सतर्कता बरतते हुए गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने भाकियू के प्रदेश प्रवक्ता और जिलाध्यक्ष को घर में नजरबंद किया

नोएडा | 4 साल पहले | Rakesh Tyagi

Tricity Today | किसान नेताओं को घर से नहीं निकलने दिया गया।



भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के प्रदेश प्रवक्ता पवन खटाना और जिलाध्यक्ष अनित कसाना को पुलिस ने बुधवार तड़के घर में नजरबंद कर दिया। दोनों किसान नेता सैकड़ों किसानों के साथ नोएडा में चिल्ला बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल होने के लिए जाने की योजना बना रहे थे। इससे पहले ही इनके घरों पर पुलिस बल पहुंच गया।

किसान नेताओं के घर पुलिस पहुंचने के बाद आसपास के गांवों से सैकड़ों किसान और कार्यकर्ता मौके पर आ गए। किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला और कृषि कानूनों की आलोचना की। दोपहर से लेकर शाम 4:00 बजे तक किसान नेता अपने घरों पर ही पंचायत करते रहे। मौके पर डीसीपी राजेश सिंह, एडीसीपी विशाल पांडे और एसीपी अब्दुल कादिर शाम तक पुलिस बल के साथ उनके घर पर ही मौजूद रहे। बाद में अधिकारियों ने उनकी बात सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया। जिसके बाद किसान नेता ने चिल्ला बॉर्डर जाने की जिद से हटे।

पवन खटाना ने बताया कि संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कृषि कानून को वापस करने के विरोध में चिल्ला बॉर्डर को जाम करने के निर्देश दिए थे। जिसकी सूचना पुलिस प्रशासन को पहले से ही थी। पुलिस अधिकारी फोर्स के साथ सुबह ही उनके घर पहुंच गए। घर में ही हिरासत में ले लिया। जिसकी सूचना जिले के अन्य कार्यकर्ताओं को हुई तो कार्यकर्ता उनके निवास चपरगढ़ गांव में पहुंचने लगे। किसानों ने तीनों बिल को किसान विरोधी बताते हुए जमकर नारेबाजी की। किसान बॉर्डर पर जाने की जिद पर अड़े हुए थे।

बाद में डीसीपी राजेश सिंह ने किसानों से कहा कि चिल्ला बॉर्डर पर भानु गुट के किसान आंदोलन कर रहे हैं। यदि टिकैत संगठन के किसान बॉर्डर पर जाएंगे तो किसानों में आपसी विरोध हो जाएगा। इसलिए किसानों को वहां जाने से रोका गया है। जिसके बाद किसान मान सके। इस दौरान लज्जाराम प्रधान, चंद्रपाल नागर, शमशाद सैफी, सुरेंद्र ढाका, कोशिंदर खटाना, सुनील प्रधान, संजय शर्मा, सूबे मास्टर और तेजा गुर्जर आदि किसान मौजूद रहे। उधर, दनकौर कोतवाली के ही महमदपुर गांव में संगठन के जिला अध्यक्ष अनित कसाना के घर पर भी पुलिस बल का जमावड़ा रहा। उन्हें घर से निकलने नहीं दिया गया। इस दौरान काफी किसानों ने उनके घर पहुंच कर पंचायत की है।

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