Noida News : नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) से बड़ी खबर सामने आ रही है। सेक्टर-93 में अथॉरिटी का बन रहा नए दफ्तर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। नोएडा अथॉरिटी के सीईओ डॉ. लोकेश एम. (Dr. Lokesh M.) ने कार्यभार संभालने के बाद नए दफ्तर का निरीक्षण किया था। उन्हें मौके पर कई खामियां मिली थीं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सीईओ ने आईआईटी (IIT) से इसकी गुणवत्ता की जांच कराने के निर्देश दिए। इसके बाद आईआईटी ने जांच की रिपोर्ट प्राधिकरण को सौंप दी है। आईआईटी ने प्राधिकरण को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि उसने इमारत के 12 हिस्सों से सैंपल लिए थे। इन हिस्सों की मजबूती कमजोर पाई गई। परियोजना के पूरा होने में काफी वक्त लगने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में गुणवत्ता पर सवाल
नोएडा प्राधिकरण की तत्कालीन सीईओ रितु माहेश्वरी और वर्तमान सीईओ डॉ. लोकेश एम. ने इस इमारत का जायजा लिया था। इनको भी काम की गुणवत्ता में कमी नजर आई थी। सीईओ डॉ. लोकेश एम. ने पाया था कि बिल्डिंग की स्ट्रक्चरल डेवलेपमेंट में बहुत खामियां हैं। उन्हें बिल्डिंग की फिनिशिंग, पिलर की स्थिति, डिजाइन स्ट्रक्चरल स्टैबिलिटी सही नहीं मिली। उन्होंने जांच के आदेश दिए। अब आईआईटी दिल्ली ने रिपोर्ट में गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट आने के बाद नोएडा अथॉरिटी के इंजीनियरिंग विभाग में हड़कंप मचा है। आशंका जताई जा रही है कि इस मामले में गुणवत्ता के साथ गड़बड़ी करने वाले कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
पुरानी कम्पनी को अथॉरिटी ने किया ब्लैकलिस्ट
सेक्टर-96 में नोएडा प्राधिकरण के दफ्तर की नई बिल्डिंग के निर्माण का काम बीते आठ वर्ष में भी पूरा नहीं हो पाया। ऑफिस बना रही निर्माण कंपनी मैसर्स प्रतिभा इंडस्ट्री लिमिटेड को इसी साल मई महीने में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। काम काफी धीमी गति से चल रहा था। इसी वजह से कंपनी के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण ने कार्रवाई की। अब यह कंपनी प्राधिकरण से जुड़े किसी भी निर्माण काम में तीन साल तक हिस्सा नहीं ले सकेगी। फिलहाल प्रोजेक्ट पर काम रुका पड़ा है।
शहर में अरबों रुपए खर्च
नोएडा अथॉरिटी शहर के लोगों को सहूलियतें देने के लिए अरबों रुपए खर्च करती है। तमाम परियोजनाओं की खराब गुणवत्ता और उसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन, अब प्राधिकरण के अपने कार्यालय भवन की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। कहा जा रहा है कि अथॉरिटी के अफसर जिस कार्यालय भवन में बैठेंगे, अगर वही भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है तो फिर प्राधिकरण शहर के नागरिकों के लिए जो निर्माण करता है, उसकी गुणवत्ता की गारंटी क्या होगी। बीते महीने आई एक रिपोर्ट में यह बात साफ तौर पर कही गई थी कि इस भवन की गुणवत्ता और मजबूती निर्धारित मानकों की सिर्फ 50 फीसदी ही है। इस निर्माणाधीन बिल्डिंग की अथॉरिटी ने कंसल्टेंट एजेंसी से बीम और कॉलम की नॉन डिस्ट्रक्टिव टेस्टिंग (एनडीटी) जांच कराई थी। इस बिल्डिंग के निर्माण पर अथॉरिटी करीब 231 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।