधिकरण को समय से पैसा नही दिया है। उनकी अन्य संपत्तियों को जप्त करके फ्लैट खरीदारों के हक को पूरा किया जाए। कुछ बिल्डरों ने बहुत अनियमिततायें के साथ फ्लैट तो बना दिए, लेकिन फ्लैट खरीददार को मालिकाना हक नहीं मिला। इन बिल्डरों के खिलाफ प्राधिकरण को कार्यवाही करके फ्लैट खरीदारों को नाम रजिस्ट्रेशन कराया जाए। इसी के संबंध में सोमवार को आम आदमी पार्टी ज्ञापन देना चाहती थी, लेकिन अधिकारियों ने मिलने से मना कर दिया। इससे पता चलता है प्राधिकरण के अधिकारी आम जनता के प्रति संवेदहीन है
आप नेताओं ने की जांच की मांग
आप के जिला प्रवक्ता प्रोफेसर ऐके सिंह ने कहा कि जिन बिल्डरों के पास प्राधिकरण को देने के लिए पैसा नहीं है और उन्होंने फ्लैट देने के नाम पर लोगों से पैसे ले लिए हैं। उन सभी ग्रुप हाउसिंग के भूखंडों का आवंटन निरस्त कर के लोगों को फ्लैट देने का काम प्राधिकरण खुद करे या या उन्हें उन का पैसा वापस किया जाए। सुपरटेक जैसे बिल्डरों की जांच की जानी चाहिए कि उसकी जो कम्पनी डिफॉल्टर घोषित हुई हैं, उनका पैसा किसी दूसरी कंपनी में तो नहीं लगाया है ?