नोएडा डीएलएफ विवाद : मॉल ने प्राधिकरण के नोटिस को दी चुनौती, कोर्ट ने कहा- कोई 'दंडात्मक कार्रवाई' ना हो

नोएडा | 2 साल पहले | Nitin Parashar

Google Image | डीएलएफ मॉल



Noida : डीएलएफ ने नोएडा प्राधिकरण के नोटिस को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले में कोर्ट ने प्राधिकरण से 15 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई तक डीएलएफ के खिलाफ कोई "दंडात्मक कार्रवाई" नहीं करने को कहा है। आपको बता दें, पिछले साल मई के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद, प्राधिकरण ने 1 दिसंबर को रेड्डी वीराना को 295 करोड़ रुपये दिए थे, जिनके पास छलेरा बांगर गांव में 7,400 वर्गमीटर जमीन थी। इस जमीन का एक हिस्सा 2004 में 54,320 वर्गमीटर में मॉल ऑफ इंडिया के निर्माण के लिए डीएलएफ को सौंप दिया गया था।

क्या है पूरा मामला

यह मामला नॉएड के सेक्टर-18 स्थित मशहूर डीएलएफ मॉल प्रबंधन की जमीन से जुड़ा है। जहां पर यह मॉल बना है, उस जमीन को करीब 25 साल पहले बेंगलुरू के रेड्डी विरेन्ना ने एक स्थानीय किसान से खरीदा था। इस मामले में नोएडा प्राधिकरण ने गलत तरीक से जमीन अधिग्रहण करके मॉल प्रबंधन को जमीन दे दी थी। इसको लेकर रेड्डी ने करीब 20 साल तक अलग-अलग न्यायालयों में केस लड़ा। अब कुछ महीने पहले उच्चतम न्यायालय ने रेड्डी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए नोएडा प्राधिकरण को 361 करोड़ रुपये उन्हें देने का आदेश दिया था। इसके बाद प्राधिकरण के अधिकारियों ने रेड्डी से बात की। जिस पर वह प्राधिकरण से 295 करोड़ रुपये लेने पर सहमत हो गए। इससे प्राधिकरण को 261 करोड़ रुपये का फायदा हुआ।

ओएसडी और एसडीएम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया मॉल

उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद नोएडा प्राधिकरण ने रेड्डी को पैसा दे दिया। इस पैसे की भरपाई के लिए नोएडा प्राधिकरण ने डीएलएफ मॉल प्रबंधन को नोटिस भेजने का निर्णय लिया। करीब एक महीने पहले मॉल प्रबंधन को 235 करोड़ रुपये देने को कहा गया। इस नोटिस को लेकर मॉल प्रबंधन की ओर से उच्चतम न्यायालय में अथॉरिटी के विशेष कार्याधिकारी और डिप्टी कलेक्टर के खिलाफ कंटेप्ट ऑफ कोर्ट दायर किया गया। कंपनी ने तर्क दिया कि उच्चतम न्यायालय ने रेड्डी को पैसे देने का आदेश नोएडा प्राधिकरण को दिया है। प्राधिकरण अब इस पैसे को मॉल प्रबंधन से मांग रहा है।

प्राधिकरण के इस तर्क से खारिज हुआ मुकदमा

इस पर नोएडा प्राधिकरण की ओर से तर्क दिया गया कि मॉल प्रबंधन और नोएडा प्राधिकरण के बीच हुई लीज डीड की शर्तों में साफ लिखा है कि अगर इस जमीन से संबंधित किसी को अतिरिक्त मुआवजा दिया जाता है तो वह पैसा प्रबंधन को देना होगा। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद न्यायालय ने मॉल प्रबंधन के कंटेप्ट को खारिज कर दिया है। इस बारे में नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी कुमार संजय ने बताया कि न्यायालय ने कंटेप्ट ऑफ कोर्ट खारिज कर दिया है।

रेड्डी ने प्राधिकरण से लड़ी लंबी लड़ाई

गौरतलब है कि नोएडा के सेक्टर-44 स्थित छलेरा बांगर गांव की जमीन का हिस्सा सेक्टर-18 में आता था। यहां पर बेंगलुरू के रहने वाले रेड्डी विरेन्ना ने 24 अप्रैल 1997 को खसरा नंबर-422 और 427 में करीब 14,358 वर्ग मीटर जमीन स्थानीय किसान से एक करोड़ रुपये में किसान से खरीदी थी। यहां पहले ही प्राधिकरण ने काफी जमीन का अधिग्रहण कर लिया था। प्राधिकरण ने सिर्फ 7,400 वर्गमीटर जमीन रेड्डी के नाम वापस की। पूरी जमीन नहीं मिलने पर रेड्डी ने न्यायालय में लड़ाई लड़ी। क्योंकि, जमीन पर मॉल खड़ा हुआ है, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण को आदेश दिया कि जितना पैसा भूमि आवंटन के सापेक्ष मॉल से लिया गया है, वह पैसा रेड्डी को दिया जाए।

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