गौतमबुद्ध नगर : डीएम ने भू-माफिया के चक्रव्यूह को भेदा, शासन ने कहा- रजिस्ट्री पर लगी शर्तें जायज, रजिस्ट्रार दफ्तर खुले

नोएडा | 3 साल पहले | Pankaj Parashar

Tricity Today | जिलाधिकारी सुहास एलवाई



Noida : एक कहावत है, 'नेक नियत मंजिल आसान', यह बात गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई पर एकदम सटीक बैठती है। जिले के भू माफिया ने डीएम सुहास एलवाई को घेरने का भरपूर प्रयास किया अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भू माफिया गौतम बुध नगर के सारे रजिस्ट्रार दफ्तरों में हड़ताल करवाने में भी कामयाब हो गया। इस पूरे मामले को 'ट्राईसिटी टुडे' ने प्रमुखता से उठाया था। बड़ी बात यह है कि डीएम माफिया के 'चक्रव्यूह' को भेदने में कामयाब हो गए हैं। राज्य सरकार ने हिंडन और यमुना नदी के खादर क्षेत्रों में जमीन की रजिस्ट्री पर डीएम की ओर से लागू शर्तों को जायज करार दिया है। साथ ही कहा है कि इन शर्तों के साथ ही खादर इलाकों में जमीन की रजिस्ट्री होंगी। यह आदेश आने के तुरंत बाद गौतमबुद्ध नगर के सारे रजिस्ट्रार ऑफिस खुल गए हैं।

शासन ने कहा- डीएम सही
शासन ने इस मामले में जिलाधिकारी सुहास एलवाई को जायज ठहराया है। राज्य सरकार के विशेष सचिव अजय कुमार अवस्थी ने जिला अधिकारी को पत्र लिखकर जानकारी दी है। बताया है कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वैधानिक निर्णय और सारे विकास प्राधिकरणों की सहमति के आधार पर 30 सितंबर 2020 को जारी किया गया आदेश प्रशासनिक नहीं है। यह राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के प्रावधानों के तहत एक वैधानिक आदेश है। इसके माध्यम से बैनामों के पंजीकरण पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। केवल भारतीय स्टांप अधिनियम एवं रजिस्ट्रीकरण अधिनियम में पहले से लागू प्रावधानों के तहत ही यह वैधानिक का आदेश जारी किया गया है। लिहाजा, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से 30 सितंबर 2020 को जारी किए गए वैधानिक आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। इस मामले में जिला आपदा प्रबंधन अधिनियम का फैसला लागू रहेगा।"

क्या है पूरा मामला
गौतमबुद्ध नगर से दो नदियां, हिंडन और यमुना होकर गुजरती हैं। छिजारसी से लेकर कुलेसरा तक और अब कुलेसरा से आगे मोमनाथल तक, हिंडन नदी के दोनों ओर लाखों इमारत बन चुकी हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं है। हिंडन नदी की धारा तक कई-कई मंजिल ऊंचे घर बन चुके हैं। रेत पर खड़ी इन ऊंची इमारतों का भविष्य क्या होगा, यह बताने की जरूरत नहीं है। यह पूरा अनियोजित विकास है।

आसमान पर जमीन की कीमत
एक और बड़ी बात यह है, इस अविकसित और रेतीले इलाके में भी जमीन की कीमत आसमान पर हैं। यहां जमीन की कीमत 10-15 हजार रुपये वर्ग गज तक पहुंच चुकी हैं। ठीक ऐसे ही हालात नोएडा बैराज से लेकर दनकौर के सामने तक यमुना नदी के खादर में बन चुके हैं। यहां फार्म हाउस के नाम पर अवैध प्लॉटिंग की जा रही है। फार्म हाउस अपराधियों की ऐशगाह बन गए हैं। 

सुहास एलवाई ने भू-माफिया पर अंकुश लगाया
यह पूरा अवैध धंधा लाखों-करोड़ों का नहीं, अरबों रुपए का है। यह धंधा करने वाले माफिया हत्या, अपहरण और हत्या के प्रयास से लेकर तमाम जघन्य अपराधों में संलिप्त हैं। इन अपराधियों की ताकत का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं, राज्य में चाहे किसी पार्टी की सरकार आए, इनकी फॉर्च्यूनर कार के लिए उस पार्टी का झंडा एडवांस में सिलवा लिया जाता है। लंबे अरसे बाद गौतमबुद्ध नगर के किसी जिलाधिकारी ने नदियों को बर्बाद करके आम आदमी की गाढ़ी कमाई लूट रहे इन माफियाओं पर लगाम लगाई। डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट में मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए डीएम ने नदियों के डूब क्षेत्रों में जमीन की खरीद-फरोख्त को नियमित कर दिया। करीब एक साल से माफिया चाहकर भी अवैध कॉलोनाइजेशन नहीं कर पा रहे हैं। जिससे यह सारे अपराधी और इनके साथ गठजोड़ रखने वाले सरकारी और गैर सरकारी लोग बिलबिला गए हैं।

