नोएडा पुलिस और पश्चिमी यूपी एसटीएफ ने शनिवार को एक बड़ी सफलता हासिल की है। एक सूचना के आधार पर एटीएम और डेबिट कार्ड के चीप बदलकर फर्जीवाड़ा करके विभिन्न बैंकों से पैसा निकालने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इनका एक साथी फरार है। इनके पास से पुलिस ने 10 लाख 30 हजार रुपये नगद, 45 एटीएम, डेबिट कार्ड की चीप ग्राहक की डिटेल सहित, 15 एटीएम कार्ड, 30 एटीएम कार्ड बिना चिप वाले और मोबाइल फोन आदि बरामद किया है।
10 लाख से ज्यादा नगदी और हजारों का माल बरामद
पश्चिमी यूपी एसटीएफ के एसपी कुलदीप नारायण ने बताया कि एसटीएफ के एसपी राजकुमार मिश्रा और उनकी टीम ने एक सूचना के आधार पर गाजियाबाद के खोड़ा कॉलोनी में शनिवार को छापा मारा है। वहां से पुलिस ने संजय यादव निवासी खोड़ा कॉलोनी और हर्ष शर्मा निवासी शाहदरा दिल्ली को गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि इनके पास से पुलिस ने 10,30,000 रुपये नगद, 45 एटीएम चीप ग्राहकों के डिटेल सहित, 15 एटीएम कार्ड, तीन एटीएम कार्ड बिना चिप वाले मोबाइल फोन और अन्य सामग्री बरामद किया है।
कोरिअर डिलीवरी से बने धोखेबाज
उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला है कि गिरफ्तार आरोपी संजय यादव ब्लू डार्ट कंपनी में कोरिअर डिलीवरी करने का काम करता था। ब्लू डार्ट कंपनी विभिन्न बैंकों के ग्राहकों का एटीएम कार्ड उनके यहां डिलीवरी करती है। कोरिअर डिलीवरी करते समय उसकी दोस्ती कुलदीप निवासी खोड़ा कॉलोनी से हुई। उसके बाद संजय और कुलदीप में मित्रता हो गई। दोनों ने ही ग्राहकों के एटीएम कार्ड के चीप निकालकर, ओरिजिनल एटीएम कार्ड में फर्जी चिप लगाकर, एटीएम कार्ड होल्डर के अकाउंट से पैसे निकालने का अपराध शुरू कर दिया।
बैंक अकाउंट का बैलेंस जानकर देते थे वारदात को अंजाम
उन्होंने बताया कि शुरुआत में कुलदीप संजय यादव को प्रति कार्ड 5 हजार रुपये देता था और बाद में इस धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि दोनों आधा-आधा करने लगे। कोरियर ब्वाॅय संजय यादव ग्राहकों के एटीएम कार्ड डिलीवरी करने से पहले कुछ घंटे के लिए कुलदीप को एटीएम कार्ड दे देता था। ग्राहक का अकाउंट में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर जो कि कोरियर में पते के साथ लिखा होता था, वह भी नोट करा देता था। रजिस्टर्ड मोबाइल से कॉल स्पुफिंग एप्लीकेशन का प्रयोग करके बैंक के ऑटोमेटिक कॉल रिस्पांस सिस्टम से कार्ड होल्डर के बैंक अकाउंट का बैलेंस अपराधी जान लेते थे। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की ओटीपी जनरेट नहीं होती है, इसलिए इस विधि का पता वास्तविक ग्राहक को नहीं चल पाता है।
लोगों को ऐसे बनाते थे ठगी का शिकार
इसके अलावा ग्राहक को एटीएम कार्ड डिलीवरी करते समय संजय द्वारा जानबूझकर आधार कार्ड की डिटेल प्राप्त कर ली जाती थी। जिसके उपरांत कुलदीप के साथ मिलकर संजय यादव ओरिजिनल एटीएम कार्ड से चिप बदल लेता था और एटीएम कार्ड के लिए आवश्यक पिन कोड प्राप्त करने के लिए बैंक के आरवीआर सिस्टम में काल स्पुफिंग एप्लीकेशन का प्रयोग करके कॉल करते थे। इस ऑटोमेटिक सिस्टम को ये लोग ग्राहक की आवश्यक जानकारी देते है। जैसे एटीएम कार्ड का नंबर, एक्सपायरी डेट, आधार नंबर, जन्मतिथि आदि देकर एटीएम कार्ड की पूरी डिटेल प्राप्त कर लेते हैं। इस बात का पता ग्राहक को नहीं चलता था।
एसपी ने बताया कि ये लोग कूट रचित एटीएम कार्ड से कुछ समय बाद एटीएम से पैसा निकाल लेते है। जबकि वास्तविक एटीएम कार्ड ग्राहक के पास बना रहता है। उन्होंने बताया कि संजय यादव के साथ गिरफ्तार हर्ष शर्मा भी ब्लू डार्ट कंपनी में कोरियर डिलीवरी का काम कर रहा था। वह भी इनके गैंग में शामिल था। उन्होंने बताया कि इस गैंग का सरगना मोहित है, वह फरार है। उसकी तलाश की जा रही है।