S20-G20 शिखर सम्मेलन : ईशा योग केंद्र ने प्रतिभागियों पर छोड़ी भारत की छाप, सद्गुरु ने साझा की खुशहाली की तकनीक​

नोएडा | 1 साल पहले | Anika Gupta

Tricity Today | ईशा योग केंद्र के सद्गुरु



नोएडा। कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में जी-20 के साइंस-20 (एस-20) सम्मेलन के लिए दुनियाभर से 100 से ज्यादा वैज्ञानिक, शिक्षाविद, विशेषज्ञ और नीति निर्माता जमा हुए। केंद्र के सद्गुरु ने एक सत्र में कहा कि वैज्ञानिक प्रगति और तकनीकी उन्नति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता में खुद को आनंदमय, समावेशी इंसान बनाना एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारी धरती की दशा और दिशा बदलने के लिए यह बेहद जरूरी है।

35 देशों के प्रतिनिधियों ने निभाई भागीदारी
21 जुलाई से आयोजित दो दिवसीय जी-20 के एस-20 सम्मेलन में विश्वभर के प्रतिष्ठित संस्थानों से लगभग 35 विदेशी प्रतिनिधि और 65 भारतीय प्रतिनिधि इकट्ठा हुए। इस दौरान हरे-भरे भविष्य के लिए क्लीन एनर्जी, यूनिवर्सल होलिस्टिक हेल्थ के साथ विज्ञान को समाज और संस्कृति से जोड़ने के विषयों पर चर्चा हुई। इन विदेशी प्रतिनिधियों में द रॉयल सोसाइटी यूनाइटेड किंगडम के सदस्य, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी यूएसए, अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान परिषद फ़्रांस, CERN, स्विट्जरलैंड, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी सहित अन्य संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल थे।

जीवन को व्यापाक रूप में देखने की जरूरत
सम्मेलन के एक आध्यात्मिक केंद्र पर आयोजन के बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव संयाल ने कहा कि मुझे लगता है कि आजकल इस बात को लेकर एक समझ है कि विज्ञान के तौर-तरीकों की अपनी सीमाएं हैं। निश्चित रूप से विज्ञान के प्रति संकीर्ण सोच ना रखकर जीवन को व्यापक रूप में देखने की जरूरत है। 

आंखें खोल देने वाला अनुभव
सऊदी अरब के किंग अब्दुल अजीज सिटी फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के राष्ट्रपति डॉ. मुनीर देसौकी ने कहा कि भारत की जी-20 मेजबानी थीम वन फैमिली है। ऐसे में इस जगह पर इकट्ठा होकर चुनौतियों का सामना करने के बारे में सोचना आंखें खोल देने वाला अनुभव रहा है।

भारत के बारे में मन में नई समृति
S20 के सह-चेयरमैन प्रोफेसर अशुतोष शर्मा ने एक विदेशी प्रतिनिधि के साथ बातचीत साझा करते हुए कहा कि अगर आप न्यूयॉर्क, दिल्ली या मुंबई के फाइव स्टार होटल में कॉन्फ्रेंस करेंगे तो दोनों जगहों में कोई अंतर नहीं दिखेगा। लेकिन, इस जगह ने मन पर भारत के बारे में नई स्मृतियों का प्रभाव छोड़ा है। 

सत्य को समझने का प्रयास करती है आध्यात्मिकता 
इसी तरह का अनुभव साझा करते हुए भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से संयुक्त सचिव (जी-20) नागराज नायडू काकनूर ने कहा कि विज्ञान और आध्यात्मिकता दोनों का उद्देश्य हम सभी से जुड़े सवालों को सुलझाने का होता है। मुझे लगता है कि विज्ञान दुनिया को समझने का प्रयास कर रहा है, आध्यात्मिकता भी काफी हद तक सत्य को समझने का प्रयास करती है। 

सम्मेलन में योग सत्र भी शामिल
दो दिन के इस सम्मेलन के दौरान योग विज्ञान के एक सत्र को भी शामिल किया गया। इस सत्र की अगुआई डॉ. बाला सुब्रमण्यम, एनेस्थिसियोलॉजी के प्रोफेसर, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल, सद्गुरु सेंटर फॉर ए कॉन्शियस प्लैनेट के निदेशक बेथ, इज़राइल डीकोनेस मेडिकल सेंटर बोस्टन एमए ने की। इस सत्र में वैज्ञानिक शोध के आधार पर सद्गुरु की ओर से प्रदान किए गए ईशा क्रिया, शून्य और सम्यमा ध्यान से होने वाले स्वास्थ्य लाभों की पुष्टि की गई, जो तनाव और चिंता कम करके सामान्य सेहत सुधारने में मदद करते हैं।

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