कुमार रविकांत नहीं हो पाए थे कामयाब
सुहास एलवाई से पहले गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी रहे कुमार रविकांत ने भी भू-माफिया को नदियां बर्बाद करने से रोकने का प्रयास किया था। उन्होंने भी हिंडन और यमुना के डूब क्षेत्रों में छोटे-छोटे भूखंडों की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी थी। उनका यह आदेश स्टाम्प एंड रजिस्ट्रेशन एक्ट के खिलाफ था। लिहाजा, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश को खारिज कर दिया था। जिससे गौतमबुद्ध नगर में भू-माफिया के हौसले बुलंद हो गए थे। कई वर्षों तक बेरोकटोक और खुलेआम अवैध कालोनियां बसाई गईं। अब सुहास एलवाई ने कानूनी तौर पर इस अरबों रुपए के अवैध धंधे पर रोक लगाई है। इस बार भी भू-माफिया ने डीएम के आदेश को चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कामयाबी नहीं मिली तो स्टैंप एंड रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट को हथियार बना लिया है। तीन दिन से जिले के रजिस्ट्रार और एआईजी स्टांप कार्यालय बंद पड़े हुए हैं। सारे सरकारी अफसर छुट्टी पर हैं। दफ्तरों पर तालाबंदी है। डीएम के खिलाफ अफसरों ने अपने महकमे के मुखिया को चिट्ठी भेजी है।

भू-माफिया की कठपुतली बने रजिस्ट्रार
गौतमबुद्ध नगर जिले में प्रॉपर्टी कारोबार से जुड़ी गतिविधियों पर नजर रखने वाले लोगों में यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है। छपरौली मंगरौली गांव के पूर्व प्रधान चमन चौहान का कहना है, "गौतमबुद्ध नगर जिले के सारे रजिस्ट्रार कार्यालय भू माफिया के चंगुल में हैं। भू-माफिया अवैध रूप से हिंडन और यमुना नदी में नया शहर बसा रहा है। जिस पर डीएम ने रोक लगाई तो माफिया से लेकर रजिस्ट्रार दफ्तरों तक की मोटी ऊपरी कमाई बंद हो गई। पिछले 3 दिनों से गौतमबुद्ध नगर के सारे रजिस्ट्रार कार्यालय ठप कर दिए गए हैं। यह पूरी तरह भू-माफिया की साजिश है। जिसका मकसद जिलाधिकारी सुहास एलवाई पर दबाव बनाकर अपना अवैध धंधा जारी रखना है। सही मायने में राज्य सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। गौतमबुद्ध नगर में तैनात सारे रजिस्ट्रार और एआईजी स्टांप को हटा देना चाहिए। इतना ही नहीं इन सभी की संपत्तियों की जांच भी की जाए।"

नोएडा से लखनऊ तक है बड़ा गठजोड़
गौतमबुद्ध नगर के रजिस्ट्रार कार्यालयों पर हावी भू-माफिया ने नोएडा से लखनऊ तक बड़ा गठजोड़ तैयार कर रखा है। वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा का कहना है, "यह कोई नई बात नहीं है। जब कोई डीएम या विभागीय अफसर रजिस्ट्रार कार्यालयों में चल रही गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने की कोशिश करता है तो ऐसे हथकंडे इस्तेमाल किए जाते हैं। भू-माफिया ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा के रजिस्ट्रार कार्यालय से सांठगांठ करके पूरे शहर को बिगाड़ कर रख दिया है। सारे रजिस्ट्रार मिलकर आईजी (स्टाम्प) को गुमराह करते हैं। दरअसल, यह महकमा सरकार के लिए पैसा कमाने वाला है। लक्ष्य अधूरे रह जाने या कम आमदनी होने का हवाला देकर रजिस्ट्रार व आईजी आसानी से अपनी वाजिब या गैर वाजिब मांग सरकार से मनवा लेते हैं। आईजी (स्टाम्प) जिलों में तैनात डीएम से सीनियर आईएएस अफसर होता है। लिहाजा, वह अपनी सीनियरिटी और ओहदे का गलत इस्तेमाल करके डीएम को प्रभावित करता रहता है।" 

