Noida News : ओखला पक्षी विहार के 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित लगभग 22 बिल्डर परियोजनाओं के बिल्डरों को बकाया राशि में राहत देने की तैयारी है। नोएडा विकास प्राधिकरण ने इस संदर्भ में गणना का काम शुरू कर दिया है। यह लाभ प्रत्येक परियोजना की केस टू केस जांच के बाद दिया जाएगा, जिससे बिल्डरों की बकाया राशि और कम हो जाएगी।
बिल्डर पर बढ़ा आर्थिक बोझ
वर्ष 2013 में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेश पर ओखला पक्षी विहार के 10 किलोमीटर के दायरे में बिल्डर परियोजनाओं में निर्माण कार्य पर पाबंदी लगा दी गई थी। हालांकि, कुछ महीनों बाद यह पाबंदी हटा दी गई थी। इस दौरान निर्माण कार्य बंद होने से बिल्डरों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया था।
अमिताभ कांत समिति की सिफारिश पर समाधान
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि फ्लैट खरीदारों की सहूलियत के लिए करीब सात महीने पहले अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों पर आधारित राहत पैकेज को लागू करने के लिए शासनादेश जारी किया गया था। इस राहत पैकेज के तहत कई बिल्डरों ने कुल बकाया में से 25 प्रतिशत राशि जमा कर दी है। अब उन्हीं बिल्डरों को एनजीटी की पाबंदी की अवधि के लिए अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों का लाभ दिया जाएगा, जिन्होंने यह राशि जमा की है।
अब दोबारा से होगी बकाये की गणना
नोएडा विकास प्राधिकरण ने संबंधित परियोजनाओं के बकाये का नए सिरे से आकलन शुरू कर दिया है। यह राहत 14 अगस्त 2013 से 19 अगस्त 2015 तक की अवधि के लिए दी जाएगी, जो लगभग दो साल का समय है। एनजीटी के आदेश पर तत्कालीन समय में बंद हुए निर्माण कार्य में कुछ समय के जीरो पीरियड का लाभ प्राधिकरण ने पहले ही दे दिया था। उस समय 77 दिन के जीरो पीरियड का लाभ दिया गया था, अर्थात उस समय का बकाया माफ कर दिया गया था। अब 77 दिन की अवधि को दो साल की अवधि से घटाकर नए सिरे से बकाये की गणना की जाएगी।
प्राधिकरण के अगले कदम
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने कहा कि यह राहत फ्लैट खरीदारों के हित में उठाया गया कदम है, जिससे फ्लैटों की रजिस्ट्री में तेजी आएगी और खरीदारों को समय पर अपने फ्लैट मिल सकेंगे। सभी 22 परियोजनाओं की जांच पूरी होने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यह कदम नोएडा में रियल एस्टेट सेक्टर को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे न केवल बिल्डरों को राहत मिलेगी, बल्कि फ्लैट खरीदारों को भी अपने घर की रजिस्ट्री में तेजी आएगी। यह देखना बाकी है कि इस प्रक्रिया को कितनी तेजी से और कुशलता से पूरा किया जा सकेगा, ताकि सभी संबंधित पक्षों को इसका लाभ मिल सके।