गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के लिए बड़ी खबर : हाउसिंग सोसायटीज में AOA-RWA चुनाव पर हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, अब खत्म होंगे सारे विवाद

नोएडा | 1 साल पहले | Pankaj Parashar

Google Photo | इलाहाबाद हाईकोर्ट



Prayagraj|Noida News : गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद जिलों की सैकड़ों हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले लाखों लोगों से जुड़ी बड़ी खबर है। हाउसिंग सोसाइटीज की अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन या रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के चुनावों से जुड़े सैकड़ों विवाद चल रहे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐसे ही एक विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने इन विवादों पर विराम लगा दिया है। गाजियाबाद विंडसर पार्क हाउसिंग सोसाइटी से जुड़े मुकदमे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा जजमेंट दिया है। इस फैसले में साफ कर दिया गया है कि अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन का चुनाव किस ढंग से होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अजय भनोट ने यह जजमेंट दिया है। उन्होने मेरठ के डिप्टी रजिस्ट्रार और गाजियाबाद जिला प्रशासन को आदेश दिया है कि इस फैसले की कॉपी मिलने के बाद 15 दिनों में विंडसर पार्क हाउसिंग सोसाइटी की अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन का चुनाव कराया जाए।

क्या है मामला
गाजियाबाद की विंडसर पार्क हाउसिंग सोसायटी में रेजीडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन का चुनाव कराया गया। जिसमें मौजूदा कार्यकारिणी ने 10 सदस्यों के बोर्ड में से केवल 3 सदस्यों के लिए चुनाव करवाया। इस चुनाव को अवैध बताते हुए विनीत गर्ग नाम के निवासी ने डिप्टी रजिस्ट्रार के सामने चुनौती दी। डिप्टी रजिस्ट्रार ने चुनाव को ग़ैरक़ानूनी क़रार दे दिया। जिसके ख़िलाफ़ रेज़ीडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस पूरे प्रकरण की सुनवाई करते हुए चुनाव को अवैध क़रार दे दिया है। डिप्टी रजिस्ट्रार, ग़ाज़ियाबाद के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के आदेशों और सोसाइटी के निवासी विनीत गर्ग के विरोध को जायज़ क़रार दिया है।

आरडब्ल्यू ने कोर्ट में क्या कहा
आरडब्ल्यू ने कोर्ट को बताया कि दिनांक 29 अक्टूबर 2022 को मेरठ के डिप्टी रजिस्ट्रार (फर्म्स, सोसायटीज एंड चिट्स) ने चुनाव को अवैध ठहराने वाला आदेश गलत ढंग से जारी किया है। जिसमें चुनाव याचिका सुनने के लिए गाजियाबाद के एसडीएम को प्राधिकारी घोषित किया है। दिनांक 08 फरवरी 2023 को उपजिलाधिकारी गाजियाबाद ने बतौर विहित प्राधिकारी शक्तियों का प्रयोग करते हुए बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के चुनाव को अमान्य कर दिया है। यह आदेश भी अवैध है।  आरडब्ल्यूए ने याचिकाकर्ता पर सवाल उठाया और कहा कि सोसायटी के बोर्ड की बैठक 26 जून 2022 को आयोजित हुई। जिसमें चुनाव करवाने का फैसला लिया गया था। जिसके तहत वार्षिक चुनाव में केवल तीन पदों के लिए प्रक्रिया पूरी करनी थी।

याचिकाकर्ता के वकील अभिजीत मुखर्जी ने अदालत में कहा कि निर्धारित प्राधिकारी का संदर्भ गैरकानूनी था। उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट एक्ट-2010 के मॉडल बायलॉज के मुताबिक केवल 1/3 सदस्यों (10 में से 3) के लिए चुनाव प्रबंधन बोर्ड के पदों पर कार्य करना होगा। प्रबंधन बोर्ड के 2/3 सदस्य वार्षिक चुनाव का सामना करने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं। कोई भी पदाधिकारी दो वर्ष से अधिक समय तक लगातार पद पर नहीं रह सकता है। प्रतिवादी संख्या 5 का इस मामले में कोई अधिकार नहीं है। विनीत गर्ग को शिकायत करने का अधिकार नहीं है।

सरकारी वकील ने क्या कहा
इस पर सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि विनीत गर्ग विंडसर पार्क सोसायटी में एक फ्लैट का मालिक हैं। अपार्टमेंट और सोसायटी का सदस्य है। डिप्टी रजिस्ट्रार का संदर्भ सोसायटी पंजीकरण अधिनियम-1860 की धारा 25(1) के दायरे में था। उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट अधिनियम-2010 के मॉडल उपनियमों के अनुसार सभी 10 सीटों पर चुनाव कराना अनिवार्य है। प्रबंधन बोर्ड के पदों पर वार्षिक नियुक्ति होनी है। लिहाजा, दिनांक 26 फरवरी 2022 का चुनाव सुसंगत नहीं है। बोर्ड में कई व्यक्ति लगातार बने हुए हैं। प्रबंधन पिछले दो वर्षों से चुनावों से बचता रहा है। राज्य-प्रतिवादियों के लिए विद्वान स्थायी वकील ने इन तर्कों को अपनाते हुए आक्षेपित आदेशों का बचाव किया।

