बिहार उपचुनाव : प्रशांत किशोर की पार्टी के उम्मीदवार को नोएडा कनेक्शन ने डाला मुश्किल में, जानिए कैसे

नोएडा | 3 घंटा पहले | Ashutosh Rai

Google Images | प्रशांत किशोर



Noida News : कभी-कभी छोटी-छोटी गलतियां बड़ी समस्या खड़ी कर देती हैं। ऐसा ही कुछ बिहार के उपचुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी के उम्मीदवार के साथ भी हो सकता है। नोएडा के मतदाता होने के कारण वह चुनाव लड़ने से पहले ही मैदान से बाहर हो सकते हैं। जानिये उनचुनाव में उम्मीदवार बनाए गए सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल कृष्ण सिंह का नोएडा से क्या है कनेक्शन और कैसे उनके सामने मुश्किल खड़ी हो सकती है। 

जन सूराज से तरारी विधानसभा उम्मीदवार हैं कृष्ण सिंह 
प्रशांत किशोर की 2025 बिहार विधानसभा चुनाव को मजबूती से लड़ने की महत्वाकांक्षा है। वह स्वयं को बिार में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करन में लगे हुए हैं। उन्होंने बिहार में होने वाले उपचुनावों के दौरान चुनावी राजनीति में अपने पहले प्रयास में एक महत्वपूर्ण गलती कर दी है। उनकी पार्टी जन सुराज ने तरारी विधानसभा सीट के लिए अपने उम्मीदवार के रूप में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल कृष्ण सिंह के नाम की घोषणा की थी। कृष्ण सिंह के नामांकन से राज्य विधानसभा चुनावों के लिए संवैधानिक आवश्यकताओं को समझने में एक बुनियादी त्रुटि सामने आई है। 

बिहार के रहने वाले लेकिन नोएडा में हैं मतदाता 
कृष्ण सिंह मूलरूप से भोजपुर जिले के तरारी निर्वाचन क्षेत्र के करथ गांव के रहने वाले हैं। सैन्य सेवा के दौरान वह नोएडा में रह रहे थे और उन्होंने अपना नाम नोएडा की मतदाता सूची में शामिल करा लिया। इस कारण उनका नाम अब बिहार की मतदाता सूची के बजाय उत्तर प्रदेश की मतदाता सूची में है। विधानसभा और विधान परिषद चुनावों को नियंत्रित करने वाले संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार जिस राज्य से चुनाव लड़ रहा है, उसे उसी राज्य का निवासी होना चाहिए और उस राज्य की मतदाता सूची में शामिल होना चाहिए। चूंकि कृष्णा सिंह नोएडा के पंजीकृत मतदाता हैं, इसलिए वे बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं।

तकनीकी पहलूआें की जांच कर रही पार्टी 
जन सुराज पार्टी के एक प्रवक्ता ने बताया कि कृष्ण सिंह मूलरूप से तरारी के करथ गांव के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान नोएडा की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराया था। उनका मतदाता पंजीकरण कभी भी बिहार में वापस नहीं किया गया। पार्टी अब इस मुद्दे के सभी तकनीकी पहलूओं की बारीकी से जांच कर रही है जिससे चुनावी प्रक्रिया के दायरे में रहकर इस समस्या के समाधान का कोई तरीका निकाला जाए और कृष्ण सिंह को चुनाव लड़ाया जा सके। 

उम्मीदवार बदलने के अलावा नहीं है कोई विकल्प
बिहार में जिन चार विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हो रहे हैं, वहां आदर्श आचार संहिता लागू हो चुकी है। ऐसे में अब इस बात की कोई संभावना नहीं है कि कृष्ण सिंह का नाम मतदाता सूची में शामिल करने के लिए सूची में कोई बदलाव किया जाए। अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो पार्टी को अपना उम्मीदवार बदलना पड़ेगा। हालांकि पार्टी ने इस बात को स्वीकार किया है कि उनचुनाव में तरारी विधानसभा के लिए उम्मीदवार चुनने में गलती हुई है।  

लोकसभा चुनाव में यह बाध्यता लागू नहीं
लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है कि जिस राज्य से उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है, उसे वहां का निवासी और मतदाना होना अनिवार्य है। लोकसभा चुनाव में कोई भी उम्मीदवार देश में किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ सकता है। राज्य में होने वाले विधानसभा और विधान परिषद चुनावों के लिए उम्मीदवार को उस राज्य का पंजीकृत मतदाता होना आवश्यक है, जिस राज्य से वह चुनाव लड़ रहा है। चूंकि कृष्ण सिंह नोएडा में मतदाता हैं, इसलिए वे बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकते।

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