Noida News : कोनरवा ने नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु महेश्वरी को पत्र लिखा। पत्र में संस्था ने शुद्ध पेयजल व्यवस्था सुचारू न होने के सम्बंध में लिखा। संस्था ने लिखा कि शहर को स्थापित हुए 46 वर्षो से अधिक होने के बाद भी प्राधिकरण पीने योग्य पानी की बहतर आपूर्ति देने में सफल नहीं रहा है। वहीं, माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा लगभग 25 वर्ष पूर्व 100 प्रतिशत ट्रिटिड़ शुद्ध पेयजल आपूर्ति के निर्देश दिए थे। परन्तु प्राधिकरण द्वारा इस सम्बंध में कोई ठोस कार्यवाही नही की गई है। पूरे संसाधन होने के बाद भी यह प्राधिकरण की लापरवाही दर्शाता है। वहीं अगर पैसे की बात करे तो वो प्राधिकरण के पास पर्याप्त है। क्योकि प्राधिकरण के द्वारा दूसरे अन्य विभागों को कई हजार करोड़ रुपए उधार दिए जा रहे है। साथ ही अन्य बाहरी योजनाओं में भी हजारां करोड़ रुपए इनवेस्ट कर रखे है।
अगर सुद्ध पानी मिले तो नहीं होगी बर्बादी
शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नागरिकां का मौलिक अधिकार है और प्राधिकरण की नैतिक जिम्मेदारी है। यदि प्राधिकरण द्वारा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था कर ली जाती है तो लाखों लीटर पानी की बरबादी को भी रोका जा सकता है। जैसे शुद्ध पेयजल की आपूर्ति न होने के कारण लाखों घरों और संस्थानों में RO का प्रयोग से 70 से 90 प्रतिशत तक पानी वेस्ट होता है। जिसका कोई उपयोग नही होता है। गंगा जल में रेनी वेल के पानी को मिक्स करने से गंगा जल भी दूषित हो जाता है और पीने योग्य नही रहता है। उसे भी रि-ट्रिटिड़ कर के ही पिया जा सकता है। इस प्रकार गंगा वाटर की भी बरबादी हो रही है।
इस तरह पाया जा सकता हैं पानी के वेस्टेज पर नियंत्रण
संस्था ने बताया कि प्राधिकरण के अधिकांश रेनी वेल या टयूबवैल से भी उपल्बध कराया जात है। जिनसे टिनटिड़ पानी निकल रहा है। उन सभी रिजर्व वायर पर पर्याप्त स्तर का वाटर ट्रीटमेन्ट प्लान्ट लगाया जाना चाहिए। साथ ही टयूबवेल पर भी आवश्यकतानुसार ट्रीटमेन्ट प्लान्ट लगाया जाना चाहिए। जिसकी समय समय पर उच्च अधिकारियों की निगरानी में प्रतिश्ठित तकनीकी संस्थाओ द्वारा जांच की जानी चाहिए। जिससे शहर के नागरिकां को शत प्रतिशत शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो सके। इस प्रकार के ट्रीटमेन्ट प्लान्टों में बहुत अधिक धन राशि भी नही लगेगी व गंगा जल का भी सदोपयोग हो सकेगा और पानी की वेस्टेज पर भी नियंत्रण हो सकेगा।
संस्ता ने पहले भी दिया था इसके लिए सुझाव
गंगा वाटर की सप्लाई गंग नहर से बन्द होने के कारण प्रत्यके वर्ष में दो बार होती है और उस अवधि में जो पानी सप्लाई किया जाता है। वह पानी रा वाटर होता है और पीने योग्य नही होता है। वहीं, संस्था द्वारा पूर्व में भी सुझाव दिया गया था कि रिर्जव वायर में जो पानी टयूबवैल और रैनी वेल का पानी होता है, जो गंदा भी होता है। उस पर छोटे-छोटे ट्रिटमेन्ट प्लान्ट लगा लिए जाए, जिससे ट्रिटिड वाटर ही गंगा वाटर में मिलाया जाऐगा। जिससे गंगा वाटर की गुणवत्ता भी खराब नही होगी और गंगा वाटर की सप्लाई ना होने पर भी शहरवासीयो को साफ पानी पीने के लिए मिल सकेगा। जो वर्तमान में सप्लाई किये जा रहे पानी से निश्चित ही अच्छा होगा।
संस्ता ने दिया यह सुझाव
सैक्टरो में पाईप लाईन के फैलेशिंग पोईन्ट की सूची बना कर और रोस्टर बनाया जाए। जिसकी सूची आरडब्लूए को भी दी जाए -और प्रत्येक सप्ताह आरडब्लूए के अधिकारीयो की जानकारी में फैलेशिंग की जाए। जिससे पानी में आने वाली मड़ और गन्दगी में कमी आऐगी, पाईप लाईनो में जमने वाले मड़ में भी कमी आऐगी। जिससे पाईप लाईन में पानी अधिक होगा जिससे पानी का प्रेसर भी बढ़ने की सभावना है। इस पानी का प्रयोग पार्को और ग्रीन बैल्ट में किया जा सकता है।
पानी की मात्रा बढ़ा सकेंगी
पानी की उपल्बधता बढ़ाने के लिए रेनीवेल और टयूबवेल के पाईप में नीचे लगे फिल्टरो पर लगी फिल्टर जाली की सफाई कर फिल्टर के ऊपर जाली बदल दी जाए। जिससे रेनीवेल और टयूबवेल से पानी की उपल्बधता अधिक होगी। जिससे गंगा वाटर की स्पलाई न होने पर वहां से अधिक पानी लिया जा सकेगा और रिजर्व टैंक भर कर टंकी के माध्यम से स्पलाई सुनिश्चित की जा सकेगी। पानी की लिकेज को तथा अन-ओथोराईज कनेक्सन को जैसे मार्किट में और अन्य सार्वजनिक स्थल पर जहां पर पानी हर समय बहता रहता है। उन पर नियंत्रण किया जाए। साथ ही लिकेज को अविल्मब बन्द किया जाना चाहिए। पानी काफी बहने के बाद कार्यवाही कई बार सुचना के उपरान्त की जाती है।
"कोई ठोस नीती नहीं बनाई जा रही"
संस्था ने कहा कि बड़ा ही विचारणीय विषय है कि जहां मात्र कुछ करोडों रुपए से शहर को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है। उस ओर कोई ठोस नीती नहीं बनाई जा रही है। अपितु प्राधिकरण के द्वारा दूसरे अन्य विभागां को कई हजार करोड़ रूपय उधार दिए गए है और अन्य बाहरी योजनाओं में भी हजारां करोड़ रुपए इनवेस्ट किया जा रहा है। शुद्ध पेयजल आपूर्ति पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है और पानी की बरबादी हो रही है।
संस्ता ने ठोस नीती बनाने का अनुरोध किया
संस्ता ने लिखा कि अतः आप से विनम्र अनुरोध है कि इस सम्बंध में अविल्ब ठोस नीती बनाकर शीघ्र लागू की जाए। यदि इस सम्बंध में आवश्यक हो तो संस्था भी आपको सहयोग करने के लिए तत्पर है। हमें आशा ही नही पूर्ण विश्वास है कि अब 46 वर्षो के बाद ही सही जनहित में इस विशय पर आपके द्वारा अविल्ब कार्यवाही की जाएगी।