Gautam Buddh Nagar : उत्तर प्रदेश के सबसे हाईटेक जिले और आर्थिक राजधानी गौतमबुद्ध नगर में साइबर अपराध के मामले भी सबसे ज्यादा हैं। हालांकि इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि डिजिटल कारोबार और बैंकिंग लेनदेन सबसे ज्यादा यही होता है। इसके चलते साइबर अपराधियों को मौका भी ज्यादा मिलता है। पिछले हफ्ते जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में कई बड़े तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक न सिर्फ गौतमबुद्ध नगर, बल्कि गाजियाबाद, राजधानी लखनऊ, प्रयागराज और वाराणसी भी साइबर क्राइम के मामले में प्रदेश के सबसे संवेदनशील जिले हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, गौतमबुद्ध नगर में साल 2020 में राज्य में सबसे अधिक 1,585 साइबर अपराध के मामले दर्ज हुए हैं। साइबर अपराध के मामलों की संख्या के मामले में नोएडा के बाद लखनऊ, प्रयागराज, गाजियाबाद और वाराणसी का स्थान है। पिछले साल लखनऊ में 1,465 मामले दर्ज हुए हैं। प्रयागराज में 1,102 साइबर क्राइम के केस रिपोर्ट हुए। पड़ोसी जिले गाजियाबाद में वर्ष 2020 में ऐसे 896 केस दर्ज हुए हैं। इसके बाद वाराणसी में 564 मामले दर्ज किए गए।
803 कंप्यूटर से संबंधित अपराध
हालांकि एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि नोएडा में दर्ज 1,585 ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में से 803 कंप्यूटर से संबंधित अपराध थे। 307 आईटी अधिनियम की धारा 66 के तहत दर्ज किए गए थे। इसमें घोर आपत्तिजनक संदेश भेजना शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक 51 रैंसमवेयर हमले के मामले थे और 371 जालसाजी थे। इसी तरह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए ठगी के 288 मामले सामने आए। ओटीपी आधारित लेनदेन का उपयोग करते हुए धोखाधड़ी के मामले सबसे ज्यादा दर्ज हुए हैं। ऐसे मामलों में पीड़ित को वन टाइम पासवर्ड साझा करने का लालच दिया जाता है। साइबर अपराध का यह सबसे आसान तरीका है।
अपराध की श्रेणी साल 2020 वर्ष 2019
कंप्यूटर से जुड़े अपराध 803 1018
कंप्यूटर से जुड़े आईटी एक्ट के अपराध 307 420
रैंसमवेयर अटैक 51 56
रैंसमवेयर के अलावा अन्य तरह के साइबर अटैक 256 364
निजता का हनन 496 598
साइबरस्टॉकिंग 29 34
फ्रॉड 86 73
डेबिट कार्ड फ्रॉड 19 15
ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड 25 21
दूसरे तरह के फ्रॉड 42 37
धोखाधड़ी 288 276
फोर्जरी 371 339
ब्लैकमेलिंग, धमकाना 9 6
बैंकिंग धोखाधड़ी के 25 केस दर्ज
मगर साल 2020 में नोएडा में इस श्रेणी के तहत एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है। इनमें डेटा चोरी से जुड़ा कोई मामला भी नहीं था। ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी के कुल 25 और डेबिट-क्रेडिट कार्ड से संबंधित 19 मामले दर्ज किए गए। एडिशनल डीसीपी (सेंट्रल नोएडा) अंकुर अग्रवाल को फिलहाल नोएडा साइबर सेल का प्रभार भी सौंपा गया है। उन्होंने बताया, इनमें से कई मामलों को इन श्रेणियों में शामिल किया गया था। आमतौर पर, ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी, क्रेडिट कार्ड के माध्यम से धोखाधड़ी जैसी श्रेणियों में मामले दर्ज किए जाते हैं।
बुनियादी ढांचे को मजबूत करना होगा
जानकारी के मुताबिक डेटा चोरी के लिए 2020 के आंकड़े रैंसमवेयर या इसी तरह की श्रेणियों के तहत दर्ज किए गए हैं। डेटा चोरी गोपनीयता का उल्लंघन का अपराध है। हाल-फिलहाल में ऐसे मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। 2020 में सोशल मीडिया एकाउंट हैक होने के 496 मामले, महिलाओं और बच्चों के साइबर स्टाकिंग के 29 मामले सामने आए। कई केस में पुलिस अधिकारियों, राजनेताओं और शख्सियत के फेसबुक और इंस्टाग्राम प्रोफाइल हैक किए गए और उनके नाम पर पैसे मांगे गए। पुलिस का मानना है कि साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है। मगर यह जगजाहिर है कि पुलिस के पास ऐसे मामलों को समय पर हल करने के लिए अत्याधुनिक साधनों की कमी है। यहां तक कि बुनियादी ढांचे को भी मजबूत किया जना है।
सक्षम अफसरों की कमी है
नोएडा साइबर सेल में चिंता का एक प्रमुख कारण किसी भी इंस्पेक्टर-रैंक के अधिकारी की कमी है। आईटी अधिनियम के तहत दर्ज ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में जांच करने के लिए इंस्पेक्टर रैंक के अफसर ही अधिकृत हैं। जानकारी के मुताबिक साइबर सेल में केवल 15-16 सब-इंस्पेक्टर और कांस्टेबल रैंक के अधिकारी हैं। हालांकि गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट ने साइबर सेल की क्षमता बढ़ाने के लिए यूपी पुलिस मुख्यालय से अनुमति मांगी है।
शासन को प्रस्ताव भेजा
माना जा रहा है कि कमिश्नरेट ने साइबर सेल में एक एसीपी स्तर के अधिकारी के साथ लगभग 150 पुलिसकर्मियों को शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। वरिष्ठ अधिकारियों की अनुपस्थिति में साइबर सेल में दर्ज शिकायतों को आमतौर पर स्थानीय पुलिस थानों में भेजा जाता है। इस वजह से मामला लटक जाता है। दरअसल साइबर अपराध के केस में काफी कागजी कार्रवाई की जरूरत होती है। इससे अक्सर जांच धीमी हो जाती है।