Google Image | बिल्डरों को जारी होगी रेटिंग और रैंकिंग
उत्तर प्रदेश रियल स्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) अब बिल्डरों पर नकेल कसने की तैयारी में है। अभी 3 दिन पहले ही रेरा की बोर्ड बैठक में फैसला लिया गया कि इस नियामक प्राधिकरण के कामकाज दफ्तर से संचालित किए जाएंगे। 1 मई से न्यायिक प्रक्रिया कार्यालय में शुरू हो जाएगी। अब रेरा ने एक नई पहल शुरू की है। इसके तहत बिल्डरों को स्टार ग्रेडिंग देने की योजना बनाई जा रही है। इससे बिल्डर लोगों को लोक-लुभावन वादों से आकर्षित नहीं कर पाएंगे। यूपी रेरा ने इसका मसौदा प्रदेश सरकार को भेज दिया है।
कई मायनों में खास होगी यह पहल
राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इसको लागू कर दिया जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ग्रेडिंग सिस्टम सही ढंग से शुरू किया गया, तो खरीदारों को काफी राहत मिलेगी। घर खरीदार बिल्डर की ग्रेडिंग देखकर समझ जाएंगे कि उन्हें घर खरीदना है अथवा नहीं। साथ ही बॉयर्स पता कर पाएंगे कि कौन सा बिल्डर अपने वादों पर कितना खरा उतरता है। अच्छी बात यह है कि यूपी रेरा ने इस योजना को सिर्फ नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र तक सीमित नहीं रखा है। बल्कि इसे प्रदेश के सभी बड़े शहरों में लागू करने की योजना है।
सरकार को लेना है फैसला
ग्रेडिंग सिस्टम जैसे यूनिक आइडिया को रेरा ने शासन की मंजूरी के लिए भेजा है। इस पर आखिरी निर्णय सरकार को लेना है। लेकिन इतना स्पष्ट है कि अगर ग्रेडिंग और रैंकिंग सिस्टम पारदर्शी तरीके से काम करे, तो इससे लाखों लोगों को फायदा मिलेगा। सूबे के किसी भी शहर में घर खरीदने का सपना देखने वाले लोग आवासीय परियोजना, टॉउनशिप के साथ बहुमंजिला इमारतों में फ्लैट लेने से पहले बिल्डर की रैंकिंग देखकर सारी जानकारी हासिल कर सकेंगे। यूपी रेरा के सदस्य बलविंदर कुमार ने बताया कि यह प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू करने के बारे में यूपी रेरा फैसला करेगी।
ऐसे दी जाएगी ग्रेडिंग
1 स्टार - खराब परियोजना
2 स्टार - औसत से कम
3 स्टार - औसत
4 स्टार - स्ट्रॉन्ग
5 स्टार - एक्सीलेंट
प्रोजेक्ट की रेटिंग ऐसे तय होगी
समय से फ्लैट का कब्जा देने पर -5 स्टार
4 महीने बाद कब्जा देने पर -4 स्टार
8 महीने बाद कब्जा देने पर -3 स्टार
12 महीने की देरी से कब्जा देने पर -2 स्टार
नियमित अंतराल पर बिल्डर को देनी होगी जानकारी
इस पहल को सफल बनाने के लिए बिल्डरों पर भी दबाव बनाया जाएगा। सभी बिल्डर हर 6 महीने में ग्रेडिंग और रैंकिंग के लिए आवश्यक जानकारी पोर्टल और मांगने पर भौतिक रूप से उपलब्ध कराएंगे। ग्रेडिंग और रैंकिग बिल्डर के बारे में पूरी जानकारी देगा। मसलन ग्रेडिंग और रैंकिंग देखकर ही घर खरीदार जान जाएंगे, कि उनको कौन सा बिल्डर क्या सुविधाएं देगा। बिल्डर ने अपनी प्रॉपर्टीज पर समय-समय में क्या सुधार किया है।
सुधार की उम्मीद बढ़ेगी
ग्रेडिंग और रैंकिंग में बदलाव का अधिकार सिर्फ रेरा के पास रहेगा। घर खरीदारों और बिल्डर द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ग्रेडिंग और रैंकिंग में सुधार या गिरावट आएगी। अच्छी बात यह है कि ग्रेडिंग सिस्टम लागू होने से बिल्डर और डेवलपर्स में गुणवत्ता और पारदर्शिता को लेकर प्रतिस्पर्द्धा देखने को मिलेगी। प्रदेश के ग्रेटर नोएडा, नोएडा, गाजियाबाद, कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, झांसी और गोरखपुर विकास प्राधिकरण में इस ग्रेडिंग सिस्टम को पहले चरण में लागू करने की तैयारी है।
कम रेटिंग से आएंगे कम खरीदार
ग्रेडिंग और रेटिंग सिस्टम का सबसे ज्यादा असर सबसे कम रेटेड बिल्डर्स पर पड़ेगा। क्योंकि बॉयर ऐसे बिल्डर्स से खरीदारी से बचेंगे। इसलिए रेटिंग कम हुई तो बिल्डर और डेवलपर की अगली परियोजनाओं पर भी व्यापक असर पड़ेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि इस वजह से बिल्डर और डेवलपर लोगों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए विवश होंगे।
100 से ज्यादा मानकों पर होगा परीक्षण
बिल्डरों का 100 से ज्यादा मानकों पर परीक्षण किया जाएगा। उसकी वित्तीय स्थिति, पूर्व में स्वीकृत परियोजनाओं की स्थिति, कितनी परियोजनाएं पूरी हुईं, कितनी अधूरी हैं, कौन समय से पूरी हुई और कौन लेट हुई। बिल्डर पर जुर्माना लगा या नहीं। बिल्डर के खिलाफ कितनी शिकायतें आई। उन शिकायतों का बिल्डर ने कितना निस्तारण किया। कितने लोगों को मकान मिला कितने लोग भटक रहे हैं जैसे करीब 100 मानकों पर बिल्डर का ऑनलाइन सिस्टम से ही परीक्षण किया जाएगा। इसी के आधार पर रेटिंग जारी होगी।