अदालत ने क्या फैसला दिया
अदालत ने अपने फैसले में कहा है, "माना कि 26 फरवरी 2022 को ही चुनाव हुए थे। प्रबंधन बोर्ड में एक तिहाई पद भरे, लेकिन प्रबंधन बोर्ड के 2/3 सदस्य वार्षिक से बचते रहे। रिकॉर्ड में तथ्य यह स्थापित करते हैं कि चुनाव की पद्धति 2021 से प्रचलन में है और अवैध है। यह रीति प्रबंधन बोर्ड के कुछ सदस्यों को वार्षिक चुनाव लड़े बिना बोर्ड में बने रहने के लिए सक्षम बनाती है। ऐसे सदस्यों को चुनाव का सामना कब करना पड़ेगा, इसे लेकर कोई निश्चितता नहीं है। याचिकाकर्ता द्वारा अपनाए गए तरीके एक हकदार वर्ग तैयार करते हैं, निर्वाचित कार्यालय में जमे हुए हैं लेकिन चुनावी प्रतिस्पर्धा से बचते हैं। ऐसे में यह निकाय निर्वाचित प्रतिनिधियों की जवाबदेही से विमुख हो जाता है। विधायिका ने इस बुराई को रोकने के लिए अथक प्रयास किया है। अपार्टमेंट अधिनियम-2010 का प्रख्यापन पढ़ें तो 16 नवंबर 2011 के उपनियम इसके तहत अधिसूचित किए गए।"

अदालत ने आदेश में आगे लिखा है कि प्रबंधन बोर्ड के सभी 10 पदों को भरने के लिए चुनाव 26 फरवरी 2022 के नहीं करवाया गया। लिहाजा, यह कारण चुनाव को खराब करता है। वह चुनाव अपार्टमेंट अधिनियम का उल्लंघन करते हुए करवाया गया। 16 नवंबर 2011 के मॉडल बायलॉज के की अधिसूचनाओं को दरकिनार कर दिया गया। ऐसे में 08 फरवरी 2023 को जारी किया गया आदेश गलत नहीं है। जिसके जरिए नए सिरे से चुनाव कराने के आदेश दिया गया है। डिप्टी रजिस्ट्रार का 14 मार्च 2023 को पारित आदेश भी बरकरार रहेगा। वह आदेश वैध अभ्यास में जारी किया गया है।

अदालत ने कहा, "न्याय के हित में यह न्यायालय आदेश देता है कि उत्तरदाताओं को निम्नलिखित निर्देशों का पालन करना होगा। पहला, डिप्टी रजिस्ट्रार 10 पदों को भरने के लिए चुनाव करवाएंगे। इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख के बाद सोसायटी के प्रबंधन बोर्ड का चुनाव 15 दिनों की अवधि के भीतर अधिसूचित किया जाएगा। चुनाव उसी तरीके से कराए जाएंगे, जिस तरीके से इस फैसले में चर्चा की गई है। जिला प्रशासन इसमें पूर्ण सहयोग प्रदान करेगा। सोसायटी का निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराना प्रशासन की जिम्मेदारी है। भविष्य में प्रबंधन बोर्ड में 10 पदों के लिए चुनाव इस निर्णय के आलोक में प्रतिवर्ष आयोजित किए जाएंगे। अपार्टमेंट अधिनियम-2010 के अनुसार मॉडल उपनियम दिनांक 16 नवंबर 2011 को अधिसूचित किया गया। उसे साथ पढ़ा जाए। रिट याचिका खारिज किये जाने योग्य है और उपरोक्त टिप्पणियों के अधीन खारिज की जाती है।

फैसले का असर क्या होगा
इस फैसले से भविष्य में अच्छे और सकारात्मक परिणाम आएंगे। एडवोकेट अतुल शर्मा कहते हैं, "नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, ग़ाज़ियाबाद और ट्रांस हिंडन के इलाकों में सैकड़ों हाउसिंग सोसाइटी हैं। इनकी अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन और रेज़ीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन में चुनावों से जुड़े विवाद आम बात हैं। पिछले कुछ वर्षों से एओए और आरडब्ल्यूए में जबरन क़ाबिज़ रहने की प्रवृत्ति बढ़ी है। इसी प्रवृति के कारण मैनेजमेंट बोर्ड के गलत ढंग से चुनाव करवाए जाते हैं। यह शिकायत लगातार मिल रही है कि मैनेजमेंट बोर्ड के एक तिहाई सदस्यों का वार्षिक चुनाव करवाया जा रहा है। दरअसल, यूपी अपार्टमेंट एक्ट के मॉडल बायलॉज को गलत ढंग से अपने पक्ष में परिभाषित करके एक तिहाई सदस्यों का चुनाव करवाया जाता है। क़ानून कहता है कि प्रबंधन बोर्ड में पदों पर काम करने वाले एक तिहाई सदस्यों को बदला जाना है। चुनाव सभी 10 सदस्यों का करवाया जाना चाहि। मतलब, अगर कोई सदस्य लगातार चुनाव जीतकर प्रबंधन बोर्ड में पहुंचता है तो उसे हर बार पद पर नहीं रखा जा सकता है। इस व्यवस्था को ग़लत ढंग से व्याख्यायित करके एओए और आरडब्ल्यूए में तमाम लोग बैठे हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फ़ैसला इन विवादों को ख़त्म करने के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इस फ़ैसले की बदौलत हज़ारों विवाद समाप्त हो जाएंगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाउसिंग सोसाइटीज में चुनाव की प्रक्रिया को इस फ़ैसले के ज़रिए स्थापित कर दिया है।"

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