नोएडा में Rakshabandhan : ब्रम्हाकुमारियों ने अफसरों को बांधी राखी, भाई बहन के रिश्तों का बताया महत्व

नोएडा | 1 साल पहले | Nitin Parashar

Tricity Today | कार्यक्रम का आयोजन



Noida News : ब्रम्हाकुमारियों ने सेक्टर-99 में सुप्रीम टावर्स के सामुदायिक हॉल में लगभग 200 भाइयों, बहनों, सदस्यों और बड़ी संख्या में विशिष्ट अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में रक्षा बंधन उत्सव मनाया। सेवानिवृत्त आईएएस, सुप्रीम कोर्ट के वकील, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी, अनेक वरिष्ठ मीडिया और कॉर्पोरेट प्रोफेशनलस ने इसमें हिस्सा लिया। पूरे कार्यक्रम का आयोजन सेक्टर-46 के बीके मेडिटेशन सेंटर द्वारा किया गया।

प्रसिद्ध आध्यात्मिक और प्रेरक वक्ता बीके बहन येशु ने कहा, "रक्षा बंधन का आध्यात्मिक महत्व तब होता है, जब कोई व्यक्ति विचारों, शब्दों और कार्यों में पवित्रता का जीवन जीने के लिए उस सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा (भगवान) के साथ पवित्रता का दिव्य व्रत लेता है। हम में से प्रत्येक एक छोटी सी प्रकाश रूपी आध्यात्मिक ऊर्जा है जो प्रत्येक आत्मा को शुद्ध और हार्दिक शुभकामनाएं देती है क्योंकि राखी प्यार, पवित्रता के अहसास और परिवर्तन का उत्सव है।”

इस आयोजन के आध्यात्मिक महत्व को समझाते हुए बीके येशु ने कहा कि बीके सिद्धांत लोगों को उनके दैनिक जीवन में गहरे व्यक्तिगत मूल्यों के साथ जुड़ी सकारात्मक और शक्तिशाली ऊर्जा लाने में मदद करने के लिए समर्पित हैं। इन आंतरिक संसाधनों की खोज और इन्हें उभारने का माध्यम राजयोग मेडिटेशन है, जो एक जीवन-परिवर्तनकारी और आपकी ऊर्जा को रिचार्ज करने का माध्यम है। यह गहन स्वतंत्रता का संकेत देता है और सहज ही स्वयं को उसे परमपिता परमात्मा से जोड़कर दुनिया में शांति, आनंद, खुशी, एकता और दिव्यता के शुद्ध कंपन को फैलाने पर ध्यान केंद्रित करता है। 

राखी की रस्म
उन्होंने तिलक और राखी की रस्म के बारे में आगे बताते हुए कहा कि तिलक शरीर-चेतना और बुराइयों के जाल पर विजय पाने का प्रतीक है, जो हमें नकारात्मक कार्य करने के लिए प्रभावित करते हैं। यह व्यक्ति की आत्म-चेतना से संबंधित मजबूत जागरूकता के जागरण का भी प्रतीक है, जो दिव्य ऊर्जा के अनंत बिंदु के रूप में अपनी वास्तविक पहचान को महसूस करता है- आत्मा, रूह या दिव्य प्रकाश ऊर्जा, न कि भौतिक शरीर। इसीलिए मानवीय बंधन अक्सर अपेक्षा और नाखुशी के घोर दुखों का कारण होते हैं, जबकि आत्माओं के साथ ‘दिव्य प्रबुद्ध संबंध’ शक्ति, प्रेरणा और खुशी के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। इसलिए, राखी बांधना हमारे (आत्माओं) द्वारा ली गई पवित्रता की प्रतिज्ञा का प्रतीक है।

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