इलाहाबाद हाईकोर्ट में गौतमबुद्ध नगर में निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। हाईकोर्ट ने इस मसले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ताओं ने नोएडा के निजी स्कूलों पर आरोप लगाया है कि स्कूल मनमाने ढंग से अभिभावकों से फीस के नाम पर मोटी रकम वसूल रहे हैं। अगर अभिभावक फीस दे पाने में असमर्थ है, तो बच्चों और अभिभावकों का शोषण किया जा रहा है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार ने जुलाई, 2020 में एक पॉलिसी लागू की थी। पर, नोएडा के प्राइवेट स्कूल प्रदेश सरकार की पॉलिसी को ठेंगा दिखा रहे हैं और उसके खिलाफ काम कर रहे हैं।
बताते चलें कि कोरोना महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन में हजारों लोगों की नौकरियां चली गईं, रोजगार खत्म हो गए। उद्योग चौपट हो गए। इससे ज्यादातर अभिभावक निजी स्कूलों की मोटी फीस दे पाने में असमर्थ हो गए। इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने एक पॉलिसी लागू की। इसके मुताबिक यदि कोई अभिभावक स्कूल की फीस जमा करने में असमर्थ है, तो उसके बच्चे को स्कूल ऑनलाइन क्लास से बाहर नहीं करेगा। सरकार ने कहा कि फीस नहीं जमा कर पाने वाले छात्रों के नाम भी स्कूल नहीं काट सकता है। पर नोएडा के ज्यादातर प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से फीसे के नाम पर मोटी रकम की डिमांड कर रहे हैं। अगर अभिभावक शुल्क जमा करने में असमर्थ है, तो बच्चों को ऑनलाइन क्लास में नहीं बैठने दिया जा रहा है। कई मामलों में बच्चों का नाम काटकर स्कूल से बाहर कर दिया गया है।
इस संबंध में प्रवीण अंतल और 22 अन्य लोगों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशरी की पीठ में इस याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार के अधिवक्ता को राज्य द्वारा जुलाई, 2020 में लागू पॉलिसी के अनुपालन के संबंध में गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी से आवश्यक सूचना हासिल करने का निर्देश दिया। अधिवक्ता को याचिका की अगली सुनवाई के दौरान हासिल जानकारी खंडपीठ के सामने पेश करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी, 2021 को निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ताओं ने नोएडा के प्राइवेट स्कूलों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों की समस्या को समझते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस संबंध में 4 जुलाई, 2020 को एक पॉलिसी की घोषणा की थी। इसका मकसद यह था कि लॉकडाउन के दौरान आर्थिक रूप से अक्षम बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि गौतमबुद्ध नगर के प्राइवेट स्कूल राज्य सरकार की इस पॉलिसी के खिलाफ खुलेआम काम कर रहे हैं। इस संबंध में याचिकाकर्ताओं ने खंडपीठ के सामने कई उदाहरण पेश किया। मामले की अगली सुनवाई में खंडपीठ अपना फैसला सुना सकती है।