नोएडा में डकैती का सरदार : आईएएस अफसरों, बिल्डरों, दलालों ने यूपी की आर्थिक राजधानी को कैसे बनाया कंगाल, पढ़िए अंधेरगर्दी की दास्तान

नोएडा | 3 घंटा पहले | Pankaj Parashar

Tricity Today | मोहिंदर सिंह



Noida News : नोएडा में खुलेआम डकैती हुई। डकैती डालने वाले कोई और नहीं नोएडा अथॉरिटी के अफसर थे। डकैतों के सरदार थे नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मोहिंदर सिंह। इन्हीं के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तीन दिन पहले छापे मारे। उनके पास अभी 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति मिली है, जो आगे की जांच के बाद और बढ़नी तय है। इनके घर से करोड़ों रुपये के हीरे मिले हैं। हीरे-जवाहरात क्यों नहीं मिलेंगे? मोहिंदर सिंह के सीईओ रहते अफसरों, दलालों और बिल्डरों के गैंग ने पूरे नोएडा जिले को जमकर लूटा। कोई कायदा-कानून नहीं था। जो मोहिंदर सिंह की कलम ने लिखा, वही नोएडा में कानून बन गया, वही लाखों फ्लैट खरीदारों की तकदीर बन गई। हम ट्राईसिटी टुडे की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में परत दर परत नेताओं, नौकरशाहों और बिल्डरों का कच्चा चिट्ठा खोलेंगे। इससे आप ठीक से समझ पाएंगे कि आखिर हजारों, लाखों खरीदारों के फ्लैट क्यों सालों-साल तक लटके हैं।   

दिन के उजाले में चलती रही डकैती
हम आपको उत्तर प्रदेश के इतिहास की सबसे बड़ी डकैती के बारे में बताएंगे। यह डकैती बंदूक की नोंक पर नहीं, यह डकैती कलम की नोंक से डाली गई। रात के अंधेरे में नहीं, दिनदहाड़े सरकारी दफ्तरों में बैठकर इत्मीनान से डाली गई। इन डकैतों को किसी का डर नहीं, यह डकैती देश को चलाने वाले आईएएस अफसरों ने डाली। नेताओं, अफसरों, बिल्डरों और दलालों का गठजोड़ ने खतरनाक लूटतंत्र को जन्म दिया।

सीएम योगी ने शुरू कराई थी जांच
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा अथॉरिटी के कामकाज की साल 2005 से 2018 तक जांच करवाने का निर्णय लिया। भारत के महालेखा परीक्षक यानि सीएजी ने ऑडिट किया। करीब दो साल की माथापच्ची के बाद 2021 में सीएजी रिपोर्ट आई। रिपोर्ट के मुताबिक, ऑडिट अवधि (2005-2018) के दौरान नोएडा अथॉरिटी ने 28 ग्रुप हाउसिंग योजनाएं निकाली। जिनमें से 24 योजनाओं में भूखंड का आवंटन किया गया था। 

जानिए कैसे शुरू हुआ खेल 
नोएडा अथॉरिटी ने ग्रुप हाउसिंग भूखंडों का आवंटन क्लोज-एंडेड योजनाओं के माध्यम से किया था, जिसमें आवंटन के लिए उपलब्ध भूखंडों की संख्या और आकार योजना में बताए गए थे। ये योजनाएं एक निश्चित अवधि के लिए खुली थीं, जिसके दौरान बोलियां (बिड) स्वीकार की गईं। नोएडा अथॉरिटी का ग्रुप हाउसिंग डिपार्टमेंट भूखंडों का आवंटन करता है और आवंटन के बाद की प्रक्रियाओं का पालन करता है। नोएडा का प्लानिंग डिपार्टमेंट बिल्डिंग का निर्माण पूरा होने तक निगरानी के लिए जिम्मेदार है और वित्त विभाग आवंटन से संबंधित वित्तीय मामलों के लिए जिम्मेदार है।

एक साल में सबसे ज्यादा भूखंड आवंटन 
खास बात यह कि वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान क्षेत्रफल के हिसाब से 42.98 प्रतिशत और संख्या के हिसाब से 46.27 प्रतिशत आवंटन किए गए थे। मतलब, सबसे ज्यादा भूखंडों का आवंटन इसी एक साल में किया गया था। उस वक्त उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की मायावती सरकार थी। नोएडा अथॉरिटी की कमान रिटायर हो चुके आईएएस अफसर मोहिंदर सिंह के हाथों में थी। यह वही मोहिंदर सिंह, जिनकी कुंडली ईडी खंगाल रही है।

धड़ाधड़ लाए गए 24 ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट
एक के बाद एक धड़ाधड़ लाई गई 24 ग्रुप हाउसिंग योजनाओं में 67 भूखंड आवंटित किए गए थे। जिनका क्षेत्रफल 71.03 लाख वर्गमीटर था और यह जमीन 14,050.73 करोड़ रुपये के प्रीमियम पर बिल्डरों को आवंटित की गई थी। बदले में बिल्डरों ने इन भूखंडों को नोएडा प्राधिकरण की मंजूरी से 113 हिस्सों में विभाजित करवाया। 

