सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने कहा : प्राधिकरण आज तक पूरी जमीन नहीं दे पाया

नोएडा | 1 साल पहले | Pankaj Parashar

Google image | आरके अरोड़ा



Noida News : सुपरटेक बिल्डर पर गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की। सोमवार को कंपनी के चेयरमैन आरके अरोड़ा को हिरासत में ले लिया गया था। कंपनी ने कुछ खरीदारों का बकाया चुकाया और बाकी की अदायगी 15 जून तक करने की मोहलत मांगी। फिर करीब दो घंटे बाद आरके अरोड़ा को रिहा किया गया। अब कंपनी ने आधिकारिक बयान जारी किया है। कंपनी का कहना है कि यमुना प्राधिकरण (Yamuna Authority) आज तक आवंटित जमीन का पूरा हिस्सा नहीं दे पाया है। सुपरटेक का कहना है कि जमीन आवंटन के बाद किसानों ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। इसके बाद यमुना प्राधिकरण ने काम रोक दिया। अभी तक करीब 50 प्रतिशत जमीन विवादित है। इसी परियोजना से जुड़े खरीदारों के पक्ष में 31 करोड़ रुपये के रिकवरी सर्टिफिककेट (आरसी) जारी किए गए थे।

'आज तक कंपनी को पूरी जमीन नहीं मिली'
सुपरटेक कंपनी की ओर से जारी किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया है कि जिला प्रशासन ने बीते सोमवार को ग्रुप के चेयरमैन आरके अरोड़ा को गोल्फ कंट्री परियोजना में लंबित रिकवरी से संबंधित मुद्दों पर कार्यालय बुलाया था। इस बाबत चेयरमैन आरके अरोड़ा का कहना है कि यमुना प्राधिकरण की ओर से कंपनी को 4,14,185 वर्गमीटर जमीन का आवंटन किया गया था। इस जमीन के प्लान को यमुना प्राधिकरण ने मंजूरी दी। इसके बाद निर्माण शुरू कर दिया गया था। लेकिन किसान हाईकोर्ट गए और अदालत ने स्टे दे दिया था। यमुना प्राधिकरण ने 9 जुलाई 2015 को एक ऑर्डर जारी किया। अथॉरिटी ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी। सुपरटेक को कभी पूरी जमीन नहीं दी गई।

'किसानों के विरोध के चलते नहीं हुआ निर्माण'
आरके अरोड़ा का कहना है, "किसानों के विरोध के कारण निर्माण नहीं हो रहा है। बीते 12 साल से प्राधिकरण से जमीन दिलाने का अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका लंबित है। जिसमें प्राधिकरण ने जमीन को विवादित होना स्वीकार किया है। इसका परिणाम यह हुआ कि निर्माण नहीं हो पाया। इस वजह से घर खरीदारों ने यूपी रेरा में शिकायत की। रेरा ने रिफंड का आदेश दे दिया। खरीदारों की सारी पूंजी या तो निर्माण में लग गई या फिर अथॉरिटी को लैंड ड्यूज के रूप में दी गई। अब यमुना अथॉरिटी, रेरा और प्रशासन से अनुरोध किया गया है कि आरसी वसूली की प्रक्रिया रोकी जाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एटीएस डेवलपर के मामले में एक आदेश दिया है कि जमीन का पूरा कब्जा दिलाना प्राधिकरण का काम है। इसका लाभ भी हमें मिलना चाहिए।"

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