नोएडा में आग : जहरीली हवा में सांस लेना गर्भवती महिला के लिए कितना घातक? प्रीमेच्योर डिलीवरी और मिसकैरेज तक की नौबत

नोएडा | 2 महीना पहले | Jyoti Karki

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Noida News : सिटी सेंटर के पास सेक्टर-32 के डंपिंग ग्राउंड में शनिवार को अचानक भीषण आग लग गई। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप लिया और पूरे इलाके में फैलती चली गई। जिस वजह से आसमान काला पड़ गया। हवा दमघोंटू और जहरीली होती जा रही है। सूचना मिलने के बाद दमकल की 15 से 20 गाड़ियां मौके पर पहुंची, जो पिछले करीब 24 घंटे से पानी के टैंकर से बुझाने का प्रयास कर रही है। उसके बावजूद आग बुझाने का नाम नहीं ले रही है। अब इस जहरीली हवा का असर सबसे ज्यादा सांस के मरीजों और गर्भवती महिलाओं पड़ रहा है। इसको लेकर "ट्राईसिटी टुडे" की टीम ने गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ.मीरा पाठक से बात की है आईए जानते हैं कि उन्होंने इस पर क्या कहा है।
कूड़े में आग लगने से पैदा होती है जहरीली हवा 
डॉ.मीरा पाठक ने बताया कि गार्बेज के जलने की वजह से प्वाइजनोस सब्सटेंस बनते हैं। इस केमिकल को पोल्यूटेंट कहते हैं। यह केमिकल सांस की नली और स्क्रीन से शरीर के अंदर जाते हैं। यह तत्व आसपास रह रहे मरीजों ही नहीं, बल्कि तंदरुस्त लोगों को भी कमजोर बना सकता है। इससे निकलने वाला धुआं जानलेवा हो सकता है। गर्भवती महिलाओं पर इसका असर काफी घातक होता है। इसके साथ बच्चे पर भी इसका असर पड़ता है। 

गर्भवती महिलाओं पर क्या असर पड़ेगा? 
डॉ.मीरा कहती है कि अगर हम गर्भवती महिला की बात करें, एक प्रेगनेंट लेडी और उसके बच्चे पर इसका क्या असर पड़ेगा। तो उन्हें मेंटल कंफ्यूजन क्रिएट होना शुरू हो जाएगा। ऐसी हवा में आंखों में जलन होनी शुरू हो सकती है। सांस लेने पर रेस्पिरेट्री इनफेक्शन होने लगेगा। पॉल्यूशन में कार्बन मोनोऑक्साइड होता है, जिससे गर्भवती महिलाओं की ऑक्सीजन केयरिंग कैपेसिटी काम हो जाती है और गर्भ में पल रहा बच्चों को भी सांस लेने में दिक्कत आती है। ऐसे में स्ट्रेस हार्मोन स्क्रीन बढ़ जाते हैं। ऐसी जहरीली हवा महिला के स्क्रीन में रशेस, डाइजेशन अफेक्ट, हार्ट, किडनी और लिवर एक तरह से महिला की पूरी बॉडी के सभी पार्ट पर प्रभाव डालते है। 

गर्भ में पल रहे बच्चे पर असर
गर्भ में पल रहे बच्चे पर असर इस पर निर्भर करता है कि बच्चा कितने महीने का है। प्रेगनेंसी के पहले 3 महीने में महिला प्रदूषण से एक्सपोज होती है। उसके चांसेस होते हैं कि मिसकैरेज हो जाए या यह अबॉर्शन हो जाए। पहले 3 महीने में बॉडी के ऑर्गन्स बन रहे होते हैं तो डेवलपमेंट प्रॉब्लम्स आती है। इसके साथ ब्रेन में डिफेक्ट आ सकते हैं।

प्रीमेच्योर डिलीवरी, सिजेरियन और बच्चे की धड़कन बंद 
लास्ट के 3 महीने की बात की जाए तो प्रीमेच्योर डिलीवरी हो जाती है। ऐसी हवा में सांस लेने पर बच्चों की कभी भी धड़कन बंद हो सकती है। बच्चों के हार्ट और लंग्स के ऊपर में केमिकल्स का असर पड़ता है। इसके बाद जो बच्चे पैदा होते हैं, वह बहुत कमजोर होते हैं और साथ ही उन्हें सांस संबंधी बीमारी भी होती है। बच्चों को आगे बढ़कर अस्थमा और डायबिटीज होने के चांसेस बढ़ सकते हैं। बच्चों के ब्रेन के विकास के ऊपर असर पड़ता है। ऐसी महिलाओं में सिजेरियन के चांसेस भी बढ़ जाते हैं, क्योंकि बच्चा डिस्ट्रेस में जाता है या बच्चा टाइम से पहले हो जाता है। जिसकी वजह से सिजेरियन करना पड़ता है।

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