बिल्डरों ने न घर बनाए ना अथॉरिटी को पैसा चुकाया
31 मार्च 2020 तक 96 भूखंडों से जुड़े 18,633.21 करोड़ रुपये नोएडा अथॉरिटी के बिल्डरों पर बकाया थे। इतना ही नहीं, 31 मार्च 2020 तक इन 113 प्रोजेक्ट में से केवल 37.17 प्रतिशत ही पूर्ण हुए, 30.97 प्रतिशत आंशिक रूप से पूर्ण हुए थे और 31.86 प्रतिशत अधूरे पड़े थे। किसी प्रोजेक्ट के पूर्ण होने का अर्थ है, सभी निर्धारित आवश्यकताओं के अनुपालन की जांच के पश्चात नियोजन विभाग से निर्माण पूर्ण होने की स्वीकृति लेना। कुल मिलाकर बिल्डर फ्लैट बेचते रहे और अपनी जेब भरते रहे। उन्होंने ना घर बनाए और ना जमीन की कीमत अथॉरिटी को चुकाई। अथॉरिटी के अफसर आंखें मूंदकर बैठे रहे।

इसलिए हजारों फ्लैट्स की रजिस्ट्री नहीं
इन 113 प्लॉटों पर नोएडा अथॉरिटी ने 1,30,005 फ्लैट बनाने की बिल्डरों को मंजूरी दी थी। 31 मार्च 2020 तक नोएडा द्वारा केवल 55.92 प्रतिशत (72,697) फ्लैटों के लिए ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) जारी किया गया था। मतलब, बिल्डरों ने इन फ्लैटों का निर्माण पूर्ण कर लिया था। इन पूर्ण हो चुके फ्लैटों में से केवल 59.75 प्रतिशत (43,438) फ्लैटों को ही रजिस्ट्री की अनुमति दी गई। दरअसल, बिल्डरों ने प्राधिकरण को जमीन का पैसा ही नहीं दिया। 

आठ साल में 44 फीसदी फ्लैट भी पूरे नहीं 
अब जरा सोचिए, वर्ष 2010-11 तक अधिकांश आवंटन कर दिए थे। आठ वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी 2020 में 44.08 प्रतिशत फ्लैट (57,308) का निर्माण पूरा नहीं हो पाया था। फ्लैटों की डिलीवरी में बड़ी देरी को देखते हुए घर खरीदारों की दुर्दशा बड़ा मुद्दा बन गई। इसकी विभिन्न मंचों पर चर्चा की गई। सर्वोच्च न्यायालय ने जुलाई 2019 में 'बिक्रम चटर्जी एवं अन्य बनाम भारत संघ' के मामले में आम्रपाली बिल्डर्स से संबंधित मुद्दों पर कड़ा निर्णय दिया था।

CAG की जांच में खुला महाघोटाला 
इस मामले में ऐतिहासिक निर्णय ने नोएडा में रियल एस्टेट क्षेत्र की गड़बड़ियों को सामने ला दिया। लेखा परीक्षक ने पाया कि नोएडा द्वारा किए गए इन आवंटनों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गई हैं। नोएडा में 113 आवंटनों में से लेखा परीक्षक ने नमूना आधार पर 46 मामलों का विश्लेषण किया। सीएजी (CAG) ने आवंटी कंपनियों के स्वामित्व, शेयरधारिता और शेयरों के हस्तांतरण के माध्यम से भूखंडों के हस्तांतरण का विश्लेषण किया। इसके लिए रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) से जानकारी हासिल की गई।



अथॉरिटी को भी हजारों करोड़ का चूना
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ग्रुप हाउसिंग स्कीम्स के तहत बिल्डरों को जमीन का आवंटन करने के लिए प्रणालीगत कमियां की गई हैं। आवेदनों और आवंटनों की स्क्रीनिंग में अनियमितताएं बरती गई हैं। उप-विभाजनों और हस्तांतरणों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। भूमि आवंटन में बड़ी विसंगतियां हैं। इन गड़बड़ियों की वजह से नोएडा अथॉरिटी को हजारों करोड़ रुपये का चूना लगाया गया है।

जारी रहेगी लूटतंत्र की कलंक कथा 
खबरों की इस सीरीज में हम आपको बताएंगे कि कैसे बतौर सीईओ मोहिंदर सिंह ने मनमानी की। कैसे नोएडा अथॉरिटी को लूटा गया। कैसे आम आदमी आर्थिक गुलाम बना दिया गया। अफसर तो बिल्डरों के हाथों की कठपुतली बन गए। नोएडा अथॉरिटी के सारे नियम-कायदे इन लोगों ने अपने फायदे के लिए बदले। बिल्डरों ने फूटी कौड़ी अथॉरिटी को नहीं दी और अरबों रुपये की जमीन अपने नाम करवा ली। शहर में डकैती डालने के बाद आम आदमी को कैसे लूटा गया? अगली कड़ी में जानिए। रोजाना पढ़ते रहिए और हमें ई-मेल आईडी tricitytoday@gmail.com पर अपनी प्रतिक्रिया देते रहिए। आपके कमेंट हम आने वाले दिनों में इस मुद्दे से जुड़ी खबरों और वीडियो में जरूर शामिल करेंगे।
(क्रमश:)
 

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