काम की खबर : नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बीच चलेंगी इलेक्ट्रिक बसें, प्राधिकरण की तैयारी तेज

नोएडा | 3 महीना पहले | Nitin Parashar

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Noida News : नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट से जोड़े लोगों के लिए खुशखबरी है। यह के निवासियों को अब जाम और ऑटो की मारामारी से राहत मिलेगी। दरअसल, नोएडा प्राधिकरण ने (Noida Authority) नोएडा-ग्रेनो के बीच ई-बसें चलाने की तैयारी शुरू कर दी है। यहां मिडी बसें चलाई जाएंगी। मौजूदा वक्त में शहर के लोग ऑटो, कैब, ई-रिक्शा के भरोसे रहते हैं। पीएम ई-बस सेवा योजना शुरू होने के बाद नोएडावासियों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। इसके साथ ही पॉल्यूशन में भी कमी आएगी।

50 बसों का होगा संचालन 
पीएम ई-बस सेवा योजना के तहत नोएडा-ग्रेटर नोएडा के मार्गों पर 9 मीटर लंबी मिडी बसें चलाई जाएंगी। प्रारंभिक चरण में 50 बसों को सड़कों पर उतारने की योजना है। इस परियोजना की एक विशेषता यह है कि बस संचालन का पूरा खर्च संचालन करने वाली कंपनी द्वारा वहन किया जाएगा। इस योजना की शुरुआत के पीछे एक लंबी प्रक्रिया रही है। गौरतलब है कि दो महीने पूर्व में नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें विभिन्न कंपनियों ने अपने प्रस्ताव पेश किए। इसके बाद, कई कंपनियां प्राधिकरण कार्यालय में भी अपने प्रस्ताव लेकर आईं। हालांकि, इस परियोजना में कुछ चुनौतियां भी हैं। 

नोएडा प्राधिकरण की भूमिका
नोएडा प्राधिकरण की भूमिका इस परियोजना में महत्वपूर्ण होगी। वे बस स्टॉप, पार्किंग स्थल, रूट और बस अड्डों को अंतिम रूप देंगे। पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए, ये बसें इलेक्ट्रिक होंगी। इसके लिए सिटी बस टर्मिनल में विशेष चार्जिंग स्टेशन की व्यवस्था की जाएगी। इस योजना का एक प्रमुख लक्ष्य नोएडा से ग्रेटर नोएडा वेस्ट तक के मार्ग को कवर करना है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट की लगभग 4 लाख की आबादी के लिए यह सेवा वरदान साबित होगी, जहां वर्तमान में सार्वजनिक परिवहन के नाम पर केवल ऑटो रिक्शा ही उपलब्ध हैं।


नए मॉडल पर काम जारी 
यह योजना पहले की तरह नहीं है, जब नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बीच 50 एसी बसों का संचालन किया गया था। वह सेवा मार्च 2020 में कोरोना महामारी के कारण बंद हो गई थी और बाद में अत्यधिक घाटे के कारण पूरी तरह से समाप्त कर दी गई थी। अब, नोएडा प्राधिकरण एक नए मॉडल पर काम कर रहा है जहां वे केवल बुनियादी ढांचा प्रदान करेंगे, जबकि बस संचालकों को अपने आय के स्रोत स्वयं खोजने होंगे।

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