नोएडा : इंटीग्रेटिड टाउनशिप के खिलाफ खड़े हुए लोग, ट्रैफिक जाम, पॉल्यूशन और भीड़ बढ़ने का संकट, जानिए क्या है मामला

नोएडा | 4 साल पहले | Mayank Tawer

Tricity Today | Noida



नोएडा विकास प्राधिकरण की इंटीग्रेटिड टाउनशिप की खिलाफत शुरू हो गई है। यह इंटीग्रेटिड टाउनशिप नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के पास छह सेक्टरों में बन रही है। दरअसल, विकास प्राधिकरण टाउनशिप के लिए एफएआर बढ़ाने, न्यूनतम 25 एकड़ भूखंड पर मिश्रित उपयोग की अनुमति देने और औद्योगिकरण विस्तार के लिए 1.0 परचेबल एफएआर अनुमन्य करने जा रहा है। इसको लेकर पर्यावरणविद और सामाजिक संगठन आपत्ति दर्ज करवा रहे हैं। दूसरी ओर विकास प्राधिकरण का कहना है कि आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। उसके बाद ही संशोधन को लागू किया जाएगा।

नोएडा के सेक्टर-145, 162, 163, 164, 165 और 166 औद्योगिक सेक्टर हैं। नोएडा प्राधिकरण ने इन सेक्टरों में इण्टीग्रेटेड टाउनशिप बनाने की मंजूरी दी है। मिश्रित उपयोग की व्यवस्था लागू होने पर कंपनियां परिसर में ही कर्मचारियों के रहने के लिए आवास बना सकेंगी। इसका विरोध करने वालों का तर्क है कि इन सेक्टरों के विकास के समय जो सड़क और जल-सीवर की व्यवस्था की गई है, वह सिर्फ औद्योगिक सेक्टर के हिसाब से की गई है। आवासीय सेक्टरों के हिसाब से सुविधाओं का विकास नहीं किया गया है।

अभी यह व्यवस्था थी : विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि औद्योगिकरण और लैंड बैंक में बढ़ोतरी के लिए मई 2020 में मुख्यमंत्री ने एक समीक्षा बैठक की। बैठक में औद्योगिक भू-उपयोग में एफएआर को बढ़ाकार 2.5 करने और इसके अतिरिक्त परचेजेबल एफएआर को मिलाते हुए 3.5 तक करने का निर्णय लिया गया है। मिश्रित भूमि उपयोग के साथ इंटीग्रेटिड औद्योगिक टाउनशिप जुड़े रेगुलेशन में संशोधन करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत भविष्य में आवंटित होने वाले औद्योगिक भूमि उपयोग के भूखंडों पर 1.5 सामान्य एफएआर और 1.0 परचेबल एफएआर, कुल मिलाकर 2.5 एफएआर अनुमन्य किया जाना है।

अब यह व्यवस्था लागू होगी : भविष्य में विकसित किए जाने वाले औद्योगिक भूमि उपयोग के सेक्टरों में 2.5 सामान्य एफएआर और 1.0 परचेबल एफएआर, यानी 3.5 एफएआर इस शर्त पर किया जाए कि वहां सड़क की चौड़ाई 24 मीटर की हो। इसके अलावा मिश्रित भूमि उपयोग की सुविधा न्यूनतम 25 एकड़ भूखंड पर दी जाएगी। सड़कों और पार्क को घटाते हुए भूखंड का डेवलेपमेंट क्षेत्रफल में 75 प्रतिशत कोर एक्टिविटी, 12 प्रतिशत ग्रुप हाउसिंग (डामेट्री, फील्ड हॉस्टल लेकिन बंगलों पर प्रतिबंध) 8 प्रतिशत व्यवसायिक और 5 प्रतिशत फेसिलिटी के लिए होगी।

सामाजिक संगठनों और पर्यावरणविद खिलाफ : एफएआर से जुड़ी नई व्यवस्था लागू करने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने आपत्ति मांगी थीं। ऐसे में शहर के सामाजिक संगठनों और पर्यावरणविदों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। भारत जागरूक नागरिक संगठन के अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार ने मंगलवार को अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी नेहा शर्मा से मिलकर विरोध जाहिर किया है। विरोध के पीछे संगठन ने कई तर्क दिए हैं।

आपत्ति में यह तर्क हैं -
  1. -शहर में पहले से जितनी औद्योगिक भूमि है, उसका अभी तक पूरी तरह उपयोग और विकास नहीं किया गया है। ऐसे में अतिरिक्त एफएआर का प्रस्ताव अनुचित है। 
  2. -नोएडा में इंफ्रास्ट्रक्चर इतना विकसित नहीं है कि अतिरिक्त एफएआर को समायोजित कर सके। पहले से ही यहां लाखों की संख्या में वाहन हैं और प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है। 
  3. -नोएडा देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में आता है। शहर के औद्योगिक सेक्टरों में भी आबादी बढ़ेगी तो प्रदूषण और जयादा बढ़ेगा।
  4. -मास्टर प्लान 2031 में ट्रांसपोर्टेशन का एरिया और इंडस्ट्री का एरिया घटा दिया गया है, जबकि आवासीय क्षेत्रफल बढ़ा दिया गया है। इस कारण शहर में ट्रैफिक जाम, पार्किंग समस्या, प्रदूषण, वाटर लॉगिग, बीमारियां और बेरोजगारी आदि बढ़ रही हैं।
  5. -इंटीग्रेटेड टाउनशिप बसने से शहर के निवासियों का जीवन अव्यवस्थित और अशांत हो जाएगा। कारखानों के शोर के बीच लोग नारकीय जीवन जिएंगे।

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