बड़ी खबर: अवैध निर्माण पर चलेगा प्राधिकरण का बुलडोजर, मुख्य सचिव की फटकार से एक्शन में अधिकारी

नोएडा | 3 साल पहले | Harish Rai

Tricity Today | प्राधिकरण अवैध कब्जे हटाने के लिए चलाएगा अभियान



जमीन की कमी से जूझ रहे नोएडा प्राधिकरण का पूरा ध्यान अपनी भूमि से अवैध अतिक्रमण हटाने पर है। प्राधिकरण की इस मुहिम को शासन का समर्थन मिल गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने भी नोएडा अथॉरिटी से व्यापक स्तर पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। उन्होंने अगले दो महीने में अवैध अतिक्रमण हटाकर जमीनों को अपने नियंत्रण में लेने को कहा है। मुख्य सचिव ने कहा है कि इसके लिए प्राधिकरण सख्त से सख्त कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है। मगर भू माफिया से भूमि मुक्त करा ली जाए। 

गौतमबुद्ध नगर में जमीनों की कीमत आसमान छू रही है। ऐसे में यहां भू-माफिया भी बड़े स्तर पर सक्रिय है। सरकारी जमीनों पर अवैध अतिक्रमण अब सामान्य लगने लगा है। शहर के विकास के जिम्मेदारी नोएडा प्राधिकरण को सौंपी गई है। लेकिन प्राधिकरण की ढिलाई और कुछ अधिकारियों की सांठगांठ से सरकारी जमीन पर खूब अवैध कब्जे हुए हैं। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि प्राधिकरण की अपने कब्जे वाली जमीन का दायरा सिकुड़ता जा रहा है।

यूपी की आर्थिक राजधानी नोएडा शहर करीब 18 हजार हेक्टेयर में बसा हुआ है। प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक इसमें से तीन हजार हेक्टेयर सरकारी जमीन पर भूमाफिया का कब्जा हो चुका है। इसमें तमाम सेक्टरों और गांवों की बेशकीमती भूमि शामिल है। वर्तमान दर से इस भूमि की कीमत अरबों रुपये की है। मगर प्राधिकरण की ढिलाई से इनमें झुग्गी-झोपड़ी डालकर कब्जा किया जा रहा है। गांवों के भीतरी हिस्सों में भी सरकारी जमीन पर ऊंची इमारतें बना दी गई हैं। इनमें फ्लैट बनाकर बेचे जा रहे हैं। लेकिन अथॉरिटी के लापरवाह नौकरशाह चैन की नींद सोए हैं।

इन सेक्टर-गावों में है अवैध कब्जा
  1. नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन चेयरमैन रमारमण ने 4 मार्च, 2013 को जिला प्रशासन को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि हिंडन व यमुना के डूब क्षेत्र में 34 गांवों की करीब 4500 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया है। उनके मुताबिक, हिंडन नदी में छिजारसी गांव से लेकर ग्रेटर नोएडा के सफीपुर तक डूब क्षेत्र की करीब 90 प्रतिशत जमीन पर भूमाफिया का कब्जा है। 
  2. इसी तरह, यमुना नदी के डूब क्षेत्र में ओखला बैराज से लेकर नोएडा के आखिरी गांव मोमनाथल व तिलवाड़ा तक कॉलोनाइजरों के कब्जे में है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में अवैध फॉर्म हाउस बन चुके हैं। दो साल पहले 23 फार्म हाउस चिन्हित किए गए थे। इन सबको गिराया जाना था, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। सेक्टर-135 के इलाके में कॉलोनाइजर डूब क्षेत्र में कॉलोनी बसाने के लिए प्लॉट आवंटित कर रहे हैं। 
  3. जिले के सर्फाबाद, गढ़ी चौखंडी, छिजारसी, ममूरा, बरौला, भंगेल, सलारपुर, चौड़ा, गिझोड़, हरौला, नया बांस, बख्तावरपुर, नंगली-वाजितपुर, आदि गांवों में सरकारी जमीनों पर भूमाफिया का अवैध कब्जा है। कई मामलों में तो मुआवजा उठा चुके लोगों ने जमीन पर अपना नियंत्रण रखा है। 
निवासियों की शिकायत पर नहीं होता अमल
शहर की कई ऐसी पॉश सोसाइटी हैं, जहां झुग्गियां बसाकर अवैध कब्जा जमाया जा रहा था। इन सेक्टरों में रहने वाले लोग स्वयं इसकी शिकायत प्राधिकरण के अधिकारियों से करते हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती है। थकहार कर लोग घर बैठ जाते हैं। ऐसे तमाम वाकये हैं, जब लोगों ने खुद इसकी पहल की है। लेकिन संबंधित महकमों ने इच्छाशक्ति नहीं दिखाई।

सीईओ के आदेश की भी होती है अनदेखी
कई दफा ऐसा भी हुआ है कि प्राधिकरण की सीईओ ऋतु महेश्वरी ने अधिकारियों को कोई आदेश दिया है, लेकिन उनका पालन नहीं हुआ है। गत दो महीने में सीईओ ने शहर का दौरा करते वक्त सर्फाबाद, बरौला, चौड़ा, सोरखा में अवैध रूप से बन रही इमारतों का जायजा लिया था। इसके बाद उन्होंने कार्रवाई के निर्देश दिए थे। मगर अब तक संबंधित विभागों ने कार्रवाई नहीं की है। 

कार्रवाई के नाम पर हुई है खानापूर्ति
बीते चार साल में अतिक्रमण हटाने के नाम पर शहर में सिर्फ दो बड़ी कार्रवाई हुई हैं। पहले प्राधिकरण ने भंगेल में दो बैक्वेंट हॉल गिराए थे। दूसरे गढ़ी चौखंडी में पुलिस चौकी के पीछे बड़े हिस्से में अवैध निर्माण को जमींदोज किया गया था।

प्राधिकरण के अधिकारी नहीं दिखा रहे इच्छाशक्ति
प्रदेश के मुख्य सचिव आरके तिवारी ने जिला प्रशासन और प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों को दो दिन पहले ही डांट लगाई थी। उन्होंने कहा था कि नोएडा में बड़े स्तर पर अतिक्रमण हुआ है। लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। इससे नोएडा प्राधिकरण के अतिक्रमण हटाने के दावों की पोल खुल गई है। जानकारों की मानें तो मुख्य सचिव का नोएडा में भी निवास है। इस वजह से उन्हें यहां होने वाली हर गतिविधि का पता चल जाता है।

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