गाजियाबाद के मुरादनगर में रविवार को श्मशान घाट में हुए हादसे ने देश को झकझोर कर रख दिया है। इस ह्रदयविदारक घटना के बाद ग्रेटर नोएडा में तकरीबन ढाई साल पहले हुई शाहबेरी घटना की यादें मन-मस्तिष्क में फिर घुमने लगी हैं। अब जैसा मुरादनगर में किया जा रहा है, शाहबेरी की घटना के बाद नोएडा में भी असुरक्षित, अवैध ओर जर्जर इमारतों का सर्वे कर सूची तैयार की गई थी। सर्वे में प्रशासन को ऐसी 1757 इमारतें मिली थीं। इसमें 56 भवन पूरी तरह जर्जर पाए गए थे। प्रशासन ने इनमे से कुछ इमारतों पर कार्रवाई की। पर बाद में अभियान बंद कर दिया गया था।
हजार से ज्यादा जर्जर इमारतों में लाखों लोग विधाता के भरोसे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अगर नोएडा में शाहबेरी और मुरादनगर जैसा हादसा फिर हुआ, तो इसके लिए किसे दोषी माना जाएगा। साल 2018 के जुलाई महीने में नोएडा के शाहबेरी में दो मकानें गिर गई थीं। इस घटना के बाद नोएडा प्राधिकरण ने शहर में मकानों का सर्वे कराया था। सर्वे में पूरे नोएडा शहर में 1757 इमारतें असुरक्षित और अवैध पाई गई थीं। इनमें अधिसूचित एरिया में निर्माण के साथ-साथ गांवों में तीन मंजिला से ज्यादा फ्लोर के अवैध निर्माण भी मिले थे। नोएडा प्राधिकरण के सर्वे की 4 श्रेणियों में पहली श्रेणी में कुल 56 जर्जर और असुरक्षित इमारतें मिली थीं।
सर्वे में अधिकारियों को अधिसूचित और अर्जित क्षेत्र में 114 बहुमंजिला इमारतें, अधिसूचित तथा अनार्जित भवन पर 261 बहुमंजिला इमारतें और गांव की मूल आबादी में 1326 तीन मंजिल से ज्यादा की इमारतें मिली थीं। सर्वे रिपोर्ट आने के बाद प्राधिकरण ने इन सभी के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया था। हालांकि, सर्वे रिपोर्ट को सबमिट हुए करीब ढाई साल बीत गए हैं और प्राधिकरण अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सका है। नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ प्रवीण मिश्र ने कहा कि उन्हें इस तरह के किसी सर्वे रिपोर्ट की जानकारी नहीं है।
मानकों के खिलाफ बनी 114 मल्टीस्टोरी इमारतें गिरानी थीं
नोएडा प्राधिकरण ने मानकों की अनदेखी कर बनाई गईं 114 बहुमंजिला इमारतों को अवैध श्रेणी में शामिल किया था। प्राधिकरण ने इन सभी को गिराने का फैसला लिया था। इनमें से 50 के खिलाफ सीलिंग और नोटिस की कार्रवाई भी की गई। पर, इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया और आगे की कार्रवाई बंद कर दी गई।
चार सदस्यीय जांच दल ने जर्जर इमारतों का सर्वे किया
गौदमबुद्ध नगर में असुरक्षित और जर्जर इमारतों के निरीक्षण और रिपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी एक प्राइवेट कंपनी को दी गई थी। इसके लिए चार सदस्यीय एक कमेटी का भी गठन किया गया है। इस कमेटी में प्राधिकरण के नियोजन विभाग का एक सदस्य, वर्क सर्किल का वरिष्ठ प्रबंधक, स्ट्रक्चरल इंजीनियर और राइट्स कंपनी के एक नामित अधिकारी को शामिल किया गया था। इसके पीछे मकसद यह था कि इमारतों का सही आंकड़ा मिल सके।