यूपी दिवस पर सौगात : गौतमबुद्ध नगर पुलिस और एचसीएल फाउंडेशन की शानदार पहल, वंचित बच्चों को मिलेगी शिक्षा

नोएडा | 4 साल पहले | Mayank Tawer

Tricity Today | गौतमबुद्ध नगर पुलिस और एचसीएल फाउंडेशन की शानदार पहल



गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह ने रविवार को नन्हे परिंदे मिशन की शुरुआत की है। जिसमें बच्चों को चलती फिरती शिक्षा का सौगात देने के लिए आज उत्तर प्रदेश के 71वां स्थापना दिवस को चुना गया है। नोएडा पुलिस और एसीएल फाउंडेशन मिलकर अक्षम बच्चों के लिए स्वास्थ्य और दूसरी जरूरी बुनियादी सुविधाओं की दोस्तों के लिए नन्हे परिंदे अभियान की शुरुआत की है। 



स्वयंसेवी संस्था चेतना के सहयोग से रविवार को गौतमबुद्ध नगर पुलिस आयुक्त कार्यालय सेक्टर-108 नोएडा में बच्चों के लिए वैकल्पिक शिक्षा के लिए वाहनों को सांसद डा. महेश शर्मा, नोएडा विधायक पंकज सिंह और जेवर विधायक धीरेन्द्र सिंह ने पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह के साथ मिलकर हरी झंडी दिखाकर रवाना किया है।



पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह ने बताया कि नन्हे परिंदे परियोजना की परिकल्पना इस उद्देश्य से की गई है कि जो बच्चें सडको पर विभिन्न स्थानों पर घूमते रहते हैं और छोटी उम्र में अपने जीवन यापन की व्यवस्था स्वयं करते हैं। जिन्हें कभी-कभी विभिन्न प्रकार के शोषण का सामना भी करना पडता है। इनको एक सुरक्षित वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने और अपने कौशल के विकास का अवसर प्रदान किया जाना है। साथ ही बाल अपराधों की तरफ अग्रसर और दुष्प्रेरित होने वाले इन बच्चों को भविष्य के जिम्मेदार नागरिक बनाना है। जो इस देश के विकास में अपना पूर्ण योगदान दे सकेगें। 



उन्होंने बताया कि इस परियोजना का लक्ष्य अगले 3 सालों में शिक्षा के लिए ऐसे 5 मोबाइल वैन संचालित कराकर बच्चों को शिक्षा से जोड़ना और पोष्टिक आहार भी उपलब्ध कराना है। इस बात पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि वाहनों को महिला चालकों द्वारा चलाया जायेगा। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के लिये खेलकूद, कला, कौशल, अंग्रेजी भाषा का ज्ञान आदि की भी नियमित जानकारियां दी जायेगी। डिजिटल शिक्षा की व्यवस्था भी होगी। यह मोबाइल वैन एचसीएल फाउंडेशन और स्वयंसेवी संस्था चेतना द्वारा चिन्हित स्थानों पर एक निश्चित समय सारणी के अनुसार रूक-रूक कर बच्चों के शैक्षिक विकास के लिये कार्य करेगी।



एचसीएल फाउंडेशन के एक अधिकारी ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर की सड़कों पर अन्य शहरों की तरह बच्चे ट्रैफिक सिग्नल, मेट्रो स्टेशन, होटल, ठेलों और मंदिर के सामने दिखाई देते हैं। यह वह बच्चे होते हैं, जो छोटी सी उम्र में ही अपने जीवन यापन के साधनों की व्यवस्था स्वयं करते हैं और विभिन्न प्रकार के शोषण का सामना भी कहते हैं। पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ अपने अन्य मूलभूत अधिकार से वंचित रहते हैं। समाज के वंचित वर्ग से होने के कारण विकास और सुरक्षा के लिए यह बच्चे सरकार की योजनाओं का फायदा भी नहीं ले पाते हैं।

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