नोएडा और ग्रेटर नोएडा को बड़ा नुकसान हुआ
विनोद शर्मा आगे कहते हैं, "भू-माफिया की रजिस्ट्रार दफ्तरों में गहरी पैठ है। खुद रजिस्ट्रार और उनके मातहत काम करने वाले बाबू लंबे अरसे से जिले में जमे हुए हैं। नदियों के खादर क्षेत्र तो दूर तीनों विकास प्राधिकरण के अधिसूचित इलाकों में भी इन लोगों के गठजोड़ की बदौलत अवैध कॉलोनियां तेजी के साथ बस रही हैं। डीएम सुहास एलवाई ने उचित कदम उठाया है। उन्हें ऐसे दबाव के सामने नहीं रुकना चाहिए। आप रजिस्ट्रार कार्यालयों में अनाधिकृत गठजोड़ का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि करीब 10 साल पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ नोएडा के रजिस्ट्रार कार्यालय में मारपीट कर दी गई थी। हालांकि, उस वक्त वह राजनीति में नहीं थे लेकिन आईआरएस अफसर थे। बड़े एक्टिविस्ट बन चुके थे। अरविंद केजरीवाल अपने एक रिश्तेदार की रजिस्ट्री करने के लिए मांगी जा रही रिश्वत का विरोध करने रजिस्ट्रार के पास गए थे।" 

गिद्ध भोज का सबसे बड़ा अड्डा रजिस्ट्रार दफ्तर
उत्तर प्रदेश में सरकार चाहे कोई भी रही हो गौतमबुद्ध नगर के प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार कार्यालयों में माफिया का दखल और भ्रष्टाचार को काबू नहीं किया जा सका। वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रॉपर्टी से जुड़े कानूनों पर महारत हासिल करने की कोशिश कर रहे हरीश शर्मा बताते हैं, "मैं हर महीने करीब तीन-चार बार गौतमबुद्ध नगर के किसी ना किसी रजिस्ट्रार कार्यालय में जाकर कामकाज की प्रक्रिया देख रहा हूं। मैंने महसूस किया है कि रजिस्ट्रारों के दफ्तरों से जुड़े माफिया किस्म के सैकड़ों लोग हर वक्त गिद्धों की तरह वहां मंडराते रहते हैं। अगर कोई व्यक्ति रिश्वत या परेशानी की शिकायत करता है तो अनाधिकृत लोगों का झुंड ना केवल मारपीट करता है बल्कि जरूरत पड़ने पर हड़ताल करते हैं। लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमा तक दर्ज करवाते हैं। जिससे रजिस्ट्रारों की बादशाहत चलती रहती है।"

सारे रजिस्ट्रार ऑफिस खोले गए
शासन की ओर से जिलाधिकारी सुहास एलवाई के आदेश की पुष्टि होने के बाद गौतमबुद्ध नगर के सारे रजिस्ट्रार ऑफिस खुल गए हैं। आपको बता दें कि जिलाधिकारी पर तमाम तरह के अनर्गल आरोप लगाते हुए रजिस्ट्रार और एआईजी स्टांप लंबे अवकाश पर चले गए थे। भूमाफिया के इशारे पर रजिस्ट्रार कार्यालयों के बाहर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा था। राज्य सरकार का आदेश आने के बाद सारे रजिस्ट्रार कामकाज पर वापस लौट आए हैं। अब रजिस्ट्रार ऑफिस बदस्तूर खुल रहे हैं। इस पूरे मामले पर जिलाधिकारी सुहास एलवाई का कहना है, "हमने राष्ट्रीय आपदा अधिनियम-2005 में दी गई शक्तियों का उपयोग करते हुए एक वैधानिक आदेश जारी किया था। यह अधिनियम भारतीय संसद में पारित करके पूरे देश में लागू किया है। यह मेरा प्रशासनिक आदेश नहीं था। बिना वजह सरकारी कामकाज को प्रभावित किया गया है। अब शासन ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का आदेश लागू रहेगा। उसी के आधार पर हिंडन और यमुना नदियों के खादर इलाकों में जमीन की रजिस्ट्री की जाएंगी।"

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